नारीयोत्तम नैना
भाग-6
डोर बैल बज रही थी। सुप्रिया ने उठकर द्वार खोला। पिज्जा ब्वॉय द्वार पर पिज्जा लिये तैयार खड़ा था। सुप्रिया ने पिज्जा का पेमेंट किया। पिज्जा ब्वॉय उमेश ने पिज्जा सुप्रिया के हाथों में सौंप दिया। वह शेष रूपये लौटाने लगा।
"किप दी चेन्ज।" सुप्रिया बोली।
"नो मेम! आप ये चेन्ज रखिये।" उमेश बोला।
"अरे रख लो भाई। खुशी से दे रहे है। आखिर तीन माला चढ़कर आये हो। ये तुम्हारी मेहनत का इनाम है।" पीछे से आई सुप्रिया की सहेली अनन्या ने सुप्रिया के हाथों से पिज्जा लेते हुये कहा।
"नो मेम! थैंक्यू! मेरे काम के बदले मुझे सैलरी मिलती है। हैव न नाइस डे। गुडबाॅय मेम!" कहते हुये उमेश जाने लगा।
"एक मिनीट रूको! तुम वही उमेश हो न जो मेरे साथ काॅलेज में थे?" सुप्रिया ने पुछा।
"जी हां मैम। मैं वही उमेश हूं। आपका क्लासमेट।" उमेश ने सहमती जताई।
"ओह माई गाॅड! तुम अभी भी पिज्जा डिलेवरी का ही काम कर रहे हो? आई थिंग पांच साल हो गये, हम दोनों एक साथ काॅलेज से पासआउट हुये थे?" सुप्रिया बोली।
"यस मैम यु आर राइट।" उमेश बोला।
"अरे भई! इतने सालों में भी तुम यही काम कर रहे हो? कोई तरक्की नहीं की। क्यों?" सुप्रिया की बातों से घृणा भरी थी।
"मैम! इस काम में क्या बुराई है? काम कोई भी हो? वह छोटा या बड़ा हो सकता है। मगर हर वो काम जिसमें परिश्रम और सच्चाई की मिली-भगत हो वह काम अच्छा ही होता है। वर्क इज वर्शिप! यु रिमेम्बर!" उमेश की बातें आत्मविश्वास से लबरेज थी।
"तुम बिल्कुल नहीं बदले उमेश। वही बड़ी-बड़ी बातें आज भी तुम्हारा पिछा नहीं छोड़ रही है। मगर आदमी तुम आज भी छोटे ही रह गये।" सुप्रिया ने व्यंग कसा।
सुप्रिया ने अपनी सहेली अनन्या को बताया कि काॅलेज टाइम में उमेश ने उसे प्रपोज किया था। जिसे सुप्रिया ने अस्वीकार कर दिया था। उमेश तब भी पिज्जा डिलेवरी का कार्य करता था। अपनी पढ़ाई और बाकी के खर्चों के लिए वह यह कार्य खुशी-खुशी करता था।
सुप्रिया की आज सगाई थी। मेहमानों से घर पटा पड़ा था। शाम को होटल मथुरामहल में सुप्रिया और सुयश की सगाई की सैरमनी सुनिश्चित थी। संयोग से पिज्जा हेतु उमेश को लंच पार्टी में स्टाल पर खड़े होकर मेहमानों को पिज्जा वितरण करना था। सुप्रिया की सहेलियों में नैना भी पार्टी में आमंत्रित थी। पिज्जा स्टाल पर अपने पुर्व काॅलेज फ्रेंड् उमेश को देखकर नैना हैरत में पड़ गई। उसने उमेश से बात करने का मन बनाया।
"यह क्या उमेश! पिज्जा निर्माण कम्पनी के मालिक होकर युं इस तरह पिज्जा स्टाल पर खड़े होकर पिज्जा वितरण करना क्या तुम्हें शोभा देता है?"
