Yaad rahegi sikh in Hindi Children Stories by Namita Gupta books and stories PDF | याद रहेगी सीख

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याद रहेगी सीख

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॥ याद रहेगी सीख ॥

विभा बालकनी से कई बार अविरल को आवाज दे चुकी थी । अविरल घर के सामने बने पार्क में खेल रहा था। वह हर बार यही बोलता – “मैं आ रहा हूं “ ,और फिर खेलने में मस्त हो जाता था, हार कर विभा अपने काम में लग गई । हिमांशु के घर आने का वक्त हो रहा था । हिमांशु भी अभी ऑफिस से निकला ही था कि उसका सामना अविरल की टीचर से हो गया।

दोनों ने एक दूसरे को अभिवादन किया । हिमांशु कुछ कहता उससे पहले ही उस अविरल की टीचर शिकायत करने लगी । हिमांशु ने कहां मुझे लगा कि आप लोग उसको क्लास वर्क, होम वर्क नहीं दे रहे हैं ।

टीचर तपाक से बोली – “मैं होमवर्क व क्लास वर्क सब कराती हूं , लेकिन आपका बेटा अविरल कुछ भी नहीं करता है ना होमवर्क करके लाता है कुछ भी पूछने पर या कहने पर बहाने बनाता है । उसका दिमाग हर वक्त खेल में ही लगा रहता है मौका मिलते ही वह अन्य बच्चों के साथ खेलने निकल जाता है आप अपने बच्चे पर ध्यान दीजिए नहीं तो अविरल इसी क्लास में रह जाएगा । वह कक्षा में अन्य बच्चों से पिछड़ रहा है ।दिन पर दिन उसकी शैतानियां भी बढ़ती जा रही है, अब तो वह क्लास में टीचर्स को भी परेशान करने लगा है।“

हिमांशु परेशान होते हुए बोला-“ प्लीज मैम आप किसी भी तरह समझा कर उसे सही रास्ते पर ले आए जिससे उसका मन पढ़ाई में लग सके ।“

“ जो हमसे हो सकता था वह हम लोग कर चुके अब जो भी करना है आपको करना है यह कहकर क्लास टीचर वहां से चली गई ।“ हिमांशु हैरान-परेशान सा घर वापस आया । घर आते ही उसने देखा की अविरल कंप्यूटर पर गेम खेल रहा है। हिमांशु ने उससे गेम बन्द करने को कहा, किन्तु अविरल खेल में ही व्यस्त रहा । हिमांशु को बहुत गुस्सा आया उसने सीधे कंप्यूटर ही बंद कर दिया । गेम के बीच में व्यवधान देखकर अविरल जोर जोर से चीखने ,चिल्लाने लगा । हिमांशु ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उसने उनकी एक भी बात नहीं सुनी और वह बडबडाता हुआ दादी के पास चला गया । हिमांशु औंर विभा ने उसे उठाना चाहा लेकिन दादी ने इशारे से मना कर दिया और उन्हें जाने का इशारा किया।

अविरल 10 साल का था ।वह फोर्थ क्लास में पढ़ता था लेकिन ना जाने क्यों इधर बहुत ही जिद्दी और शरारती हो गया था किसी की भी बात सुनना नहीं चाहता था

यह बात हिमांशु भी जानता था कि इस समय वह किसी की भी बात नहीं सुनेगा सिर्फ अपनी ही बात रख कर उसी को सही साबित करने की कोशिश करेगा। हिमांशु ने क्लास टीचर से हुए वार्तालाप को विभा को बताया तो वह भी बहुत परेशान हो उठी ना जाने क्यों वह इधर बहुत ही जिद्दी हो गया है उसका भी मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है जब वह कोई बात सुनना ही नहीं चाहता है तो उसे कैसे बैठकर समझाया जाए इसी उधेड़बुन में दोनों लगे थे ।

दादी ने अविरल को धीरे -धीरे शांत और चुप कराया । उसका मूड ठीक करने के लिए सोचा औंर एक प्लान बनाया । उस समय शहर में गणेश उत्सव की धूम मची थी दादी ने उससे कहा आज मेरे साथ गणेश उत्सव देखने चलोगे तो हमें भी अच्छा लगेगा ।वह खुशी से तैयार हो गया दादी और अविरल गणेश पंडाल पहुंच गए और उन्होंने गणेश जी के दर्शन किए । गणेश जी की बड़ी भव्य ,सुंदर सी मूर्ति को देख कर अविरल ठगा सा देखता ही रह गया।

दादी इतनी बड़ी सुंदर मूर्ति का निर्माण कैसे किया गया है? दादी ने कहा-“ बेटा इसमें कई कलाकारों की दिन- रात की मेहनत लगती है तब कहीं जाकर इतनी सुंदर मूर्ति तैयार हो पाती है।“

