Nariyottam Naina - 7 in Hindi Women Focused by Jitendra Shivhare books and stories PDF | नारीयोत्तम नैना - 7

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नारीयोत्तम नैना - 7

नारीयोत्तम नैना

भाग-7

अलग-अलग समुदाय के प्रेमी युगल एक दिन विधायक जितेन्द्र ठाकुर से मिलने आये। उनकी जान को परिजनों से खतरा था। यह विधायक महोदय को उन्होंने बताया। दोनों घर से भागकर विवाह कर चूके थे। दोनों के बालिग होने के बावजूद पुलिस अशांति व्याप्त होने के भय से उनका सहयोग नहीं कर रही थी। पुलिस दोनों को अलग-थलग कर अपने-अपने घर भिजवाना चाहती थी ताकी शहर में कोई बड़ी साम्प्रदायिक घटना न घटित हो जाये?

सलमा के चेहरे में नैना को और विनित में स्वयं की परछाई देख रहे विधायक जितेन्द्र ठाकुर ने दोनों की सहायता करने की ठान ली। उन्होंने अपने फार्महाउस पर दोनों के ठहरने की व्यवस्था कर दी। पुलिस अधीक्षक से मिलकर सलमा और विनित के विषय में सकारात्मक भूमिका निभाने की उनसे अपील की। मीडिया को भनक लगी की विधायक महोदय सलमा और विनित की मदद कर है तब किसी ने उन्हे अच्छा नेता बताया तो किसी ने बुरा। मगर विपक्ष ने विधायक महोदय के फार्म हाउस पर छापा पड़वाकर दोनों प्रेमी युगल को पुलिस के द्वारा पकड़वा दिया। सलमा की ओर से आये रिश्तेदारों ने विनित पर जान लेवा हमला कर दिया। विनित को अधमरा देख सलमा ने स्वयं पेट में चाकू घोंप लिया। राजनितिक गलियारे में विधायक जितेन्द्र ठाकुर की बहुत बदनामी हुई। जितेंद्र ठाकुर के पिता यशवंत ठाकुर और बड़े भाई राजेंद्र ठाकुर ने तुल पकड़ रहे इस मामले को किसी तरह संभाला।

विपक्ष ने हर मोर्चे पर इस संवदेनशील मामले को पुरे प्रदेश में जमकर उछाला। स्वयं मुख्यमंत्री जी ने फोन पर विधायक जितेन्द्र ठाकुर को इस विषय में फटकार लगाई। यशवंत ठाकुर की पुश्तैनी राजनीतिक स्वच्छ छवि और दिल्ली सरकार की उनके परिवार पर विशेष कृपा वश विधायक जितेन्द्र ठाकुर पार्टी से निष्कासित होते-होते बाल-बाल बच गए।

राजेंद्र ठाकुर अपने छोटे भाई जितेंद्र ठाकुर का विवाह प्रदेश पार्टी अध्यक्ष राधेश्याम भुल्लर की बेटी तनुश्री भुल्लर के साथ करना चाहते है। राधेश्याम भुल्लर के सहयोग के बिना राजेंद्र ठाकुर को देवास शहर के लिए सांसद का टीकीट पार्टी की ओर से मिलना मुश्किल था। स्वयं राधेश्याम भुल्लर ने अपनी बेटी की शादी जितेंद्र ठाकुर से कराने की ईच्छा यशवंत ठाकुर के सम्मुख दर्शाई थी। यशवंत ठाकुर ने स्पष्ट शब्दों राधेश्याम भुल्लर को कह दिया था की बेटे की पसंद के बिना यह शादी नहीं हो सकती। जितेंद्र ठाकुर ने तनुश्री से शादी करने में कोई ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। राजेंद्र ठाकुर ने राधेश्याम भुल्लर को भरोसा दिलाया था कि उनके भाई की शादी तनुश्री से ही होगी। राधेश्याम भुल्लर ने भी राजेन्द्र ठाकुर के अपने संकल्प पुर्ण करने के वादे के समकक्ष उसे सांसद का टीकीट दिलवाने का वचन दे दिया था।

सलमा और विनित के प्रकरण की जानकरी नैना को भी थी। अनायास ही उसे जितेंद्र ठाकुर की चिंता सताने लगी। विचार कर उसने विधायक जी को फोन किया-

