(इम्तिहान, इज़्ज़त और एक बड़ा फैसला)अस्पताल के कमरे में फैली खामोशी अब भारी हो चली थी।रोहित के जाने के बाद अन्या का दिल ज़ोर–ज़ोर से धड़क रहा था।आदित्य शांत था… लेकिन उसकी आँखों में तूफ़ान था।यश खिड़की के पास खड़ा था,चेहरा सख्त, पर सोच में डूबा हुआ।पापा ने थकी आवाज़ में कहा“अब ये लड़ाई आसान नहीं रहेगी।”---रोहित की पहली चालअगले ही दिन खबर फैल गई—रोहित मल्होत्रा ने अन्या के रिश्ते की बातशहर के बड़े लोगों तक पहुँचा दी थी।“मल्होत्रा परिवार की बेटीएक बोल न पाने वाले लड़के से रिश्ता जोड़ना चाहती है।”बातें तीर की तरह चलने लगीं।सोशल सर्कल, रिश्तेदार, बिज़नेस मीटिंग्स—हर जगह फुसफुसाहटें।अन्या टूटने लगी…लेकिन आदित्य ने उसके हाथ में एक नोट लिखा“अगर दुनिया शोर मचाए,तो हम सच और खामोशी से जवाब देंगे।”अन्या ने आँसू पोंछकर सिर हिलाया।---यश का फैसलाशाम को यश आदित्य के सामने आया।पहली बार उसकी आवाज़ में गुस्सा नहीं, सवाल था।“अगर कल को अन्या पर उंगली उठी…तो क्या तुम उसे संभाल पाओगे?”आदित्य ने सीधा देखाऔर मोबाइल पर टाइप किया—“मैं उसकी इज़्ज़त, उसका सपना और उसका डर—सब अपनी ज़िंदगी से पहले रखूँगा।”यश चुप रहा।काफी देर बाद बोला—“एक मौका दूँगा…खुद को साबित करने का।”अन्या ने राहत की सांस ली।---समाज के सामने सचदो दिन बादपापा के ऑफिस में एक मीटिंग रखी गई।बड़े–बड़े लोग, रिश्तेदार, रोहित भी मौजूद।रोहित ने व्यंग्य से कहा“बोलिए आदित्य जी…अपने प्यार का बचाव कैसे करेंगे?”कमरे में हँसी गूंजी।आदित्य आगे बढ़ा।उसने लैपटॉप खोला—स्क्रीन पर उसका काम, अवॉर्ड्स,और इंटरनेशनल क्लाइंट्स दिखने लगे।फिर उसने टाइप किया और स्क्रीन पर शब्द उभरे—“मैं बोल नहीं सकता,पर सोच सकता हूँ।कमज़ोर नहीं, अलग हूँ।और अन्या मेरी ताकत है।”पूरा कमरा शांत हो गया।पापा ने खड़े होकर कहा—“ये लड़का मेरी बेटी के लिएसबसे सुरक्षित जगह है।”रोहित का चेहरा उतर गया।---सबसे बड़ा फैसलामीटिंग के बादअन्या और आदित्य मंदिर के बाहर खड़े थे।अन्या ने धीमे से कहा—“अब भी डर लग रहा है…पर तुम साथ हो तो हिम्मत है।”आदित्य ने उसकी हथेली पर लिखा“तो फिर इंतज़ार क्यों?”अन्या की आँखें भर आईं।उसने मुस्कुराकर कहा“शादी।”दोनों ने एक–दूसरे को देखा—बिना शब्दों के, बिना शोर के।उसी पल मंदिर की घंटी बजी।---लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकती…दूर खड़ा रोहितमोबाइल पर किसी से बात कर रहा था—“अगर ये शादी हुई…तो मेरा सब कुछ खत्म हो जाएगा।कुछ भी करके रोको।”उसकी आँखों में साज़िश थी.
