HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-1) in English Fiction Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-1)

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HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-1)



एक बुढा खटीया के ऊपर शो रहा है । उसकी बुढी उसका पाऊं दबा रही है । बुढा बोल रहा है, नखु भाई केह रहा था जानुआ उसको फोन किया था । बुढी बुढा के बाते सुनकर खुसीसे बोलपडी सचमें क्या ? नाही आप मजाक कर रहे हैं मेरी साथ । बुढा बोला हाँ में सच बोल रहा हुं । तुझे झूठ क्युं बोलुगीं ? बुढी बोली क्या केह रहे थे नखु भाईसे ? बरषो से गये हैं, आजतक आने को मन नहीं कर रहे हैं । इतने दिनो के बाद हमलोग याद आये उनको । जबसे गये हैं घरसे ना कोई फोन, ना कोई चिठि ! मानो जैसे वो हमको भुल चुके हैं । अच्छा ये बताउो इतने दिन के बाद फोन तो किये थे, मगर क्या बोल रहे थे बोलोना ? बुढा बोला हाँ वही तो बता रही हुं तुझे । केह रहा था की वो कल घर अानेबाला है । बुढी बोली कल अायेगें ! बुढा बोला हाँ; तु कल उसके लिये उसका पसन्दीता खाना बनादेगी । बुढी बोलती है, आरे आरे तुम यैसे क्युं बोल रहे हो ? मुझे मालुम नहीं है क्या ? मेरी छोटा देबर इतने दिनो में घर लोट रहे हैं, तुम देखना में येसा कुछ बनाऊगीं वो उगंली चाटते रेहजायेगें । बहत कुछ खिलाऊगीं उनको ।



बुढा बोला हाँ हाँ बाबा ठीक् है, तुझे सब पता है । तेरी जो मरजी तु बनालेना । बुढी बोली हाँ वो सब में देखलुगीं । पेहले उनको आने तो दो । फिर मजा चखाती हुं उन्हे । तभी अचानक अन्दर से उसकी बेटा आता है और बोलता है......माँ चाचु आयेगें ? बुढी बोलती है, हाँ कल आयेगें । बच्चा खुस हो जाता है और नाचके बोलता है......ए.....चाचु आयेगें, में उनके साथ बहत मस्ती करुगां । बुढा-बुढी बेटे के खुसी देखकर बहत खुस थे ।



जानुआ आता है एक बडा सा bag लेकर और भाबी को बुलाता है । बाहार से घरके अन्दर आके भेया को प्रणाम किया । बुढा बुढी को बुलाता है । बुढा का आवाज सुनते ही बुढी बोलती है, हाँ आ रही हुं । क्युं गला फाड रहे हो ? बुढा बोल रहा है, तनीक् जल्दी आ तो सही फिर बोलोगी । बुढी पडोश में गयी थी । भागे भागे आयी और देबर को देख के खुस होगेयी । जानुआ भाभी को भी प्रणाम किया । बुढी जानुआ के मुहँ में हात फेर लेती है, और बोलती है मेरी बच्ची को किसीकी नजर लग गयी है क्या ? मुर्छा गया है । यैसा बोल के बुढा के साथ झगडा किया बुढी । और उसको बाजार भेजा कुछ लाने
को ।



भाभी को उसके लिये परेसान् देखकर जानुआ बोला भाभी में बिलकुल ठीक् हुं । कुछ नहीं हुआ है मुझे । इतना tress मत लो भाभी आपकी तबीयत बीगड जायेगी । में आते बक्त बाजार से खाकर आया हुं । अभी मेरी पेट में थोडा भी जगह नहीं बचा है । और भैया आप कहीं मत जायो । मेरी पास बैठो, मुझे आपको बहत कुछ बताना है । बुढा हाँ हाँ में कहीं नहीं जा रहा हुं । तु पेहले जा तेरे कपडे बदल फिर हम दो भाई बैठ के बहत सारा बाते करेगें । जानुआ बोला ठीक् है भाई आप यहां बैठे में दो मिन्टो में आया । अभी गया अभी आया बोलके जानुआ रूम् के अन्दर चलागया । बुढा-बुढी देखके हसे ।




बुढा बोलता है, ये लेडका इतना बडा हो गेया है पर उसका बचपना अभीतक नहीं गया । कब खुदको बडा समझेगा पता नहीं ? बुढी बोलती है उसको जितना दिन बच्चा बनके रेहना है रेहने दो, जब कन्धे पर बोझ होगा तब सब ठीक् हो जायेगी । मगर भगबान को धन्यबाद ! वो इस बच्ची को सही सलामत घर बापस ले आये । बुढा बोला, उः हो......में इस बारे में बात नहीं कर रहा हुं । बुढी बोलती है फिर किस बात की बात कर रहे हो तुम ? बुढा बोलता है में क्या बोल रहा था की, वो निधी माष्टर के बेटा जैसा हमारी जानुआ कोई लेडकी को साथ में नहीं लेकर आया है । बरना सरम से मारे मेरी माथा झुक जाता गावँबाले के आगे । बुढी बोलती है तुम यैसे बात मत करो । वो जानते हैं, तुम कितना कुछ करके सबको इतनो से इतना बडा किये हो । इसलिए तुम यैसा कुछ मत सोचो जिसको सुनके तुम्हारे भाईयों तुमको गलत समझेगें । बुढा बोलता है, हाँ तु सही बोल रही है । जब यैसा कुछ नहीं हुआ है तो में क्युं उस बारेमें इतना सोचुगां ? ठीक् है तु जा कुछ बनाके ला खाने को, वो आता ही होगा । बुढी हाँ लाती हुं बोलकर चली जाती है ।




TO BE CONTINUE......




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