नैना ने उमेश को डांटा।
"बस ऐसे ही नैना! मुझे यह सब करने में बड़ा आनंद आता है।" उमेश ने कहा।
नैना की जिद से वह पिज्जा टेबल छोड़कर बाहर आ गया। दोनों वहीं गार्डन में एक टेबल के इर्द-गिर्द रखी चेयर पर बैठ गये।
"अब बताओ क्या बात है? अपनी पुर्व प्रेमीका के मेहमानों पर इतनी मेहरबानी क्यों? सादगी बहुत अच्छी चीज होती है, लेकिन इतनी अधिक गले नहीं उतर रही है।" नैना ने बताया।
"दरअसल नैना मैं चाहता हूं कि सुप्रिया को सदैव यही लगता रहे की मैं एक पिज्जा ब्वॉय ही हूं। ताकी मेरी हकीकत जानकर कही वो खुद पर गिल्टी फील न करने लगे।" उमेश ने बताया।
सुप्रिया ने सुयश को अंगुठी पहना दी थी। सुयश ने भी सुप्रिया को अंगुठी पहनाकर रस़्म पुरी कर दी। तालियों की गड़गड़ाहट ने नैना और उमेश की बातों में विघ्न डाल दिया। दोनों स्टेज की ओर देखने लगे।
कुछ पल के बाद जब नैना ने पलटकर उमेश की ओर देखा तो वह अपनी चेयर पर नहीं था। उमेश पार्टी छोड़कर जा चूका था।
नैना को उमेश का यह व्यवहार किसी रहस्य से कम नहीं लग रहा था। मन में उठते अनेकानेक प्रश्नों के उत्तर के लिए उसने सुप्रिया से अगले दिन मुलाकात का समय निश्चित किया।
"ये क्या कह रही है नैना तुम? उमेश और फीडो पिज्जा कम्पनी का मालिक है? आई कान्ट बीलिव इट!" सुप्रिया ने आश्चर्य प्रकट किया।
"सच्चाई पर विश्वास करना कठीन ही होता है सुप्रिया। ये देखो सोशल मीडिया पर।" कहकर नैना ने उसे मोबाइल पर वीडियों दिखाया।
"ये जो सरकारी स्कूल के बच्चों को हजारों रूपये का पिज्जा खिला रहा है, ये उमेश ही है। एक आम आदमी इतना कभी नहीं कर सकता। मगर उमेश हर सप्ताह अलग-अलग स्थानों पर जाकर अपरिचित और वंचित व्यक्तियों के बीच जाकर पिज्जा पार्टी बड़े ही आनंद से करता है।" नैना ने बताया।
सुप्रिया को अब भी भरोसा नहीं हो रहा था।
"कल हम दोनों मिलकर उमेश के ऑफिस चलेंगे।" नैना ने कहा।
सुप्रिया की सहमती पाकर नैना घर लौट गयी। सुप्रिया भी यह जरूर जानना चाहती थी एक साधारण सा दिखने वाला उमेश क्या वास्तव में फ्रीडो पिज्जा कम्पनी का बाॅस है?
नैना और सुप्रिया अगले दिन निर्धारित दोपहर बारह बजे फ्रीडो पिज्जा कम्पनी के ऑफिस पहूंच गये। यहां से संपूर्ण भारत में फैले पांच सौ पिज्जा डिलेवरी शाॅपस् पर मानिटरिंग की जाती थी। कर्मचारियों के ग्राहक से व्यवहारिक सहयोग एवं उनके निजी वेतन, भत्ते आदि का समुचित प्रबंधन उमेश के निर्देशन में बखूबी किया जा रहा था। उमेश के सहयोग हेतु ऑफिस में सुव्यवस्थित एक उच्चस्तरीय टीम कार्य कर रही थी। उमेश को ऑफिस के बाॅस के रूप में देखकर सुप्रिया के होश उड़ गये।
"सुप्रिया! पांच वर्षों में उमेश ने खुद को नहीं बदला लेकिन अपने कर्तव्यनिष्ठा से वर्तमान में सफलतम व्यवसायी की श्रेणी में खुद को खड़ा जरूर कर दिया है।" नैना और सुप्रिया उसी ऑफिस के पिज्जा कार्नर में बैठकर बातें कर रहीं थी। नैना ने वेटर को दो पिज्जा का ऑर्डर दे दिया।
"उमेश आज भी तुमसे बहुत प्यार करता है नैना! इसीलिए उसने आज तक शादी नहीं की।" नैना ने सुप्रिया को अगला सच बताया।
"क्या?" सुप्रिया चौंकी।
"क्या यह सच तुम्हें स्वयं उमेश ने बताया है?" सुप्रिया ने कहा।
"सभी बातें कही नहीं जाती। मैंने अनुभव किया है। उसके मन मंदिर में आज भी तुम ही हो।" नैना ने सुप्रिया को यह भी बताया की उमेश नहीं चाहता की उसकी सफलता की कहानी सुप्रिया को पता चले। सुप्रिया किसी ओर शादी करने जा रही है। उसके भावी वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की हलचल उत्पन्न होने के सर्वथा उमेश विरूद्ध था।
"मगर अब यह जानकर भी क्या फायदा नैना। आई एम ऐंग्ज्ड! सुयश से मेरी सगाई हो चूकी है।" सुप्रिया ने कहा।
"सगाई ही हुई है न! शादी तो नहीं हुई! सुप्रिया, सुयश को बहुत सी सुप्रिया मिल जायेंगी। लेकिन सुप्रिया को उमेश जैसा कोई नहीं मिल सकेगा। क्योंकि उमेश तो एक ही है न! जिसने अपना सबकुछ सुप्रिया को मान लिया है।" नैना ने कहा।