(शादी से पहले का तूफ़ान)मंदिर की घंटियों की आवाज़ अभी कानों में गूंज ही रही थीकि हवा में अजीब-सी बेचैनी घुलने लगी।अन्या को लगा जैसे कोई अनदेखा डरउसकी खुशी के चारों ओर चक्कर काट रहा हो।आदित्य ने उसकी हथेली थामी—उस स्पर्श में भरोसा था, हिम्मत थी।अन्या धीमे से बोली—“कुछ ठीक नहीं लग रहा…”आदित्य ने उसकी आँखों में देखा और इशारों में कहा—“जब तक हम साथ हैं, कोई हमें तोड़ नहीं सकता।”---रोहित की साज़िश शुरू होती हैउसी रात,रोहित ने अपने रसूख और पैसों का इस्तेमाल शुरू कर दिया।फर्जी खबरें, झूठे आरोप,आदित्य के खिलाफ अफ़वाहें फैलने लगीं—“ये लड़का अन्या की दौलत के पीछे है।”“इसकी नौकरी भी झूठी है।”सुबह होते-होतेसोशल मीडिया पर बातें आग की तरह फैल गईं।अन्या का फोन लगातार बज रहा था।वो टूटने लगी।“आदित्य… लोग तुम्हारे बारे में…”आदित्य ने उसका फोन एक तरफ रख दियाऔर कागज़ पर लिखा—“अगर सच हमारे साथ है,तो झूठ ज़्यादा देर नहीं टिकेगा।”---सबूतों की लड़ाईयश ने हालात समझ लिए।पहली बार वो पूरी ताकत से अन्या और आदित्य के साथ खड़ा हुआ।“रोहित हद पार कर रहा है,”उसने कहा।“अब उसे जवाब मिलेगा।”आदित्य ने अपने सारे डॉक्यूमेंट्स,ऑफिस के कॉन्ट्रैक्ट्स,और क्लाइंट्स के वीडियो टेस्टिमोनियल्स तैयार किए।एक प्रेस मीट रखी गई।---सच का सामनाकैमरों की फ्लैश लाइट्स चमक रही थीं।रोहित भी वहाँ पहुँचा—आत्मविश्वास से भरा हुआ।एक पत्रकार ने पूछा“आदित्य जी, आप पर लगे आरोपों के बारे में क्या कहेंगे?”आदित्य ने माइक नहीं उठाया।उसने स्क्रीन की ओर इशारा किया।वीडियो चला—उसके काम, उसकी पहचान,और विदेश से आए मैसेज—“He doesn’t speak, but his work speaks louder than words.”कमरा तालियों से गूंज उठा।रोहित का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।---अन्या का साहसअन्या आगे आईऔर पहली बार सबके सामने बोली—“अगर किसी को लगता है कि प्यार आवाज़ से पहचाना जाता है,तो वो गलत है।मैंने आदित्य की खामोशी मेंसबसे सुरक्षित घर पाया है।”यश ने भी साफ कहा—“अब अगर किसी ने मेरी बहन पर या उसके होने वाले पति पर उंगली उठाई,तो वो मुझसे बात करेगा।”रोहित को समझ आ गया—वो हार रहा है।---एक आख़िरी चालभीड़ छंट चुकी थी।रात गहरी हो चली थी।अचानक अन्या को एक मैसेज मिला—“अगर सच में आदित्य से शादी करनी है,तो आधी रात को अकेले पुराने घाट पर आओ।”अन्या के चेहरे का रंग उड़ गया।आदित्य ने मैसेज देखा।उसकी आँखों में डर नहीं—फैसला था।उसने लिखा—“ये जाल है।”अन्या ने जवाब दिया—“पर अगर मैं नहीं गई…तो वो तुम्हें नुकसान पहुँचा सकता है।”आदित्य ने उसकी दोनों हथेलियाँ पकड़ लीं,आँखों में आग और प्यार—“तो हम दोनों चलेंगे।”---अंत नहीं… संघर्ष की शुरुआतदूर कहीं,अंधेरे मेंरोहित मुस्कुरा रहा था—“या तो ये रिश्ता टूटेगा,या आज सब कुछ खत्म होगा।
