gharonda in Hindi Children Stories by Udita Mishra books and stories PDF | घरौंदा

Featured Books
Categories
Share

घरौंदा

घरौंदा

एक दिन खुशी के घर में काम करने वाले काका ने खुशी की मम्‍मी को बताया "मेडम सा‍हब अपने घर के पास जो बिजली का मीटर है ना कल उसके ऊपर एक गोरैया ने घोंसला बनाया था जो मैंने तोड़कर फेंक दिया क्योंकि अगर कभी मौसम बदला और हवा चली तो पूरा घोंसला उड़कर अपनी खिड़की से अंदर बिखर जाएगा और कचरा फैल जाएगा।"

ये बात सुनकर खुशी की मम्‍मी बहुत दुखी हुईं ।

खुशी की मम्‍मी ने काका से तो कुछ नहीं कहा पर मन ही मन यह सोचकर बहुत दुखी हुई कि जब वो गोरैया अपने घोंसले को नहीं देखी होगी तो वह कितनी दुखी होगी उसने वो घोंसला कितनी मेहनत और प्यार से बनाया होगा ।

कुछ देर चुप रहने के बाद खुशी की मम्‍मी ने काका से पूछा "उस समय गोरैया के घोंसले में अंडे या बच्चे तो नहीं थे"

काका बोले "नहीं मेडम सा‍हब उस समय घोंसला बिलकुल खाली था । उसमें अंडे या बच्चे होते तो मैं घोंसला नहीं तोड़ता"

इस पर तनु ने कहा "ठीक है।"

खुशी की मम्‍मी ने यह सारा किस्सा खुशी को बताया तो खुशी को बहुत गुस्सा आया और बोली "मम्मी अगर कोई काका का घर तोड़ दे तो उनको कैसा लगेगा"

खुशी के पापा के पूछने पर मम्‍मी ने यह सारा किस्सा उनको बताया इस घटना से दो चार दिन तनु और खुशी का मूड़ खराब रहा । पर एक सुबह अचानक चीं चीं की मीठी सी आवाज से खुशी की आँखें खुली वो आवाज थी गोरैया का जोड़े की , जो बाहर जहाँ खुशी की सफेद वैगन आर कार रखी जाती थी, वहाँ की एक दीवार के छेद में अपना घोंसला बना रहे थे जिन्‍हें देखकर खुशी को बहुत अच्‍छा लगा उसने सोचा कि हो सकता है यह वही गोरैया का जोड़ा हो जिनका घोंसला काका ने तोड़ा था।

अब खुशी, मम्मी-पापा का रूटीन बन गया कि एक प्लेट में उन गोरैया लोगों के खाने के लिए दाने और मिट्टी के बर्तन में पीने के लिए पानी रखने लगे और अगले दिन से गोरैया के जोड़ा दाने खाने पानी पीने आने लगे और खाना खाकर पानी पीकर अपने घोसले पर चले जाते।

कुछ ही समय के बाद चिर्री ने अंडे दिये ।

एक दिन खुशी के पापा ने उ‍से बताया "आज सुबह गोरैया का एक बच्‍चा जमीन में पड़ा मिला शायद उसने उड़ने की कोशिश की पर असफल हो गया और नीचे गिरकर मर गया"

यह सुनकर खुशी को बहुत दु:ख हुआ क्‍योंकि कुछ दिन पहले ही उसने उस गोरैया के एक फूटे अंडे को जमीन पर गिरा पाया था अब केवल एक ही बच्चा बाकी था। अब चिर्रा और चिर्री अपने उस बच्‍चे का ज्‍यादा ध्‍यान रखते अब उन दोनों में से एक हमेशा बच्‍चे के साथ घोंसले में रहता ऐसा कई दिनों तक चलता रहा पर एक दिन अचानक चिर्री कहीं चली गई और अब उस बच्‍चे की पूरी देखभाल करने की, खाना ख्‍ािलाने की, उड़ना सिखाने की पूरी जिम्मेदारी चिर्रे की थी जो वो बहुत अच्छे से और बहुत प्यार से निभाने की कोशिश कर रहा था ।

बहुत दिनों तक चिर्री नहीं आई तो काका ने कहा "लगता है चिर्री अपने घर का रास्‍ता भटक गई या क‍िसी बड़े पक्षी का शिकार बन गई।"

ये बातें सुनकर खुशी अपनी मम्मी से बोली " चिर्री को कुछ नहीं हुआ और ना ही रास्‍ता भटकी है। मुझे ऐसा लगता है कि ये गोरैया लोगों का नियम होगा कि चिर्रा बच्चों का पालन पोषण करे और जिम्मेदारी समझे।"

और सच में कुछ समय बाद जिस दिन वो गोरैया का बच्चा बड़ा होकर उड़ गया तो उसके अगले दिन वो चिर्री वापस आ गई जिसे देखकर खुशी, मम्मी और पापा बहुत खुश हुए ।

******