अध्याय 1 — दर्पण का पहला दर्शन संग्राम टूर्स अँड ट्रॅव्हल्स… नाम तो छोटा था, मगर मेरे लिए ये मेरे सपनों की शुरुआत थी। अभी कुछ ही हफ्ते हुए थे जब मैंने अपनी नई चार पहिया गाड़ी निकाली थी — चमचमाती सफेद रंग की “Ertiga”, जिसकी खुशबू अभी तक नई जैसी थी। मेरी दुनिया अब इसी गाड़ी के चारों तरफ घूमती थी। सुबह से रात तक — कभी ओला, कभी उबर, कभी रैपिडो — जो भी राइड मिल जाए, मैं ले लेता। भाड़ा ठीक मिलता था, पेट्रोल के बाद कुछ पैसे बच भी जाते। माँ कहती,

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दर्पण - भाग 1

दर्पण भाग 1️ लेखक: राज फुलवरे---अध्याय 1 — दर्पण का पहला दर्शनसंग्राम टूर्स अँड ट्रॅव्हल्स…नाम तो छोटा था, मगर लिए ये मेरे सपनों की शुरुआत थी।अभी कुछ ही हफ्ते हुए थे जब मैंने अपनी नई चार पहिया गाड़ी निकाली थी — चमचमाती सफेद रंग की “Ertiga”, जिसकी खुशबू अभी तक नई जैसी थी।मेरी दुनिया अब इसी गाड़ी के चारों तरफ घूमती थी।सुबह से रात तक — कभी ओला, कभी उबर, कभी रैपिडो — जो भी राइड मिल जाए, मैं ले लेता।भाड़ा ठीक मिलता था, पेट्रोल के बाद कुछ पैसे बच भी जाते।माँ कहती,> “बेटा, हर मेहनती को एक ...Read More