My husband is your husband - 6 in Hindi Moral Stories by Jitendra Shivhare books and stories PDF | मेरा पति तेरा पति - 6

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मेरा पति तेरा पति - 6

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मुझसे पहले मेरी अमीरी दिखाई दी और इसलिए मैं कह सकता हूं कि तुम मुझसे प्यार कभी नहीं कर सकती।" अमर इतना बोलकर जा चुका था।

अनिता कुछ पल यू हीं मौन खड़ी रही। अमर के द्वारा बोले गये एक-एक शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे। उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था। रसोई घर में सब्जी बनाते समय सब्जी की कढ़ाई में नमक की जगह शक्कर डाल दी। उस रात पुरे परिवार को मजबुरन मीठी सब्जी खानी पड़ी। अगली सुबह चाय में शक्कर की स्थान पर नमक डाल दिया। सुनैना अपनी बेटी अनिता को जानती थी। अनिता की परेशानी उसे समझ आ रही थी। क्योंकि अमर के विषय में सुनैना को सारी बातें पता थी। इससे पहले की अनिता के प्रेम की खब़र उसके भाई दिनेश और पिता शेखर तक पहूंचती, सुनैना ने अनिता को प्यार से समझाया।

उसने अमर के विचारों को सही ठहराया। सच्चा प्रेम वहीं कर सकता है जिसमें इसे निभाने का सामर्थ्य हो और अमर सर्वधा इसके उपयुक्त था। अपनी मां के प्रोत्साहन और दिन-रात अमर के खयालों में खोई हुयी अनिता को स्वयं स्वीकार करना ही पड़ा की वह भी अमर से प्रेम करने लगी है। मगर अनिता की छोटी बहन तमन्ना ने आकर उसे बताया की अमर और श्रुति की जल्दी ही शादी होने वाली है। श्रुति अमर के पिता के दोस्त की बेटी है। और कल ही उन दोनों की सगाई सैरेमनी का आयोजन एक बहुत बड़े होटल में रखा गया है।

"नहीं! मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।" अनिता ने स्वयं से कहा।

वह अमर से बात करना चाहती थी मगर उसका मोबाइल  स्वीच ऑफ आ रहा था। अनिता अमर के घर भी गयी लेकिन अमर से उसकी मुलाकात नहीं हो सकी। अंततः उसने तय किया की वह सगाई सेरेमनी के दिन ही अमर से मिलेगी।

स्टेज पर खड़ी अनिता को देखकर सारे मेहमान आश्चर्यचकित थे। और उसने जो अमर से कहा उसे सुनकर तो उपस्थित सभी मेहमानों का मुंह खुला की खुला रह गया। अनिता ने अमर से कहा कि वह अमर से प्यार करती है और किसी भी किमत पर उसी से शादी करेगी। श्रुति को महान आश्चर्य का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि वह अमर को सगाई की अंगूठी पहना चूकी थी और अमर उसे। अब ऐसे में कोई लड़की हजारों मेहमानों के बीच आकर उसके होने वाले पति से प्यार का इजहार करती है, तब वह स्वयं समझ नहीं पा रही थी की वह क्या करे? क्या न करे?

"नहीं अनिता! अब मेरे जीवन में श्रुति है। अच्छा होगा अब तुम मुझे भुल जाओ।"

अमर ने अनिता से कहा।

"नहीं अमर! अब ये मुमकिन नहीं। तुम्हारी शादी मुझी से होगी, किसी ओर से नहीं।" अनिता ने जवाब दिया।

"ये क्या बकवास है। अमर मेरा है।" श्रुति बहस में कुद पड़ी।

"ये बकवास नहीं है। यही सच है। अच्छा होगा तुम हम दोनों के बीच से हट जाओ।" अनिता ने स्वर कठोर थे।

कुछ रिश्तेदार स्टेज पर आये। वे अनिता को समझाने का प्रयास करने लगे। मगर अनिता और श्रुति दोनों ही सुनने और समझने को तैयार नहीं थी। आनन्द अग्रवाल ने पुलिस को बुलाने की धमकी दे डाली। अनिता इस बात भी डिगी नहीं। अमर ने अपने पिता आनन्द अग्रवाल और शेष रिश्तेदारों से क्षमा मांगी। वह इस प्रकरण को स्वयं हल करना चाहता था। सगाई सेरेमनी का वही समापन किया गया। अनिता घर लौट आई। अमर और श्रुति भी अपने-अपने बेडरूम मै चिन्तामंग्न थे। अचानक आई इस मुसीबत ने श्रुति का घर बसने से पहले ही उजाड़ दिया था। वह अनिता पर बेहद गुस्सा थी। मगर गुस्से से काम बिगड़ सकता था। उसने ठण्डे दिमाग से काम लिया और अनिता को पार्क में मिलने बुलाया। अनिता के हाथों में एक लाख रूपये नकद देकर श्रुति ने कहा कि अनिता उसे भुल जाये।