नैना की बातों ने सुप्रिया के अन्तर्मन को झकझोर कर रख दिया था। कुछ पल वह विचारमग्न हो गयी। यकायक अगले ही पल वह अपनी चेयर से उठकर खड़ी हो गई। उसके कदम उमेश के कैबीन की ओर बढ़े जा रहे थे। नैना प्रसन्न थी। वह वहीं बैठकर सुप्रिया के लौटने का इंतजार करने लगी। आज वास्तविकता में दो प्रेमियों का मिलन होने जा रहा था।
"मैं आई कमीन!" सुप्रिया ने उमेश के कैबीन का द्वार खटखटाते हुये पुछा।
"यस प्लीज कमीन!" उमेश ने कहा।
सुप्रिया को अपने सामने खड़ा हुआ देखकर उमेश चौंक गया।
"अरे आप! आईये-आईये! बैठिये!" उमेश हड़बड़ी में बोल उठा।
"उमेश! आप इतने बड़े व्यक्ति बन गये। उस दिन पिज्जा डिलेवर करने आये थे तब भी मुझे जरा भी अहसास होने नहीं दिया।" सुप्रिया बोली।
"लोग मुझे बड़ा मानते है, मगर मैं तो आज भी स्वयं को एक पिज्जा डिलेवरी ब्वॉय ही समझता हूं।" उमेश अपनी सीट से उठकर बोला।
"मेरी कड़वाहट के बदले में इतनी मिठास कैसे दे सकते हो आप? मैंने काॅलेज में आपके प्रेम प्रस्ताव को नकार दिया था। आप तब भी मुस्कुरा रहे थे। इसके बाद भी जब-जब आप मुझसे मिले, मैंने सीधे मुंह आपसे बात तक नहीं की। मेरी जैसी घमण्डी लड़की को आपने अब तक कोई उचित सबक क्यों नहीं सिखाया?" सुप्रिया अपने पुर्ववर्ती व्यवहार पर आत्मग्लानि से भरकर बोली।
"क्योंकी मैं तुम बहुत प्यार करता हूं सुप्रिया! तब भी करता था, अब करता हूं और हमेशा करता रहूंगा।" उमेश ने सीधे-सीधे उत्तर दे दिया। आकाश में बिजली कड़क रही थी। यह वर्षा ॠतु के आगमन की सुचना थी। तेज हवाओं ने वातावरण में ठण्डक घोल दी थी। हल्की बुन्दा-बांदी आरंभ हो चूकी थी। अगली बिजली की कड़कड़ाहट की तीव्र ध्वनी ने सुप्रिया को उमेश के हृदय से लग जाने पर विवश कर दिया।
"मेरी सगाई हो चूकी है उमेश!" सुप्रिया बोली। उमेश उसे अपनी बाहों की सांत्वना दे रहा था।
"रिश्ते दो शरीर को जोड़ते है सुप्रिया! मेरा और तुम्हारा तो अन्तर्मन का संबंध है। जो छलावा रहित होकर परमार्थ के लिए समर्पित है।" उमेश की बातें आध्यात्मिक हो चूकी थी।
"इतना प्रेम करते थे तो खुलकर सामने क्यों नहीं आये। पहली असफलता से क्यों घबरा गये।" सुप्रिया गुस्से में आ गयी थी। वह अभी भी उमेश के हृदय से सटकर खड़ी थी।
"प्रेम जबरन नहीं किया जाता सुप्रिया! प्रेम किसी से जानबूझकर किया भी नहीं जाता। प्रेम तो बस हो जाता है।" उमेश की बातों में संतोष झलक रहा था।
दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। सुप्रिया और उमेश अलग हो गये। ये नैना थी जो अपने साथ सुशय को लेकर केबिन के अन्दर आ गई।
"मुझे नैना ने सबकुछ बता दिया है सुप्रिया। अगर मुझे तुम्हारे और उमेश जी के प्रेम संबंध का जरा भी पता होता तो मैं यह सगाई कभी नहीं करता। खैर जो हुआ सो हुआ! मुझे कोई ऐतराज नहीं है। मैं आप दोनों के भविष्य के लिए शुभकामनाये देता हूं और सुप्रिया को इस सगाई के बंधन से मुक्त करता हूं।" कहते हुये सुयश ने अपने हाथ की उंगली से अंगूठी निकालकर सुप्रिया को दे दी। नैना ने सुप्रिया के उंगली से अंगूठी निकालकर उमेश को दे दी। पुरे ऑफिस स्टाॅफ के सामने उमेश और सुप्रिया की सगाई सैरमनी संपन्न हुयी।
"मुझसे एक वादा करो उमेश!" सुप्रिया बोली।
"हां बोलो!" उमेश ने कहा।
"हमारी शादी के बाद भी घर पर आप ही पिज्जा डिलेवर करने आते रहोगे!" सुप्रिया की बात पर सभी हंस पड़े।
उमेश ने सुप्रिया को वचन दिया कि पिज्जा का पहला कोर सुप्रिया को वही खिलायेगा। नैना दोनों को एक-साथ देखकर प्रसन्नता से खिल उठी थी। सुप्रिया और उमेश नैना के प्रति कृतघ्न थे। आज अगर नैना पहल नहीं करती तो शायद दोनों का पुनर्मिलन असंभव ही होता। मगर नैना के प्रयासों से दो बिछड़े प्रेमी पुनः मिलकर एक हो चूके थे। नैना घर लौट गयी।
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