खामोश पेंटिंग की पहली साँस पुरानी गली की वह कला-दुकान हमेशा की तरह उस शाम भी आधी अँधेरे में डूबी हुई थी। बाहर बारिश की हल्की बूँदें पत्थरों से टकरा रही थीं और अंदर हवा में पुरानी लकड़ी, धूल और बीते वक़्त की गंध घुली हुई थी। आरव ने जैसे ही दुकान में कदम रखा, उसे लगा जैसे समय अचानक धीमा हो गया हो। वह एक युवा कलाकार था—आँखों में अधूरी ख्वाहिशें, उँगलियों में रंगों का जुनून और दिल में एक अजीब-सा खालीपन। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था, बस सुकून नहीं।
इश्क के साये में - एपिसोड 1
एपिसोड 1: खामोश पेंटिंग की पहली साँसपुरानी गली की वह कला-दुकान हमेशा की तरह उस शाम भी आधी अँधेरे डूबी हुई थी। बाहर बारिश की हल्की बूँदें पत्थरों से टकरा रही थीं और अंदर हवा में पुरानी लकड़ी, धूल और बीते वक़्त की गंध घुली हुई थी।आरव ने जैसे ही दुकान में कदम रखा, उसे लगा जैसे समय अचानक धीमा हो गया हो।वह एक युवा कलाकार था—आँखों में अधूरी ख्वाहिशें, उँगलियों में रंगों का जुनून और दिल में एक अजीब-सा खालीपन।उसकी ज़िंदगी में सब कुछ था, बस सुकून नहीं।“कुछ ख़ास ढूँढ रहे हैं?”दुकानदार की भारी आवाज़ ने उसे ...Read More
इश्क के साये में - एपिसोड 2
एपिसोड 2: डर से भरोसे तककमरे में अब भी वही अजीब-सी ठंड थी, जैसे दीवारों के भीतर कोई अनकही घूम रही हों।आरव अपनी जगह जड़ बना खड़ा था—आँखें सामने तैरती उस आकृति पर टिकी हुईं।वह लड़की…अब पूरी तरह पेंटिंग से बाहर आ चुकी थी।उसके चेहरे पर डर नहीं था, बल्कि एक थकी हुई शांति—जैसे सदियों बाद किसी ने उसका नाम पुकारा हो।“तुम सच में… हो?”आरव की आवाज़ काँप रही थी।लड़की ने धीरे से सिर हिलाया।“हाँ। और तुम सच में मुझे देख पा रहे हो… यही सबसे हैरानी की बात है।”आरव ने अनजाने में दो कदम पीछे हटते हुए ...Read More
इश्क के साये में - एपिसोड 3
एपिसोड 3: रंगों में छुपा अतीतउस रात के बाद आरव की नींद जैसे उससे रूठ गई थी।हर बार आँखें करता, उसे अनाया का चेहरा दिखता—वही उदास आँखें, वही अधूरी मुस्कान।कमरा अब भी वैसा ही था, मगर हवा में कुछ बदला हुआ था… जैसे किसी की मौजूदगी।आरव पेंटिंग के सामने खड़ा था।“तुम आओगी न?”उसने धीमी आवाज़ में पूछा।घड़ी ने बारह बजाए।मोमबत्ती की लौ काँपी।और फिर—रंग हिले।अनाया धीरे-धीरे पेंटिंग से बाहर आई। आज उसके चेहरे पर डर कम और थकान ज़्यादा थी।“आज तुम जल्दी आ गईं,” आरव ने कहा।“क्योंकि आज… मुझे तुम्हें कुछ बताना है,”उसकी आवाज़ में बोझ था।आरव ने ...Read More
इश्क के साये में - एपिसोड 4
एपिसोड 4: मुक्ति की पहली दरारउस सुबह आरव देर तक पेंटिंग के सामने खड़ा रहा।रात की बातें अब भी भीतर गूँज रही थीं—अनाया का दर्द, उसकी क़ैद, और वह कलाकार… जिसने कला के नाम पर गुनाह किया था।पहली बार आरव को अपनी कला से डर लग रहा था।उसने ब्रश उठाया…फिर रख दिया।“अगर रंग किसी को क़ैद कर सकते हैं,”वह खुद से बोला,“तो शायद रंग ही किसी को आज़ाद भी कर सकते हैं।”दिन ढलने से पहले आरव पुराने रिकॉर्ड्स, किताबें और आर्ट जर्नल्स लेकर बैठ गया।वह उस कलाकार के बारे में जानना चाहता था—जिसने अनाया की ज़िंदगी छीनी थी।एक ...Read More