अनिता ने अपने पर्स में से दो लाख रूपये निकाले और श्रुति को देकर कहा कि वह अमर को भूल जाएं। एक मध्यमवर्गीय लड़की की दिलेरी देखकर श्रुति हतप्रद थी। वह हर प्रकार से अनिता को समझा चुकी थी लेकिन अनिता तो जैसे कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी। अनिता ने उससे स्पष्ट कह दिया कि वह अमर को पाकर ही रहेगी। अगर उसके वश में है तो उसे रोक ले। अनिता ने यह भी कहा कि एक अवसर वह श्रुति को भी देगी।

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तमन्ना की शादी का समय नजदीक आ रहा था। सुनैना और दिनेश को अपनी बेटी तमन्ना की शादी आनन-फानन में तय करनी पड़ी। इसका कारण था नगर में रहने वाला कपिल। कपिल तमन्ना से अंधा प्रेम करता था। एक समय था जब तमन्ना भी उससे प्रेम करने लगी थी। किन्तु जल्द ही तमन्ना को समझ आ गया की आवारा किस्म का कपिल उसके योग्य नहीं है। इसीलिए उसने कपिल से सभी तरह के रिलेशन तोड़ लिये थे। तमन्ना के भाई शेखर और कपिल की इस विषय में खींचातान चल रही थी। एक बार तो दोनों में जमकर हाथापाई भी हुयी। जिसमें शेखर बुरी तरह घायल हो गया था। ऐन वक्त पर अनिता ने मामले को संभाला वर्ना दोनों को जेल जाना पड़ता। अपने भाई को चोटिल देखकर तमन्ना ने कपिल के गाल पर जोरदार तमाचा रशीद कर दिया था। इस बात से कपिल खिन्न हो उठा। वह अवसर की तलाश में था। वह अपनी हिंसक हरकतों के कारण समुचे नगर में बदनाम था। अनिता ने अंतिम चेतवानी देकर कपिल को छोड़ दिया। मगर 7

सुनैना और दिनेश की चिंता कम नहीं हुई। उन्हें अब भी संदेह था की तमन्ना की शादी में रंग में भंग डालने कपिल जरूर आयेगा। एहतियातन अनिता ने नजदीकी पलिस स्टेशन में कपिल के इरादों को देखते हुये एक अग्रिम रिपोर्ट दर्ज करवा दी, ताकी तमन्ना का विवाह शांतिपूर्वक तरीके से सम्पन्न हो जाये। मगर कुदरत को कुछ ओर ही मंजूर था। विवाह वाले दिन बारात घर के निकट आ चुकी थी। तमन्ना का दूल्हा मनोज घोड़ी चढ़कर तोरण मारने आगे बढ़ा ही था की तब ही बारात के बीचों-बीच पहूंचे कपिल ने हवा में रिवाल्वर से फायरिंग कर दी। गोली की आवाज़ से भगदड़ मच गयी। बाराती और घराती दोनों ही घबरा गये। किसी को कुछ समझ नहीं आया की यह सब कैसे हुआ? कपिल के हाथों में रिवाल्वर लहरा रही थी। वह बुरी तरह नशे था। जिसके कारण रिवाल्वर की ट्रिगर सम्मूख खड़े किसी भी मेहमान पर रिवाल्वर की गोली चल जाने का खतरा मंडरा रहा था। अनिता दौड़कर बाहर आ गयी। कपिल ने रिवाल्वर की नोंक दुल्हे की ओर कर दी और उसे घोड़ी से नीचे उतरने को कहा। मनोज डरते हुये घोड़ी से नीचे उतर गया। कपिल का अगला आदेश था की मनोज वहीं पर खड़े-खड़े अपनी शादी की शेरवानी उतारे। मनोज ने वैसा ही किया। मनोज के उतारे हुये कपड़े कपिल ने पहने और घोड़ी चढ़ गया। उसका अगला आदेश बैण्ड वालों के लिए था। उन्होंने बैण्ड बजाना आरंभ कर दिया। शेखर आगे बड़ा। मगर इससे पहले की वह कपिल को हानी पहूंचा पाता, कपिल ने एक ओर हवाई फायर कर सभी को डरा दिया। उसने अनिता और शेखर को डांस करने पर विवश कर दिया। पुलिस को पहूंचने में समय था। तब तक उपस्थित सभी बाराती और मेजबान कपिल के हाथों का खिलोना थे। अनिता की नज़र पास ही जमींन पर रखी पटाखो की एक लड़ पर गयी। उसने नज़र बचाकर घोड़ी संभालने वाले को कुछ इशारा किया। वह व्यक्ति अनिता के इरादें समझ गया। नज़र बजाकर अनिता ने उस पटाखे की लड़ में आग लगा दी। एक के बाद एक पटाखे फुटने लगे। घोड़ी बेतहाशा हिनहिनाने लगी। क्योंकी उसे संभालने वाला घुड़संवार अनिता का इशारा पाकर इधर-उधर हो लिया था। घोड़ी हिनहिनाने हुये घुम-घुम कर चारों दिशाओं में दुलत्ती मार रही थी जिससे कपिल धड़ाम से नीचे जमींन पर आ गिरा। घोड़ी मौका पाकर भाग गयी। इतने में शेखर और उसके रहवासी मित्र कपिल पर टूट पड़े। उन्होंने लात और घुसों से कपिल की खातिरदारी करनी शुरू कर दी। अनिता बीच-बचाव करने लगी। इतने में कपिल मौका पाकर वहां से  भाग खड़ा हुआ। मगर शेखर उसे आसानी से छोड़ना नहीं चाहता था। सभी के कपड़े मिट्टी से सनकर खराब हो चुके थे। कपिल के चेहरे फर चोट के निशान उभर आये थे। कहीं-कहीं खुन भी उभर आया था। रिवाल्वर अब शेखर के कब्जे में थी। अनिता को भय था की आज कहीं कुछ गल़त न हो जाये। वह शेखर के पीछे-पीछे भाग। बाकी के रिश्तेदार भी दौड़े। शेखर के साथ उसके दोस्त भी थे। यह इस बात की आशंका को और बढ़ा रहे थे की कपिल को कुछ हो न जाएं? रात के सन्नाटे को चिरते हुये अनिता दौड़ते-दौड़ते खुले मैदान में आ गयी। वहां रोशनी नहीं थी। कुछ दुरी पर बने गिने-चुने मकानों के विधुत बल्ब की रोशनी जरूरी दिखाई दा रही थी। हेवी विद्युत लाइन के तारों से हवा के टकराने की आवाज़ वातावरण में गुंज रही थी। अनिता ने आसपास देखा, किन्तु उसे शेखर और कपिल का नामोनिशान तक नहीं दिखाई दे रहा था। वह हिम्मात कर आगे बड़ी। एक तरफ कुत्तें भौंक रहे थे। अनिता उसी दिशा में आगे बड़ने लगी। एक वर्षो पुराना मकान जो ध्वस्त था उसी के अंदर से कुछ-कुछ आवाज़े आ रही थी। एक कुत्ता वहां भी खड़ा था जिसके भौंकने की आवाज़ कानों को लगातार तंग कर रही थी।