"एमएलए सर! ये आप क्या कर रहे है? इससे आपकी और आपकी पार्टी की कितनी बदनामी हो रही है।" नैना ने कहा।

"वो प्यार ही कैसा नैना जी जिसकी दुनियां को खबर न लगे। आप इसे बदनामी समझती है और मैं इसे एक प्रेमियों की जीत मानता हूं।" विधायक जी बीले।

विधायक जितेन्द्र ठाकुर जान चुके थे कि नैना को उनकी फिक्र होने लगी है। उसके ह्दय में कहीं न कहीं जितेंद्र ठाकुर जगह बनाने में कामयाब हो ही गये। किन्तु अभी कुछ ओर शेष था क्योंकि नैना ने विधायक जी का प्रेम अभी भी स्वीकार नहीं किया था। नैना के अन्दर अपने प्रति विश्वास जगाने के लिए उसने नैना और उसकी सहेली को अपने फार्महाउस पर आमन्त्रित किया।

प्रारंभिक ना-नुकुर के उपरांत नैना विधायक महोदय के फार्म हाउस पर जाने के लिए राजी हो गयी। काॅलेज से नैना और नुतन विधायक महोदय द्वारा प्रेषित कार में बैठकर विधायक जी के फार्म हाउस पहूंच गयीं।

"इसे सिवैया कहते है नैना। आप दोनों को याद होगा बचपन में हम अपने गली मोहल्ले के लोग मिलकर घरों से थोड़ा-थोड़ा गेंहू का आटा गूंथकर किसी पेड़ के नीचे बैठकर सिवैया बनाया करते थे। सिवैया की मशीन को खटिया से बांधकर हम सभी बारी-बारी से एक-दूसरे के परिवार की मदद से सिवैया बनाकर धागे के जाल पर सुखाया करते थे।" विधायक महोदय ने फार्म हाउस के अन्दर बड़े से हाॅल में प्रवेश करते ही कहा। जहां कुछ महिलाएं वही पुरानी प्राचीन पध्दति से सिवैया बना रही थी। नैना और नूतन बचपन की यादों में पहूंच गई थी। जब वे दोनों आगे बढ़ी तब उन्होंने देखा कि रसोईघर के पुराने जमाने के बड़े घरेलू बर्तनों पर अन्य कूछ महिलाएं मिर्च मसाले और अन्य सामग्री पीस रही थी। गेंहू का आटा पत्थर की दो पाटों की चक्की से पीसा जा रहा था। महिलाएं विभिन्न तरह के लड्डू बना रही थी। कुछ महिलाएं इन सभी तैयार सामग्री की पैकिंग कर छोटे-बड़े बाॅक्स में रख रहीं थी। नमकीन, पापड़, अचार , चिप्स आदी सभी देशी पुरातन पध्दति से निर्मित किये जाने की व्यवस्था थी। इस हाॅल से बाहर निकल जब खुले खेत खलिहान की तरफ वे दोनों बढ़ी तब उन्होंने देखा कि कृषि उपज भी शुध्द देशी तरीके से उगाई जा रहीं है। बहुत से पुरूष कृषि कार्य में तल्लीन दिखाई दे रहे थे। कृषि भुमि पर जैविक गोबर खाद का छिड़काव चल रहा था। सब्जियां बिना रासायनिक खाद के छिड़काव किये उपजाई जा रहीं थी। तिलहन और दलहन फसल की सुगंध चारों तरफ फैली थी। फल बागान में इन्हीं कर्मचारियों के बच्चें आनंद से फल का सेवन करते हुये पेड़ो पर बंधी रस्सियों पर झुला झूल रहे थे। बड़े बच्चे चीकू, अंगूर व आम के फलों को पेटियों में सावधानी से रख रहे थे। ये विक्रय हेतु फल मण्डी भेजे जाने थे।

महिलाओं और पुरूषों के लिए पृथक-पृथक व्यायामशाला, स्वीमिंग पुल और खिलाड़ियों के लिए खेल सामग्री के साथ बड़ा सा खेल मैदान देखकर नैना की आंखे आश्चर्यचकित हो गयी।

