HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-2) in English Fiction Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-2)

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

Categories
Share

HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-2)




अबतक आप पढे हैं की जानुआ घरको लोटता है वो भी अकेला अच्छा बच्चे का तरहा । कोई बदमासी नहीं, नाही कोई लफडा । इसे सोचकर बुढा बहत खुस होता है और भगबान को धन्यबाद देता है । अब आगे चलते हैं.......



बुढी रषोइ में है और खाना बना रही है । तभी जानुआ वहां जाके पहुंचता है और बोलता है, भाभी क्या बना रहे हो ? में देख सकता हुं क्या ? बुढी पिछे मुडके देखी फिर बोली, यैसे क्या पुछ रहे हो ? तुम बताउो तुम्हे क्या चाहीये ? जानुआ बोलता है, नहीं भाभी मुझे कुछ नहीं चाहीये । यैसे बोलते ही भाभी की हात पकङता है । और केहता है पर भाभी मुझे तुमसे कुछ केहना है । बुुढी बोलती है, हाँ बोलो क्या बोलना है तुम्हे ? जानुआ अब और पास आके बुढी की हात पकङता है और उसको देखके बोलता है, भाभी में आपको क्यैसे बताऊँ मुझे समझ में नहीं आ रही है । इसलिए थोडा हीचकीच रहा हुं पर कोई बात नहीं मुझे आपको पुछना
है ।



बुढी इधर-उधर देखती है और उसको हीम्मत देते हुये बोलती है, देखो तुम्हे जो बोलना है तुम बोल सकते हो । इसमें डरने की कोई जरुरत नहीं है । सुनो अगर तुम्हे पैसो की जरुरत है तो मुझे बताउो में दुगीं तुम्हे । तुम्हारे भैया को पता नहीं चलेगा । हाँ अभी अभी मैंने आलमारी में पैसा रखके आई हुं और चाबी तकीआ के निचे पडी है जाके ले लो । भैया बाहार बैठे हैं, नहीं जान पायेगें । देखो तुम अभी ये मत केहना आप आकर देके जाउ । ठीक् है तुम जाउ, मुझे अभी बहत काम है में नहीं जा सकती हुं । येसे बोलकर बुढी अपनी कामपे लग जाती है ।



जानुआ भाभी के सामने जाता है और बोलता है भाभी ! भाभी मुझे पैसा नहीं चाहीये । में तुम्हे कुछ पुछना चाहता हुं । बुढी बोलती है, हाँ पुछो । इसमें थोडीना मुझे पुछके ही पुछोगे । देखो में भाभी हुं तुम्हारा । और तुम्हारा हक बनता है मुझमें । तुम बेझिझक् अपना बात बोल सकते हो । अब बताउो क्या पुछना था तुमको ? जानुआ भाभी........भाभी.......में करते ही रेह गेया । कुछ बोल नहीं सका । बुढी बोली तुम्हे कुछ बोलना भी है या नहीं ? जानुआ झट् से पुछ लेता है......में क्या बोल रहा था भाभी, सोनु घरपे है या नहीं ? बुढी हसती है और बोलती है तुम ये बात पुछने केलिए इतना टाइम् लगा रहे थे । हाँ सोनु अभी तो था, पता नहीं काहाँ चलागया । सायद खेलने केलिए गेया होगा । थोडी देर में आ जायेगा वो, तुम हो तो वो ज्यादा देरतक कहीं भी नहीं रूकेगा । पता है तुम्हे जबसे उसको मालुम चला है की तुम आनेबाले हो, वो कितना खुस था । और अभी वो बाहार गया है तभी तो इतने देरतक तुम यहां खडे हो । बरना पता वो तुमसे क्या क्या करबाता ? ओर हाँ उसके पास जब भी रहोगे थोडा बचके रेहना, बहत बोलता है । हाँ कुछ दिन में आदत लग जायेगा, पर तबतक........। हसते हसते बुढी वहां से निकल गयी ।




जानुआ रषोइ में होती है और बुढी आ जाती है । बोलती है, तुम अभीतक नहीं गये हो, लगती कोई ओर बात है । बताउो ! जानुआ बोलता है भाभी में.......में एक लेडकी से प्यार करता हुं और उसको ही सादी करना चाहता हुं । मगर में ये बात भैया को नहीं बोल सकता । आप जाके बताउोना भैया से । बुढी चोकं जाती है । जानुआ उसको बोलता है, please भाभी मुझे माफ् करदो । में आप दोनो को बिना पुछे ही इतना बडा decission ले गया । इतना बोलते ही जानुआ अपनी सर निचे कर देता है । बुढी हसने लगती है और बोलती है, तुम कितना बडा बेबकुफ हो । जानुआ चोकं जाात है भाभी की बाातें सुनकर l




TO BE CONTINUE..........








**************