अनिता ने खंडहर के अंदर का दृश्य देखा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी। जिसका डर था वही हुआ। कपिल नीचे जमीन पर बेजान पड़ा था। शेखर के हाथों में रिवाल्वर थी। उसके दोनों दोस्त अनुज और मकरंद नीचे गुमसुम बैठे थे। उनकी आंखों में कपिल के मौत का खौफ साफ देखा जा सकता था।

"शेखर! ये तुने क्या कर दिया?" अनिता ने शेखर को झंझोड़ते हुये पुछा।

"दी! आज हमारी सबसे बड़ी टेशंन खत्म हो गयी। मार दिया मैंने इसे।" शेखर बोला।

"नहीं दी! कपिल ने नहीं, इसे मैंने मारा है!" मकरंद उठकर बोला।

"क्यों झुठ बोलते हो सालों।" अनुज बीच में बोल पड़ा। "दी! कपिल को मैंने मारा है। इन दोनों ने नहीं।" अनुज आगे बोला।

अनिता जानती थी कि शेखर और उसके दोस्तों में गहरी दोस्ती थी। उसे यह भी पता था की कपिल को शेखर ने ही मारा है इसलिए उसने पुलिस के सामने केवल अपने भाई के विरोध में बयान दिया। उसने यह भी बताया की अपनी जान बचाने के चक्कर में शेखर ने कपिल पर गोली चला दी।

शेखर को सात साल की सजा हुई। उसके दोस्त अनुज और मकरंद को पांच-पांच साल के कारावास की सज़ा सुनाई गयी। अनिता के प्रयासों से मनोज पुनः तमन्ना को अपनाने के लिए राजी हो गया। दोनों का घर बसाने में अनिता ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

एक शाम अनिता के घर पर अमर मिलने आया।

"अनिता! मुझे दुःख है, संकट की इस घड़ी में मैं तुम्हारे साथ नहीं था।" अमर पश्चाताप कर रहा था।

"होनी को कौन रौक सकता है अमर! तुम यहाँ होते भी तो कुछ नहीं कर सकते थे।" अनिता बोली।

तब ही श्रुति भी अनिता के घर पहूंच गयी।

"अनिता! आई होप की मेरे यहां आने से तुम्हें कोई प्राॅब्लम नहीं हुई होगी?" श्रुति ने पुछा।