आधी रात का सामना और सच का उजाला:-
रात के ठीक बारह बजे थे।
पुराना घाट—जहाँ कभी आरती की आवाज़ें गूंजती थीं,
आज सन्नाटे में डूबा था।
नदी काली चादर की तरह बह रही थी,
और हवा में डर की सरसराहट थी।
अन्या और आदित्य साथ आए थे—
हाथों में हाथ, दिलों में हिम्मत।
आदित्य ने अन्या को अपने पीछे रखा,
जैसे कह रहा हो— “पहले मुझे देखो, फिर उसे।”
अचानक अंधेरे से तालियों की आवाज़ आई।
रोहित सामने आया—
चेहरे पर जीत की झूठी मुस्कान।
“वाह… दोनों साथ आ गए,”
उसने व्यंग्य से कहा।
“सोचा था सिर्फ अन्या आएगी।”
अन्या ने कड़े स्वर में कहा—
“खेल खत्म करो रोहित।
जो कहना है सामने कहो।”
रोहित हँसा—
“खेल तो अब शुरू हुआ है।”
उसने इशारा किया।
पीछे से दो लोग निकले—
एक के हाथ में कैमरा,
दूसरे के पास नकली कागज़ों का बंडल।
“कल सुबह ये खबर चलेगी,”
रोहित बोला,
“कि आदित्य ने पैसे के लिए अन्या को ब्लैकमेल किया।
सबूत भी हैं।”
अन्या काँप गई।
आदित्य आगे बढ़ा।
उसकी आँखों में डर नहीं—
साफ़ सच्चाई थी।
उसने मोबाइल निकाला,
स्क्रीन पर पहले से रिकॉर्डिंग चल रही थी।
रोहित की आवाज़ गूंजी—
“अगर शादी रोकी नहीं गई,
तो आदित्य को बर्बाद कर दो।”
रोहित सन्न रह गया।
“ये… ये कैसे?”
यश अंधेरे से बाहर आया—
साथ में पुलिस की जीप की नीली बत्ती चमकी।
“क्योंकि तुम अकेले नहीं खेल रहे थे,”
यश बोला।
“और हम आँख बंद करके नहीं बैठे थे।”
पुलिस आगे बढ़ी।
रोहित पीछे हटा—
पर देर हो चुकी थी।
“रोहित मल्होत्रा,
तुम पर ब्लैकमेलिंग, धमकी और साज़िश का आरोप है,”
इंस्पेक्टर ने कहा।
रोहित चीखा—
“अन्या! तुम मेरी हो सकती थीं!”
अन्या ने शांत पर मजबूत आवाज़ में जवाब दिया—
“प्यार हक़ नहीं होता रोहित,
इज़्ज़त होता है।
और तुमने दोनों खो दिए।”
हथकड़ी लगी।
रोहित का सिर झुक गया।
सच की जीत
घाट पर फिर सन्नाटा छा गया।
नदी पहले जैसी बहने लगी—
मानो सब धो ले गई हो।
अन्या ने कांपते हाथों से
आदित्य का चेहरा छुआ।
“अगर आज तुम साथ न होते…”
आदित्य ने उसकी हथेली पर लिखा—
“तो भी मैं पहुँच जाता।
क्योंकि प्यार रास्ता ढूंढ लेता है।”
यश ने पहली बार मुस्कुराकर
आदित्य के कंधे पर हाथ रखा—
“माफ़ करना…
पहचानने में देर हो गई।”
आदित्य ने सिर झुका दिया—
आँखों में आदर
नई सुबह
अगली सुबह सूरज कुछ अलग ही चमक रहा था।
घर में हलचल थी—
शादी की तैयारियाँ शुरू हो चुकी थीं।
अन्या ने लाल साड़ी हाथ में ली
और आईने में खुद को देखा।
आँखों में डर नहीं—
सुकून था।
आदित्य दरवाज़े पर खड़ा था।
उसने इशारों में पूछा—
“तैयार?”
अन्या मुस्कुराई—
“हाँ… ज़िंदगी के लिए।” next part...... पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करे