बेजुबान इश्क.

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बेजुबान इश्क – लव स्टोरी   नज़रों की खामोश बातेंमुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, भीड़ से भरी लोकल ट्रेन के बीचदो आँखें रोज़ एक-दूसरे को ढूँढ़ती थीं—अन्या, एक सीधी-सादी, शांत और समझदार लड़की।और आदित्य, कम बोलने वाला, दिल का बहुत साफ़ लड़का।दोनों की मुलाकात रोज़ 8:22 की चर्चगेट लोकल में होती।ना कभी बात हुई,ना कभी नाम पूछा,फिर भी दोनों के दिलों ने एक अजीब-सा रिश्ता बना लिया था।अन्या हमेशा खिड़की के पास बैठती,और आदित्य उसकी सीट के सामने वाले दरवाज़े के पास खड़ा रहता।अन्या किताब पढ़ती,और आदित्य चुपक

Full Novel

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बेजुबान इश्क - 1

बेजुबान इश्क – लव स्टोरी नज़रों की खामोश बातेंमुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, भीड़ से भरी लोकल के बीचदो आँखें रोज़ एक-दूसरे को ढूँढ़ती थीं—अन्या, एक सीधी-सादी, शांत और समझदार लड़की।और आदित्य, कम बोलने वाला, दिल का बहुत साफ़ लड़का।दोनों की मुलाकात रोज़ 8:22 की चर्चगेट लोकल में होती।ना कभी बात हुई,ना कभी नाम पूछा,फिर भी दोनों के दिलों ने एक अजीब-सा रिश्ता बना लिया था।अन्या हमेशा खिड़की के पास बैठती,और आदित्य उसकी सीट के सामने वाले दरवाज़े के पास खड़ा रहता।अन्या किताब पढ़ती,और आदित्य चुपक ...Read More

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बेजुबान इश्क - 2

बेजुबान इश्क रोमांटिकअगले दिन सुबह 8:22 की लोकल हमेशा की तरह आई…भीड़ वही, स्टेशन वही, पर इंतज़ार अलग खड़ा था—नजर बार-बार प्लेटफॉर्म पर दौड़ती।और फिर अन्या आई…धीरे-धीरे चलते हुए, आँखों में हल्की सी थकान,लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान।आदित्य ने चैन की सांस ली।दोनों बिना बोले एक-दूसरे के पास खड़े हो गए।कुछ देर की खामोशी के बादअन्या ने ही बात शुरू की—“आदित्य… क्या तुम आज मेरे साथ अगला स्टेशन चलोगे?थोड़ी दूर… थोड़ी बात?”आदित्य ने बस सिर हिलाया—“जहाँ तुम कहो।”---स्टेशन के बाहर एक शांत बगीचा था…दोनों एक बेंच पर बैठ गए।पत्तों में से आती हल्की धूप चेहरे पर पड़ ...Read More

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बेजुबान इश्क - 3

वो बारिश वाली शाम उनके रिश्ते मेंएक खूबसूरत शुरुआत छोड़ गई थी।अगले कुछ दिनों मेंआदित्य और अन्या का साथ भी गहरा हो गया।जहाँ पहले नज़रें मिलती थीं,अब मुस्कुराहटें मिलती थीं।जहाँ पहले खामोशी बोलती थी,अब दिल बोलने लगा था।---लेकिन जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती…एक दिन अन्या लोकल में नहीं आई।फिर दूसरा दिन…फिर तीसरा।आदित्य फिर वही बेचैनी, वही डर,वही खालीपन महसूस करने लगा।उसने हर कोच, हर स्टेशन पर खोजा,जैसे उसके बिना शहर में कुछ भी नहीं बचा था।चौथे दिन,अन्या आखिरकार आई।लेकिन इस बार वो पहले जैसी नहीं थी—चेहरा फिका, आंखें सूजी हुई,उसके हाथ काँप रहे थे।आदित्य तुरंत उसके पास गया—“अन्या, ...Read More

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बेजुबान इश्क - 4

पहला इज़हार-ए-प्यार और जिंदगी का नया मोड़ मुंबई की रात हमेशा से शोर भरी मानी जाती है,पर उस रात…स्टेशन सिर्फ दो दिलों की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।आदित्य और अन्या एक-दूसरे को थामे खड़े थे—एक साल का दर्द, इंतज़ार, तड़पउस एक पल में पिघल कर आँखों से बह रहा था।अन्या ने आदित्य की बाहों से अलग होकरधीरे से उसका चेहरा अपने हाथों में लिया—“कितना इंतज़ार करवाया तुमने…”उसकी आवाज़ काँप रही थी।आदित्य ने हल्की मुस्कान दीऔर सांकेतिक भाषा में कहा—“किसी का इंतज़ार हमेशा की तरह खूबसूरत बना देता है।”अन्या ने उसकी उंगलियाँ पकड़ लीं—“आज अगर तुम कुछ कहोगे नहीं…तो मैं ...Read More