उड़ान.

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तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके कदमों में घुंघरू थे, पर कंधों पर सालों से एक अदृश्य बोझ। घर में उसका नाम अब एक गाली की तरह बोला जाता। सुबह सात बजे माँ की चीख गलियारे में गूंजती—'दिव्या, अभी तक सो रही है? सारा दिन किताबें लिए बैठी रहेगी!' नौ बजे भाभी की तीखी आवाज—'दिव्या ने फिर बर्तन नहीं छुए। मैं ही नौकरानी हूँ क्या?' रात दस बजे खाने की मेज पर भाई का ठंडा ताना—'दीदी की अब शादी कर दो, कम-से-कम घर से एक सफेद हाथी तो हटेगा।' पिताजी चुप। बस पेंशन की पर्ची देखते हुए आह भरते। माँ रात को दिव्या के कमरे में आतीं, दरवाजा बंद करतीं और फुसफुसातीं—'बेटी, बस एक बार हाँ बोल दे… मैं जीते-जी तेरे माथे पर सिंदूर देख लूँ।'

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उड़ान (1)

तीस साल की दिव्या, श्वेत साड़ी में लिपटी एक ऐसी लड़की, जिसके कदमों में घुंघरू थे, पर कंधों पर से एक अदृश्य बोझ।घर में उसका नाम अब एक गाली की तरह बोला जाता।सुबह सात बजे माँ की चीख गलियारे में गूंजती—'दिव्या, अभी तक सो रही है? सारा दिन किताबें लिए बैठी रहेगी!'नौ बजे भाभी की तीखी आवाज—'दिव्या ने फिर बर्तन नहीं छुए। मैं ही नौकरानी हूँ क्या?'रात दस बजे खाने की मेज पर भाई का ठंडा ताना—'दीदी की अब शादी कर दो, कम-से-कम घर से एक सफेद हाथी तो हटेगा।'पिताजी चुप। बस पेंशन की पर्ची देखते हुए आह भरते। ...Read More

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उड़ान (2)

शाम से बातें शुरू हो गईं।उन्होंने लिखा—'दिव्या, तुम्हारी लेखनी में दर्द भी है और विद्रोह भी। मैंने कभी किसी इतनी गहराई नहीं देखी।''जी सर,' दिव्या ने जवाब में लिखा, 'आपकी हौसलाअफजाई से आत्मविश्वास काफी बढ़ा, शुक्रिया कि आपने इस लाइक समझा।'दूसरे दिन सुप्रभात के बाद फिर लिखा अविनाश जी ने, 'आप बैचलर हैं, तो मैं भी अकेला हूँ। पत्नी 4-5 साल पहले छोड़कर चली गई थी। अब तो आपकी तरह ही किताबों और मंदिर में शांति ढूंढता हूँ।'पर्युषण के दिनों में वे जिनालय आने लगे।जब सामूहिक चँवर डुलाई और स्तवन गायन होता, दिव्या श्वेत वस्त्रों में सबसे आगे खड़ी ...Read More

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उड़ान (3)

उसने दस-बाय-दस का एक कमरा ले लिया। एक खिड़की, एक बल्ब, एक गैस। दीवार पर नमोकार मंत्र का फोटो।पहली वह बिस्तर पर लेटी रही। याद आईं सारी बातें—माँ की गोद, पापा की साइकिल, भाई का हाथ, और अविनाश की वो हवाई सैर… जो सिर्फ एक रात की थी।सुबह चार बजे वह उठी। टूटे आईने में खुद को देखा।गाल पर थप्पड़ के निशान। होंठ सूजे हुए। वह धीरे से बोली—'सब ने मुझे बोझ समझा। यहाँ तक कि जिसने हवाई सैर कराई, उसने भी अगली सुबह उछाल दिया।'फिर मुस्कुराई— वह मुस्कान जो दर्द से पैदा हुई और दर्द को ही जलाए ...Read More