kagaj ki kasti in Hindi Love Stories by Namita Gupta books and stories PDF | कागज की कश्ती

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कागज की कश्ती


                    ॥ कागज की कश्ती ॥
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    राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली बीटेक का फोर्थ ईयर की क्लास में मीटिंग की वजह से  प्रोफ़ेसर क्लास  में पढाने नहीं आए थे  । बच्चे आपस में बात कर रहे थे तभी एक छोटे कद की दुबली -पतली , गोरी ,लंम्बे बालों वाली सुंदर सी  लडकी ने  क्लास में प्रवेश किया । बच्चों ने सोचा कोई नई स्टूडेंट होगी लेकिन जब वह सामने खड़ी होकर बच्चों से बैठने का इशारा करने लगी ,तब  सारे बच्चे उसे आश्चर्य से देखने लगे । वह मुस्कुराते हुए –“ आज मैं आप सब को पढ़ आऊंगी । क्यों ? आप लोगो को आश्चर्य  क्यों हो रहा है ? अरे भाई मैं भी एम टेक की स्टूडेंट हूं औंर यहीं इसी कॉलेज में पढ़ती हूं । लेकिन आज क्लास में प्रोफ़ेसर के ना होने की वजह से इस क्लास की जिम्मेदारी मुझे दी गई है । आज मैं आप लोगों को पढ़आऊंगी । “सारे स्टूडेंट्स एक दूसरे को  देखते हुए मुस्कराने लगे ।वह सोच रहे थे यह कमसिन हमें क्या पढाएगी ?
      उसने लेक्चर देना शुरू किया  ।  लेक्चर कब शुरू हुआ और कब खत्म करके वह चली भी गई ।सारे स्टूडेंट्स मंत्र मुक्त से सुनते रहे । उसका नाम सुगंधा था वह बहुत ही बाचांल थी ।वह सबसे हंसती बोलती थी पल भर में ही सबको अपना खाश बना लेती थी । उसके अंदर गजब का आकर्षण था ।वह पढ़ने में बहुत ही मेधावी थी  । वह अपने कॉलेज में बहुत ही लोकप्रिय थी । सारे टीचर्स उसको बहुत मानते थे । वह जब जिससे चाहती बात करने में जरा भी नहीं हिचकती थी । पूरे कॉलेज में उसी की धूम रहती थी । हर कोई उसके नजदीक जाने की कोशिश करता था लेकिन वह किसी को भी ज्यादा लिफ्ट नहीं देती थी ।
          बी टेक का फाइनल ईयर था अब जब भी प्रोफेसर नहीं होते थे तो वह क्लास लेने आ जाती थी । 
आरव का भी बी. टेक. फाइनल ईयर था ।  गौरवर्ण आरव लंबा चौड़ा ,सुंदर  दिखने में आकर्षक युवक था । वह बहुत ही शर्मीला और अंतर्मुखी व्यक्तित्व का युवा था कम शब्दों में अपनी बात कहता था । बहुत ही शांत और शालीन लड़का था । सुगंधा एमटेक कर रही थी उसका भी सेकंड ईयर था । क्लास खत्म होने के बाद शाम को वह सब आपस में बैठकर बातें करते औंर गपशप मारते थे । आरव सब के बीच में कम ही बैठता था तो अक्सर सुगंधा खुद उसके पास आकर बैठती थी और दुनिया भर की बातें करती है खूब हंसी मजाक करती रहती  थी । वह कब एक दूसरे को पसंद करने लगे उन्हें पता ही नहीं चला । अब अक्सर दोनों मिलने लगे , साथ साथ घूमने भी लगे कभी मूवी देखते तो कभी  रेस्तरां में खाने भी जाते थे । पूरा कॉलेज इस जोडी पर रस्क करता था । सालाना फंक्शन में दोनों को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ जोड़ी का खिताब भी मिला था ।
          आज दोनों के पेपर खत्म हो गए थे आरव का बी.टेक.फाइनल हो गया था और सुगंधा का एम टेक के पेपर हो चुके थे ।आरव की जॉब एक मल्टीनैशनल कंपनी में लग गई थी उसे भी ज्वाइन करने जाना था ।आरव ने भरे गले से सुगंधा से कहा- “ मैं कल चला जाऊंगा । अब हम लोगों की मुलाकात देखो कब होती है ।“ सुगंधा  रोती हुई बड़े ही आत्मविश्वास  से कहा –“ आरव हम एक दूसरे को प्यार करते हैं । हम जल्दी ही मिलेंगे । शादी भी हम लोग करेंगे ।
