The Author Kalpana Sahoo Follow Current Read HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-4) By Kalpana Sahoo English Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books నిరుపమ - 11 నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది... THE WAVES OF RAVI - PART 5 THE WAVES OF RAVI Reshma was sitting on the bank of t... Predicament of a Girl - 14 Predicament of a Girl A romantic and sentimental thriller Ko... Robo Uncle - 2. Unexpected Event 2. Unexpected Event Nancy was waiting just for he... Love at First Slight - 29 Rahul's Hotel Room, SingaporeRahul walked into his lavis... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Kalpana Sahoo in English Fiction Stories Total Episodes : 8 Share HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-4) (3) 828 3.7k अबतक आप पढे हैं की जानुआ अपनी भैया और भाभी को अपने प्यार के बारे में बताता हैं । वो दोनो इस बातपे राजी भी हो जाते हैं और सादी करवाने केलिए केहते हैं । अब आगे....... कुछ देर बाद जानुआ अपनी रूम् से आता है और बोलता है, भैया मैंने उसकी घरवाले से बात की वो भी राजी है कल सादी करने केलिए । बुढा बोलता है तेरा खुसी में मेरा खुसी । अगर तु चाहता है उस लेडकी से सादी करना तो में क्युं मना करूगां ? तु चिन्ता मत कर । जैसा तु चाहेगा वैसा ही होगा । जानुआ बोलता है हाँ भाई आप महान हो । आजतक यैसा कुछ भी नहीं है जो आप हमसे मना की हो । वो जो भी हो, आपके मुहँ से सीफ् हाँ ही सुना है मैंने । और भाभी आप.......आप भी कम् नहीं हो । हम सबका खेयाल अपनी बच्चों की तरहा रखते हो । कभी मेहसुस् होने भी नहीं देते हो की हम लोगों का मा-बाप इस दुनियां में नहीं है । बुढी बोलती है, यैसे क्युं बोलते हो ? तुम सब तो मेरी दुनियां हो । मेरी परिबार हो । फिर ये सब क्युं ? अब बस् भी करो केहके रोते हुये जानुआ को गले लगा लेती है । बुढी बोलती है, बस् बस् हाँ । अब रोना धोना बहत हो गेया यार । चलो में सबकी मुहँ मीठा करवाती हुं । ये केहके रषोइ से मिठाई लाके सबके मुहँ मीठा करती है । जानुआ बोलता है, ये कीस् खुसी में भाभी ? बुढी बोली तुम आज जो इतनी बडी खुसी का तोफा दिये हो उस खुसी में । बुढा बोलता है सारी मिठाई उसे ही खीलाती रहेगी क्या ? कुछ हमे भी खिलाउो भाई । आखीर हम भी इस खुसी का हिस्सा हैं । बुढी बोलती है, हाँ हाँ तुम भी लो । ओर लो, खायो । खुसी की माहोल है । जानुआ झट् से कुर्सी से उठगया और बोला आरे भाभी में आपीके चक्कर में भुलगई की आज DECEMBER 25 है । बुढी बोलती है, हाँ तो क्या हुआ ? जानुआ बोलता है, आरे भाभी मेरी दिन जो आ रही है । में बहत खुस हुं । बुढा दुःखी हो जाता है । फिर जानुआ ठीक् है भाभी, में आता हुं बोलके वहां से निकल जाता है । बुढी बुढा को उदास देखकर बोलती है, तुम मायुस् मत हो । जीतना दिन हमको सम्भालना था हम हमारे काम किये, अब किसी ओर की बारी है । हमको अभी जाना होगा । तुम समझ रहे हो ना में क्या केह रही हुं ? बुढा बुढी को पकडके रोता है । बुढी बोलती है, तुम रो मत । उनको उनकी दुनियां बसाने दो । बुढा सुबह बगीचा में पानी दे रहा था, बुढी उसको बोलती है सुनो तो ! में ज्यौतिष् को बोली थी आने केलिए । वो आते ही होगें, जरा देखना । और हाँ अगर जल्द आ गये तो उनको बिठाना में मन्दीर हो के आती हुं । बुढा बोलता है, हाँ में देखता हुं तुम जाउ । कुछ समय के बाद ज्यौतिष् आये । बुढा बोलता है, आरे लो ज्यौतिष् भी आ गये । बुढा ज्यौतिष् के पास जाता है और उनको घर के अन्दर बुलाता है । ज्यौतिष् को लेके बीठाता है । फिर ज्यौतिष् अपने कामपे लग जाते हैं । कुछ गिनतीयां कर रहे हैं ज्यौतिष् तभी बुढी आती है और बोलती है अच्छे से गिनना पण्ङिंत । ज्यौतिष् बोलता है, हाँ वही तो देख रहा हुं पर क्या कहुँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है । बुढा बोलता है, सबकुछ ठीक् तो है ना पण्ङिंत जी । ज्यौतिष् बोलता है, हाँ सबकुछ ठीक् तो है पर आज सादी का मोहरत अच्छा नहीं है । दो दिन के बाद अच्छे दिन है, अगर चाहो तो उसदिन सादी करबा सकते हो पर आज नहीं । बुढी बोलती है तो ठीक् है 28 तारीख को सादी फिक्स् हुई । ज्यौतिष् बोलता है ठीक् है तो फिर में आता हुं । मुझे ओर कहीं भी जाना है । बुढी बुढा को बोलती है उनको उसके दक्षिणा दे दो । बुढा कुछ पैसे ज्यौतिष् के हात में थमा देता है फिर वो आर्शीबाद करके चला जाता है । बुढी बोलती है, अब सादी की तारीख भी पक्की हो गेयी । में जाती हुं उनको बता देती हुं तुम चाये पिउो । बुढी अन्दर चली जाती है । बुढा आसमान के ओर देखता है और बोलता है जैसी तेरी लीला प्रभु हम क्या करें ? TO BE CONTINUE....... ************** ‹ Previous ChapterHAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-3) › Next Chapter HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-5) Download Our App