फार्म हाउस के मैनेजर ने बताया कि फार्म हाउस पर काम करने वाले कर्मचारियों को अच्छा वेतन दिया जाता है। साथ ही आसपास के रहवासी यहां आकर आनंद के साथ समय बिताने आते है। घर से रहवासी कच्ची रसोई सामग्री लाकर फार्महाउस के संसाधन उपयोग कर घरेलू सामग्री निःशुल्क बनाकर ले जा सकते है। इससे महिलाओं का स्वास्थ्य उत्तम रहता है तथा मिलजुलकर रहने से परस्पर प्रेम बढ़ता है।

"नैना! मेरी ये ईच्छा है कि इस फार्म हाउस को तुम सम्भालों!" जितेंद्र ठाकुर ने हृदय की बात कह दी। नूतन प्रसन्नचित होकर नैना के उत्तर की प्रतिक्षा कर रही थी। नैना विचार मग्न थी। पुनः वह कशमकश से गुजर रही थी। फार्म हाउस की जिम्मेदारी लेना मतलब जितेंद्र ठाकुर से विवाह की रजामंदी देना था। नैना ने कभी दबाव अपने ऊपर हावी नहीं दिया था। मगर आज जितेंद्र ठाकुर के प्रणय प्रस्ताव पर अनन्तिम निर्णय उसे सुनाना ही था। जितेंद्र ठाकुर और नूतन, नैना को आशा भरी निगाहों से देख रहे थे। नैना ने अनुभव किया कि शब्द जुबान पर आते-जाते रूक जा रहे थे। दिल और दिमाग के कोतूहल को शांत कर आखिरकार नैना ने दिल की बात स्वीकार कर ली।

"विधायक जी! मैं आपके इस फार्म हाउस की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं।" नैना निडर होकर बोली।

नूतन और जितेंद्र ठाकुर के चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे। आगंतुक कक्ष में देखते ही देखते हंसी-खुशी का महौल बन गया। तनुश्री और उसके दोस्त वहां आ पहूंचे। वे सभी अप्रैल फुल ,अप्रैल फुल कै नारे लगा रहे थे।

नैना के पैरों तले जमींन खींसक गई। नूतन यह सब देखकर बहुत गुस्से में थी।

"साॅरी नैना! इस बार जितु और मैंने रेण्डमली तुम्हारा चयन किया था। मुर्गा बनाने के लिए।" तनुश्री कक्ष के दरवाजे से अन्दर आते हुये बोली।

"मतलब ये सब एक मजाक था।" नैना चौंकी।

"हां नैना तुमसे मिलना, तुमसे प्यार का इजहार करना ये सब मजाक था। एक नाटक था।" जितेंद्र ठाकुर ने आंखों पर चश्मा चढ़ाते हुये कहा। उनके चेहरे पर जीत की खुशी तैर रही थी।

तनु श्री और उसके दोस्त पार्टी आरंभ कर चूके थे। डीजे साऊण्ड पर फिल्म गीत बज उठे। बीयर की बोलत के ढक्कन खुलने लगे। नुतन ने नैना का हाथ पकड़ उसे वहां से चलने को कहा। मगर नैना के मन में कुछ चल रहा था। उसके कदम साउंड सिस्टम की बढ़ रहे थे। नैना ने साउंड सिस्टम का स्वीच तुरंत ऑफ कर दिया।

"अरे ये क्या कर रही है पागल लड़की?" एक नवयुवक नैना का हाथ पकड़ने दौड़ा।

"तड़ाक!" नैना का जोरदार प्रहार उस युवक के गाल को लाल कर गया। वातावरण में शांति व्याप्त हो गई।

"मि• विधायक जितेन्द्र ठाकुर! आपने मेरे साथ जो घटिया मजाक किया है उसके लिए मैं आपको कभी माफ नहीं करूगी।" नैना की आंखों में खुन ऊतर आया था। तनुश्री के साथ स्वयं जितेंद्र यह देखकर अवाक् रह गये।

