फ़ासले भी ज़रूरी थे - भाग 2 Dimpal Limbachiya द्वारा Short Stories में हिंदी पीडीएफ

Faasle bhi Jaruri The by Dimpal Limbachiya in Hindi Novels
दिल्ली, शाम के 6:20।
ऑफिस बस से उतरकर माया पैदल अपने घर की ओर चलने लगी। हाथ में भारी लैपटॉप बैग था और मन में राहुल की खामोशी। सड़क पर चाय की दुकान से...