(शादी — खामोशी का सबसे सुंदर इज़हार)सुबह की हल्की धूपघर की खिड़कियों से छनकर अंदर आ रही थी।आज घर में शोर था—ढोल, शहनाई, हँसी, रस्में…पर इस शोर के बीचएक खामोशी सबसे गहरी थी—आदित्य और अन्या का इश्क।अन्या — दुल्हनलाल जोड़े में अन्याकिसी सपने की तरह लग रही थी।माँ ने काजल लगायाऔर धीमे से कहा—“सच्चा प्यारहमेशा इम्तिहान माँगता है।”अन्या की आँखें भर आईं।उसे आदित्य की खामोश मुस्कान याद आई—जो हर डर में ढाल बन गई थी।आदित्य — दूल्हा सफेद शेरवानी मेंआदित्य का चेहरा अलग ही चमक रहा था।हाथ में वही सफेद गुलाब था—जो कभी लोकल ट्रेन से शुरू हुआ था।उसने अपनी जेब सेएक छोटा कागज़ निकाला।उस पर लिखा था—“आज शब्दों की ज़रूरत नहीं।आज मेरी पूरी दुनिया सामने खड़ी है।”फेरे — बिना शब्दों के वादेमंडप सजा।आग जली।सबकी नज़रें एक ही जगह अन्या और आदित्य।पंडित मंत्र पढ़ रहे थे।हर फेरे परआदित्य अन्या की आँखों में देखता—और हर नज़र एक वादा बन जाती।एक फेरे परउसने अन्या की हथेली में लिखा—“हर डर में साथ।”दूसरे पर“हर खुशी बाँटेंगे।”तीसरे पर—“खामोशी भी कभी बोझ नहीं बनेगी।”अन्या की आँखों से आँसू बह निकले।ये आँसू दर्द के नहीं—सुकून के थे।सबसे ख़ास पलसिंदूर का वक्त आया।पूरा मंडप शांत हो गया।आदित्य ने कांपते हाथों सेअन्या की मांग भरी।फिर उसकी उँगलियों मेंमंगलसूत्र पहनाया।उसने सबके सामनेएक स्लेट पर लिखा—“मैं बोल नहीं सकता,पर हर साँस से ये वादा करता हूँ—अन्या मेरी आवाज़ है,और मैं उसकी खामोशी।”मंडप में मौजूदहर आँख नम हो गई।नया जीवनफेरे पूरे हुए।शंख बजा।फूल बरसे।यश ने आगे बढ़करआदित्य को गले लगाया“आज से तुम सिर्फ मेरी बहन के पति नहीं,मेरे भाई हो।”आदित्य की आँखें चमक उठीं।अन्या ने धीरे से कहा—“हम जीत गए… है ना?”आदित्य ने मुस्कुराकरउसके हाथ में लिखा—“प्यार हमेशा जीतता है।”अंत नहीं… शुरुआतशाम कोदोनों बालकनी में खड़े थे।शहर की रोशनी नीचे चमक रही थी।अन्या ने सिर आदित्य के कंधे पर रखा।दोनों चुप थे पर दिल पूरी दुनिया से बातें कर रहे थे।बेजुबान इश्क…आज हमेशा के लिए मुकम्मल हुआ।✨ (शादी के बाद — खामोशी में बसता जीवन)शादी को तीन महीने बीत चुके थे।घर अब सिर्फ एक जगह नहीं रहा—वो एक एहसास बन चुका था।सुबह की शुरुआतअन्या की हल्की-सी आवाज़ से होतीऔर आदित्य की मुस्कान से पूरी।नया घर, नई लयरसोई में चाय बनती,और खिड़की के पास बैठा आदित्यलैपटॉप पर काम करता।अन्या कभी-कभी उसे छेड़ती—“तुम्हें पता है,तुम्हारी खामोशी अब मुझे डराती नहीं…सुकून देती है।”आदित्य मुस्कुराताऔर मोबाइल पर टाइप करता—“क्योंकि तुम मेरी आवाज़ बन गई हो।”छोटी-छोटी बातेंरात को बालकनी में बैठकरदोनों शहर की लाइट्स देखते।आदित्य उसकी हथेली पर लिखता—कभी दिल, कभी तारा,कभी सिर्फ— “हम।”अन्या हँसती,उसके माथे को चूम लेती।दुनिया का बदला नज़रियाआदित्य के ऑफिस मेंअब लोग उसे अलग नज़र से नहीं देखते थे।उसका काम बोलता था।एक दिनउसे इंटरनेशनल अवॉर्ड मिला।स्टेज पर जब उसका नाम पुकारा गया,तो वो चुपचाप खड़ा रहा—लेकिन तालियाँ इतनी ज़ोर की थींकि खामोशी भी गूंज उठी।अन्या की आँखें भर आईं।एक नया सपनाएक शामआदित्य ने अन्या के सामनेएक फाइल रखी।उस पर लिखा था—“Silent Voice Foundation”अन्या चौंक गई।आदित्य ने लिखा—“उन लोगों के लिएजो बोल नहीं सकते,पर बहुत कुछ कहना चाहते हैं।”अन्या ने उसे गले लगा लिया।“ये सबसे खूबसूरत सपना है।”सच का इनामकुछ महीनों बादरोहित को सज़ा हो गई।खबर छोटी-सी थी,पर दिल को सुकून देने वाली।अन्या ने आदित्य की ओर देखा।उसने बस लिखा“अब आगे।”हमेशा का वादारात को सोने से पहलेअन्या ने पूछा—“अगर मैं कभी कमजोर पड़ जाऊँ तो?”आदित्य ने उसकी हथेली मेंधीरे-धीरे लिखा—“तो मैं तुम्हें थाम लूँगा।और अगर मैं लड़खड़ाऊँ…”अन्या मुस्कुराई—“तो मैं बोलूँगी।”दोनों हँस पड़े।अंत नहीं… जीवनखिड़की के बाहरचाँद चमक रहा था।घर के भीतरएक ऐसा प्यारजो शब्दों का मोहताज नहीं था।बेजुबान इश्क अब कहानी नहीं—ज़िंदगी बन चुका था। next part.......