"आपको ये मजाक अब भारी पड़ने वाला है!" नैना बोली।

"अच्छा! क्या करोगी तुम?" विधायक महोदय ने सम्भलकर पुछा।

"आपने मेरे साथ प्यार का नाटक किया। मेरी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। और मैं बेवकूफ धीरे-धीरे आपको चाहने लगी थी। अब आप से जो बन सकता है वो कर लिजियेगा। चाहे कुछ भी हो जाये मेरी शादी अब आपके साथ ही होगी।" नैना का दृढ़ संकल्प सुनकर तनुश्री के होश उड़ गये।

नैना और नूतन वहां से जा चूके थे। नैना जब घर पहूंची तो उसने देखा विधायक महोदय के पिता यशवंत ठाकुर और उनकी पत्नी उसी के घर में डाइनिंग हाॅल में बैठकर चाय पी रहे थे। नैना को देखकर ठाकुर दम्पति मुस्कुरा दिये। नैना ने करीब पहूंचकर दोनों के पैर छूये।

"देखो बेटा नैना! मुझे नहीं पता कि तुम्हारे दिल में क्या है? लेकिन मैंने जितु का मन टटोला है। वह तुम्हे बहुत चाहता है। अगर तुम्हारी हां है तब ही हम इस रिश्तें को आगे बढ़ायेगें?" यशवंत ठाकुर ने नैना से कहा। नैना ने बिना समय गंवाये यशवंत ठाकुर को जितेंद्र से विवाह हेतु सहर्ष रजामंदी दे दी। ठाकुर दम्पति उसे शकुन के रूप में स्वर्ण चैन देकर विवाह की बात पक्की कर वहां से विदा हो गये। नैना ने जान लिया कि आज उसके साथ हुई घटना की जानकरी ठाकुर दम्पति को नहीं है। विवाह के संबंध को ओर भी प्रगाढ़ता प्रदान करने के लिए नैना ने उन्हें बिना कुछ बताये अपनी और जितेंद्र ठाकुर की शादी का शगुन सहर्ष स्वीकार कर लिया। नूतन भी सब देखकर अनजान बनी रही। नैना की उसे यही समझाइश थी कि वह अभी किसी से कुछ न कहे।विधायक जितेन्द्र ठाकुर को यह डर था की अप्रैल फुल वाली घटना नैना कहीं सार्वजनिक न कर दे? इससे उसकी बहुत बदनामी होगी। जो राजनीति और पार्टी में बने रहने के लिए अच्छी बात नहीं है।

मगर नैना ने ऐसा नहीं किया। उसने स्वयं जितेंद्र ठाकुर को फोन कर निश्चिंत हो जाने को कहा। नैना ने उनसे यह भी कहा की वह वैधानिक तौर-तरीके अपनाकर ही जितेंद्र के ह्रदय में अपने लिए प्यार जगाकर रहेगी। परिस्थितियां उसके कितने ही विरूध्द हो जाये! वह अनवरत रूप से जितेंद्र से प्रेम करती रहेगी। नैना की प्रभावी बातें जितेंद्र ठाकुर के मन में हलचल मचाने के लिए काफी थी। किन्तु अपने झुठे अहम को छोड़कर एक मामूली लड़की के आगे झुकना जितेंद्र ठाकुर को गंवारा नहीं था।

घर पर यशवंत ठाकुर से जितेंद्र ठाकुर की इस बात पर बहस हो गई कि उससे पुछे बगैर उनके माता-पिता नैना से उसकी शादी की बात पक्की क्यों कर आये? यशवंत ठाकुर आज पहली बार जितेंद्र ठाकुर का विरोध देखकर आश्चर्यचकित हो गये।

तनुश्री भी वहां चुकी थी।

"अंकल हम दोस्तों ने नैना के साथ मिलकर एक मजाक किया था। अब सब कुछ ठीक हो गया है। जितू, नैना से कोई प्यार नहीं करता। आप इस संबंध को यही खत्म करे।" तनुश्री ने यशवंत ठाकुर से कहा।

"ये सब मजाक था?" माला ठाकुर अवाक् रही गयी। यशवंत ठाकुर भी चौंक गए।

"भाईसाहब ये बच्चें मस्ती-मजाक कुछ ज्यादा ही करने लगे है। इससे पहले की ये लोग कोई बड़ा दन्तोफान खड़ा करे, हमें इन्हें परिणय बंधन में बांध देना चाहिए।" राधेश्याम भुल्लर अपनी बेटी के पीछे-पीछे आते हुये बोले।

