Such a big truth (part 3) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | इतना बड़ा सच(भाग 3)

Featured Books
  • انکہی محبت

    ️ نورِ حیاتحصہ اول: الماس… خاموش محبت کا آئینہکالج کی پہلی ص...

  • شور

    شاعری کا سفر شاعری کے سفر میں شاعر چاند ستاروں سے آگے نکل گی...

  • Murda Khat

    صبح کے پانچ بج رہے تھے۔ سفید دیوار پر لگی گھڑی کی سوئیاں تھک...

  • پاپا کی سیٹی

    پاپا کی سیٹییہ کہانی میں نے اُس لمحے شروع کی تھی،جب ایک ورکش...

  • Khak O Khwab

    خاک و خواب"(خواب جو خاک میں ملے، اور خاک سے جنم لینے والی نئ...

Categories
Share

इतना बड़ा सच(भाग 3)

पिछली बार पंकज आया तब राम बाबू बोले थे,"बहु को भी सा"थ ले जा।"
". अभी मैं होस्टल मे रहता हूँ।मकान मिलने पर ले जाऊंगा"
आज पंजज ने मकान मिलने कज सूचना दी थी।पत्र पढ़कर राम बाबू ने मन ही मन सोचा था।वह सब को लेकर गौहाटी जाएंगे।शिखा को पंकज के पास छोड़ आयेंगे।इस उम्र में पति पत्नी को साथ रहना चाहिए।यही तो इन लीगो के मौज मस्ती के दिन है।लड़की के मा बनने के बाद बहुत जिम्मेदारी आ जाती है।राम बाबू सोचते हुए बेड रूम मे आ गए।
सुधा सिर ढककर सो रही थी।
"क्या हुआ?"राम बाबू पलँग पर बैठते हुए बोले,"आज प्राण प्यारी क्यो मुँह फुलाये लेटी है।"
पति की आवाज सुनते ही सुधा उठ बैठी।वह पति को तीखी नज़रो से देखते हुए बोली,"मेने पहले ही मना किया था।पंकज का रिश्ता यहाँ मत करो।"
"आज अचानक रिश्ते की बात कहा से आ गई?"
"राकेश कितना अच्छा रिश्ता लेकर आया था।लेकिन तुम्हारे आदर्श आड़े आ गए,"सुधा हाथ नचाते हुए बोली,"मुझे दहेज नही चाहिए।
"हमारे पास क्या कमी है जो बेटे की शादी मे दहेज लेते।फिर हमें बेटी की शादी भी करनी है।हम दहेज लेते तो बेटी की शादी में ज्यादा देना भी पड़ता।"राम बाबू ने पत्नी को समझाया था,"फिर यह क्यो भूल रही हो।पंकज ने कई लड़कियां देखी थी।लेकिन उसे शिखा ही पसंद आई।फिर मैं क्या करता?"
"रंग रूप खूबसूरती और शिक्षा ही सब कुछ नही होती।हूर की परी ने पहली मुलाकात में ही न जाने क्या जादू कर दिया था कि पंकज तो उसका दीवाना हो गया।लेकिन बेटे की पसंद पर हां करने से पहले जांच पड़ताल तो कर ली होती।लड़की के लक्षण तो पता कर लिए होते।"सुधा की आवाज में क्रोध साफ झलक रहा था।
"जांच क्या करनी थी।रमेश मेरा बचपन का दोस्त है।हम एक ही विभाग मे काम करते है।भले ही अलग अलग शहर में है लेकिन फोन पर बात होती रहती है।"राम बाबू बोले थे।
"बड़े भोले हो।तुमने अपने दोस्त पर विश्वास कर लिया।लेकिन उसने विश्वासघात किया।दोस्त बनकर ऐसा छुरा पीठ में घोंपा है कि हम कहीं मुँह दिखाने के लायक नही रहे,"।सुधा तेज श्वर में बोली थी।
"कुछ बताओगी भी या पहेलियां बुझाती रहोगी।"पत्नी की बात सुनकर राम बाबू बोले थे।
"आज कमला आयी थी।वह कल ही आगरा से लौटी है।उसकी बहन के लड़के की शादी थी।बारात सदर गई थी।वंहा उसकी दूसरी औरतों से मुलाकात हुई।वहीं उसे किसी औरत से शिखा के अतीत के बारे में पता चला।"
"क्या पता चला?"पत्नी की बात सुनकर राम बाबू प्रश्नसूचक नज़रो से उसे देखने लगे।
"शिखा शहर के नामी कान्वेंट स्कूल में पढ़ती थी।तब स्कूल से कही भाग गई थी।उसे कई दिन बाद पकड़ा गया था।उसके घर से भागने की खबर अखबार में भी छपी थी।"कमला ने जो कुछ बताया सुधा ने पति को सुना दिया था।
"वो उम्र ही ऐसी होती है।फिल्मी हिरोइनो के बारे में पढ़कर,फिल्मे देखकर लड़कियां ऐसी प्रभावित होती है कि हीरोइन बनने के सपने देखने लगती है और घर से भाग जाती है।नादानी मे अक्सर लड़कियों से ऐसी गलती हो जाती है।"राम बाबू ने पत्नी को समझाया था।
"तुम इसे गलती कह रहे हो।नाक कटवा दी इसने हमारी।तुमने मेरे फूल से बेटे के पल्ले कुलक्षणी बांध दी।इसे तुम फ़ौरन मायके भेज दो।"सुधा गुस्से में बोली