वहीं पास में ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहा था ।अविरल और दादी दोनों वहां पडी कुर्सी पर बैठ गए और सांस्कृतिक प्रोग्राम देखने लगे । गणेश जी के जीवन से संबंधित नृत्य नाटिका चल रही थी जिसे देखकर अविरल बहुत ही मंत्रमुग्ध हो रहा था । वह बोला –“ दादी क्या सच में गणेश भगवान जी का जीवन ऐसा ही था क्या वह सच में अपने माता पिता की बात मानते थे।। लेकिन आजकल हमारे फ्रेंड्स लोग अपने पेरेंट्स की बात नहीं मानते हैं ।“

हां बेटा गणेश भगवान जी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे वह अपनी बुद्धि और चतुराई से हर समस्या का समाधान चुटकियों में हल कर देते थे। गणेश भगवान भी अपने माता पिता का बहुत ही आदर व सम्मान करते थे उनका कहना मानते थे हमें उनके जीवन से सीखना चाहिए।“

“ वह कैसे “?उत्सुकता से

गणेश भगवान जी बच्चों के सच्चे दोस्त होते हैं उन्हें जो भी कोई कुछ भी अपनी प्रॉब्लम्स बताता है या कहता है तो वह सब बच्चों की बातों को सुनते हैं और उसको पूरा करते हैं जानते हो जब उनमें और उनके भाई कार्तिकेय जी में होड लग गई कि बड़ा और सबसे बुद्धिमान कौन है ,तब शंकर भगवान जी ने कहा-“ कि जो पृथ्वी की परिक्रमा सबसे पहले करके आ जाएगा वहीं बड़ा औंर सर्वमान्य होगा । कार्तिकेय जी ने पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े किन्तु गणेश जी वहीं पर खड़े हुए रहे ।नारदजी ने कहा –“ गणेश तुम पृथ्वी की परिक्रमा करने नहीं जाओगे ।“ गणेश जी ने हाथ जोड़कर अपने माता पिता को प्रणाम करते हुए उनकी दो बार परिक्रमा करके शंकर भगवान जी के सामने सर झुका कर खड़े हो गए ।

नारद जी ने पूछा-“ यह क्या “गणेश जी ने –“ महर्षि! धरती मां होती है और पिता आकाश होता है तो मैंने माता-पिता को ब्रह्मांड स्वरूप समझकर इन की परिक्रमा कर लेने से ही पृथ्वी की परिक्रमा पूरी हो गई फिर मैंने तो दो बार परिक्रमा कर ली ।“

उनके इस जवाब को सुनकर सभी लोग बहुत ही प्रसन्न हो गए और शंकर भगवान ने उन्हें प्रथम पूजन का आशीर्वाद दिया कि किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा ही होगी। तब से हर पूजा में गणेश पूजा सबसे पहले की जाती है।अविरल दादी के बातें बड़े ही ध्यान से सुन रहा था।

लेकिन बेटा फिर भी बुद्धि ज्ञान और मेहनत के बिना कुछ भी नहीं मिलता है वहां से चलते हुए अविरल ने एक सुंदर सी गणेश जी की मूर्ति खरीदी और उसे अपनी अलमारी मे बडी ही श्रद्धा से रख दिया । आज वहखुश था । दादी से गणेश जी की कथा वृतांत सुनते- सुनते सो गया।

अविरल को लगा जैसे उसका हाथ पकड़कर उसे कोई बुला रहा है। उसने घूम कर देखा तो सच में सामने भगवान गणेश जी खड़े हुए थे ।अविरल खुशी से उनका हाथ थामकर कर खड़ा हो गया । गणेश भगवान ने कहा –“तुम मुझे याद कर रहे थे।“

अविरल झट से बोला हां –“मैं आपको याद कर रहा था मैं आपसे मिलना चाहता था।

गणेश जी ने कहा –“”ठीक है मैं तुम्हारे साथ रहूंगा लेकिन तुम किसी भी चीज को छेडोगो नही औंर ना ही नुकसान पहुंचा ओगे तभी मैं तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड बनूंगा।“

ठीक है” माय बेस्ट फ्रेंड।“

अविरल गणेश भगवान के साथ थोड़ी देर खेलता रहा तभी देखा कि रंग बिरंगी तितलियां उसके आसपास मन मंडरा रही हैं ।वहाँ चारों तरफ हरियाली ही छाई हुई थी खूब ढेर सारे फूलों के बगीचे थे जहां पर खूब रंग बिरंगी तितलियां घूम रही थी खुशबूदार फूल पेडो पर इटला रहे थे। तितलियां उनका रसपान कर रही थी उसने दौड़कर एक सतरंगी तितली को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो गणेश जी ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया । गणेश भगवान ने कहा इन्हें पकड़ोगेतो उनके पंख टूट जाएंगे और यह मर जाएंगी ।