"राधेश्याम जी! मैं कब इंकार कर रहा हूं। तनुश्री के मन की जानता हूं। जितू अगर हां कह दे तो कल ही दोनों की शादी करवा देते है।" यशवंत ठाकुर बोले।

"दद्दा! चुनाव सिर पर है। चुनाव के बाद विवाह के बारे बात करेंगे।" जितेंद्र ठाकुर ने अपने पिता से कहा।

"ठीक है जितेंद्र ठाकुर! लोकसभा चुनाव निकल जाने देते है। उसके बाद हम तुम दोनों की शादी करवा देंगे ठीक है।" राधेश्याम भुल्लर अपनी बेटी तनुश्री को गले लगाकर बोले। तनुश्री इस बात से ही खुश हो गयी कि परिवार के लोग उसका विवाह जितेंद्र से करवाये जाने के समर्थन में है। चिंता तो इस बात की थी कि जितेंद्र ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया था कि वह तनुश्री से प्यार करता है या नहीं। ऊपर से नैना का प्रकरण अलग से उन दोनों के बीच दुरीयां बढ़ाने के लिए तैयार खड़ा था। रह-रह कर उसे नैना की चुनौती याद आ जाती जिसमें उसने हर कीमत पर जितेंद्र ठाकुर से विवाह करने का संकल्प ले लिया है।

महाविद्यालयीन गीत-गज़ल प्रतियोगिता का फाइनल बीसीजी काॅलेज के भव्य हाॅल में आयोजित किया जा रहा था। देवास और आसपास के सभी निजी और शासकीय महाविद्यालय के युवक-युवती इस आयोजन में भाग लेने पहूंच रहे थे। पचास फाइनलिस्ट कवि-शायरों में से अन्तिम पांच प्रतियोगी यों को सांध्यकालीन प्रमुख अतिथियों और साहित्यकारों के बीच अपनी-अपनी रचना की प्रस्तुति देनी थी। कैबिनेट मंत्री प्रमुख अतिथि के साथ विशेष अतिथि क्षेत्रीय विधायक जितेन्द्र ठाकुर भी मंचासीन थे। पांच प्रतिभागियों में प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थान का चयन मंत्री जी के सम्मुख किया जाना था। नैना सोलंकी को अन्य चार प्रतिभागियों की प्रस्तुति उपरांत मंच संचालक ने पुकार कर जितेंद्र ठाकुर को चौंका दिया। छात्र-छात्राओं से हाॅल खचाखच भरा था। उस पर प्यार-मोहब्बत पर गीत-गज़ल पढ़कर कवि/ श़ायरों ने युवाओं का दिल जीत लिया था।

नैना ने गज़ल पढ़ना शुरू किया-

इस दिल पर हो चूका है हमला सभी का

मानता नहीं फिर भी दिल ये पगला कहीं का।

समुन्दर से उठा लिजिए मोती बहुत है

बराबर दे चूका वो निवाला सभी का।

इश्क़ में अमीरी गई ताज लुट गये

निकल चुका है इसमें दिवाला सभी का।

नेक इरादे हो अगर मोहब्बत तो सुनो

निगाहबाह है वो ऊपर वाला सभी का।

रूह की जब चाह हो जिस्म से आगे

है मिशाल वो यहां हिम्मतवाला सभी का।

नैना के हर शेर पर जोरदार तालियां बज रही थी। जितेंद्र ठाकुर की मुख मुद्रा भी सामान्य हो चली थी। उसे भरोसा हो गया कि नैना उसी के लिए यह गज़ल पढ़ रही थी। नैना की गज़ल में मोहब्बत तो बेसुमार झलक रही थी । इसके साथ ही शेरों में युवाओं को पवित्र प्रेम का संदेश दिया गया था। बाधाओं से लड़कर अपने प्यार को उच्च आदर्शों के साथ स्वीकारने वाली नैना की गज़ल प्रथम पुरस्कार हेतु चयनित की गई। जितेंद्र ठाकुर का नैना के प्रति जो क्रोध था वह शनै: शनै: जाता रहा था ।

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