           आरव अपनी जॉब के लिए बेंगलुरु चला गया । वहीं वह नौकरी के साथ - साथ  एमबीए की तैयारी करने लगा । सुगंधा भी  दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने लगी क्यों कि उसे प्रोफेसर बनना था । आरव ने कैट तो पास कर लिया लेकिन आईएएम का इन्टरव्यू नहीं क्वालीफाई नही कर सका । इससे वह  बहुत हताश हुआ जब सुगंधा ने सुना तब उसने आरव से काफी कुछ कहा , औंर शादी के लिए प्रेशर डालने लगी किन्तु आरव अभी शादी के पक्ष में नहीं था । अभी तक उसने अपने घर में सुगंधा को लेकर कोई बात  नहीं की थी और ना ही वह अपने पैरों को मजबूती से जमा सका था इसलिए उसने कहा कि मैं खुद फिर से कैट क्वालीफाई करके एमबीए करुंगा और अच्छी जॉब के लिए ट्राई करूंगा तब तक तुम भी अपनी पढ़ाई करो ।
      अब सुगंधा औंर आरव अक्सर झगड़ा हो जाता था और एक दिन हद हो गई जब सुगंधा ने उससे कहा कि” मेरे पैरंट्स उस पर शादी का दबाव बना रहे हैं और मुझे भी शादी जल्दी करनी है । अब  तुम्हारा तो कोई भविष्य नहीं है। तुमने तो नौकरी भी छोड़ दी है इसलिए हम लोगों का  एक साथ चल पाना कठिन हो गया है ।  अब हमारे और तुम्हारे रास्ते अलग होते हैं ।आज के बाद मुझे फोन मत करना ना ही कोई बात करना। ।“
             आरव को यह सब सुन कर बहुत धक्का लगता है । वह सुगंधा को बहुत समझाने की कोशिश करता है औंर अपने प्यार का वास्ता देता है लेकिन सुगंधा अपनी ही बात करती रहती । वह एकाएक फोन काट देती है ।आरव के आँसू बहने लगते हैं ।वह सोचता  क्या यह वही लड़की है जो साथ जीने मरने औंर साथ निभाने की कसम खाती थी ? आज उस लड़की ने एकदम से मुझसे सारे नाते तोड़ दिए । उसका मन बहुत ही बेचैन रहने लगा , फिर भी उसने अपने आप को किसी तरीके से संभाला और आगे की पढ़ाई के लिए पूरी जोर लगा दिया ।बीच में उसने सुगंधा से बात करने की कोशिश की उसका फोन नहीं उठा ।
      आरव की मेहनत रंग लाई और उसका सिलेक्शन आईआईएम अहमदाबाद में हो गया अब वह वहां से एमबीए किया । अहमदाबाद से ही एक हाई पैकेज का एक मल्टीनेशनल कंपनी से आफर मिला जिसे उसने स्वीकार कर लिया । अगले महीने ही उसे कम्पनी ज्वाइन करनी थी ।वह अपने जाने की तैयारी करने लगा । आरव शाँपिग माँल मे सामान ले रहा था तभी उसके फोन की घंटी बजती है  वह फोन उठाता है तो काँल सुगंधा की थी । आरोप ना चाहते हुए फोन रिसीव करता है । सुगंधा उससे पूछा उसका हाल चाल पूछती है औंर यह भी पूँछती है कि वह आजकल क्या कर रहा है । उसने बताया कि मैंने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर चुका  हूं औंर अब हाई पैकेज पर जॉब के लिए अमेरिका जा रहा हूं । यह सुनकर सुगंधा उसे बधाई देती है । अब दिन तीन चार बार उसके फोन आने लगे ।आरव को बडा़ ताज्जुब हुआ लेकिन अब वह अपने मन को मजबूत कर चुका था उसने समझा लिया था ।एक दिन उसने फोन उठाया सुगंधा उससे चिकनी चुपड़ी बातें करने लगी आखिर में उसने तंग आकर बोल दिया-“ सुगंधा आज के बाद मुझे तुम फोन मत करना ‘आई हैव नो इंटरेस्टेड ।“
           यह सुनकर सुगंधा –“तुम ऐसा कैसे कह सकते हो हम दोनों प्यार करते हैं “।आरव ने कहा –“जब मैं नाकामयाब हो गया था तब तुम्हारा प्यार कहां गया था ।तुम सफल और मैं असफल था तब तो तुमने मुझको मेटल सपोर्ट न देकर मझधार मे छोड़ दिया था  । आज मेरा बेहतर भविष्य देख कर ,अब तुम्हें प्यार आने लगा । प्लीज आगे से तुम मुझे फोन मत करना क्योंकि अब मैं तुम्हें समझ चुका हूं और अपने आप को संभाल भी चुका हूं ।“ गुड बाय ।“ कहकर फोन काट दिया ।