“ लेकिन मैं तो इनसे खेलना चाहता हूं ॥ दोस्त गणेश ने उसे शांति से समझाया कि अच्छे वातावरण और पर्यावरण के लिए इन सभी पशु पक्षी और जीव-जंतुओं का होना बहुत जरूरी है । हम तभी स्वस्थ हवा व पर्यावरण पा सकेंगे यहां की हरियाली देखकर वह मंत्रमुग्ध सा हो गया था उसने सोचा हमारे यहां तो हर तरफ बडी ,बडी इमारतें ही दिखाई पड़ती हैं ।ऐसी हरियाली तो कहीं नहीं दिखाई पड़ती है । यहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ रही है सब तरफ बड़े बड़े जंगल पेड़-पौधे बहुत ही सुंदर वतावरण दिखाई पड़ रहा है अच्छे से सब घूम रहे थे एक साथ आ जा रहे थे और किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं था, सभी आपस में प्यार से हंस बोल रहे थे बातें कर रहे थे कि देखकर उसको बहुत ही अच्छा लगा।

तभी गणेश जी ने काहा –“मित्र मुझे मेरे माता-पिता याद कर रहे हैं ।मैं उनके पास जा रहा हूँ ,क्या तुम भी चलोगे मेरे साथ ।“अविरल जिद करने लगा –“नहीं ,अभी तो मैं ढंग से खेल भी नहीं पाया हूं ।पहले हम खेल लेते हैं बाद में उनके पास चलना ।“

गणेश जी ने प्यार से समझाया,-“दोस्त ! पहले माता-पिता की बात को सुनना जरूरी है ।पहले उनकी की आज्ञा का पालन होना चाहिए उसके बाद में उनसें पूछकर ही हमें कुछ भी करना चाहिए क्योंकि वह हमसे बडे हैं औंर हमारे अच्छे के लिए ही कुछ भी कहते और करते हैं।“

अविरल अनमने मन से अपने दोस्त गणेश के साथ चल दिया रास्ते भर बड़े-बड़े हरे ,भरे लहलहाते पेड़ -पौधे ,कलरव करते पशु -पक्षी सभी उसके मन को आनंदित कर रहे थे ।हर आदमी अपने अपने काम में लगा हुआ था यह देखकर उसे बहुत ही ग्लानि हुई कि मैं तो अपने माता-पिता शिक्षकों तक की बात नहीं मानता हूं हमेशा खेल में ही लगा रहता हूं किंतु यहां पर तो सभी लोग बिजी हैं। लेकिन मैं तो कुछ भी नहीं करता हूं उसे बहुत ही दुख व आत्म ग्लानि हुई । अविरल वहीं पर खडा होकर सुबकने लगा ।उसे अपने माता पिता की याद सताने लगी ।आज उसे अपनी गल्तियां याद आ रही थी ।गणेश जी ने उसे रोते देखा तो सारा माजरा समझ गए उन्होंने अविरल की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा यह तुम्हें अपनी गलती पर दुख हो रहा है तो फिर आजसे वादा करो कि तुम अपने माता -पिता का कहना मानोगे, किसी को भी दुख, तकलीफ नहीं दोगे ।हर काम बहुत ही मेहनत ,लगन और दिल से करोगे चाहे वह पढ़ाई ही क्यों ना हो।एक बात औंर अपने आसपास के वातावरण का ध्यान रखोगे औंर ढेर सारे पौधे लगाओगे ।

अविरल ने झट से हाथ बढ़ाकर वादा किया –“ मैं आपकी हर बात मानूंगा मेरी दादी भी यही कहती हैं अब तो आप भी मेरे अच्छे दोस्त हो गए हैं ।अब मैं आपका और दादी का सबका कहना मानूंगा तभी उसे लगा कि उसका नाम लेकर कोई बुला रहा है उसने झट से आंखें खोल कर देखा दादी उसे जगा रही थी।

अविरल गणेश भगवान जी की तरफ की मूर्ति की तरफ देखता है उन्हें मुस्कुराते हुए देख कर वह खुशी से दादी के गले में झूल जाता है । दादी भी प्यार करते हुए कहती है-“ बेटा अब जल्दी से तैयार हो जाओ।तुम्हें स्कूल भी जाना है ।“

वह उठ कर जल्दी से तैयार होकर अपने माता पिता के पास जाकर उनके पैर छूकर उनसे माफी मांगता है कि सारी पापा अब से मैं आपकी हर बात मानूंगा पढ़ाई भी मन लगाकर करूंगा ।वह खुशी से उसे गले लगा लेते हैं अविरल में आए हुए इस परिवर्तन को देखकर सभी बहुत खुश होते हैं ।वह दादी और भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं।

॥ नमिता गुप्ता ॥

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