मां... हमारे अस्तित्व की पहचान

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मां* एक ऐसा शब्द जो अपने आप में ही सम्पूर्ण हे इसे समझने के लिए किसी और शब्द की जरूरत नहीं होती। "मां एक ऐसा शब्द जिसके आगे देवता भी नतमस्तक है" मां की ममता पाने को देवता भी धरती पर अवतरित हुए हैं। मां...मां होती है चाहे फिर वह इंसान की हो या किसी पशु पक्षी की हो । सुना है भगवान हर वक्त आपके समक्ष नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया है। मेरी यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है 'एक मां की भावना ने मेरे मन को छू लिया था इसलिए मैंने उसे अपने शब्दों से व्यक्त करने की कोशिश की है ,इस उम्मीद से कि शायद आपको भी पसंद आए'

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 1

मां एक ऐसा शब्द जो अपने आप में ही सम्पूर्ण हे इसे समझने के लिए किसी और शब्द की नहीं होती। मां एक ऐसा शब्द जिसके आगे देवता भी नतमस्तक है मां की ममता पाने को देवता भी धरती पर अवतरित हुए हैं।मां...मां होती है चाहे फिर वह इंसान की हो या किसी पशु पक्षी की हो ।सुना है भगवान हर वक्त आपके समक्ष नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया है।मेरी यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है'एक मां की भावना ने मेरे मन को छू लिया था इसलिए मैंने उसे अपने शब्दों से व्यक्त करने की कोशिश की ...Read More

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 2

कुछ दिनों बाद...एक सुबह जैसे ही प्रियु ने बरांडे का गेट खोला।उसे चू चू की आवाज सुनाई दी, सुनते वह दौड़कर अंदर गई और मां और भाई को बुला कर ले आई।और खुशी से झूम कर बोली सुनो मां --चिडिया के बच्चो की‌ आवाज ।आवाज सुनकर भावना भी बहुत खुश हुई और आशु ‌से बोली- जाओ टेबल उठा कर ले आओ अपन देखेंगे चिड़िया के बच्चों को।आशु तुरंत ही अंदर से टेबल उठा लाया।सामने डाल पर बैठी चिड़िया सब देख रही थी और जैसे ही आशु टेबल पर चढ़ा बच्चों को देखने के लिए,,सामने डाल पर बैठी चिड़िया तुरंत ...Read More

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3

अगले दिन...भावना जैसे ही गेट खोलकर बरांडे में गई तो वहां का मंजर देखते ही उसका दिल जोर से लगा,उसने आशु को आवाज लगाने की कोशिश की पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी फिर..भावना दौड़कर अंदर गई और आशु को उठाते हुए बोली -जल्दी उठो आशु, जल्दी बहार चलो , जल्दी चलो!!मां को इतना घबराया हुआ देखकर आशु बोला-- क्या हुआ मां क्या बात है ?इतना क्यों घबरा रही हो ?पर.. भावना के पास कोई शब्द नहीं थे बस इतना हीं बोली कि -पहले तुम बहार‌ चलो जल्दी से।ठीक है मां ,कहते हुए आशु आंखों को मलते हुए ...Read More

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 4

आशु 2 घंटे बीत चुके हैं चिड़िया अभी तक नहीं आई।भावना बोली -चलो आशु , यु ट्यूब पर देखते कि चिड़िया के छोटे बच्चों को खाना और पानी कैसे दते हैं ।ठीक है मां यही सही रहेगा, आप 2 मिनट रुको मैं अभी आता हूं कहते हुए आशु कमरे में चला गया।भावना वही बरांडे में खड़ी थी कि --अचानक उसके कानों में चिड़िया की आवाज सुनाई दी।भावना ने देखा सामने डाल पर चिड़िया बैठी थी ।चिड़िया को देखते ही भावना का मन खुशी से झूमने लगा वह तुरंत ही घर के अंदर चली गई और दरवाजा लगा लिया ताकि ...Read More

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 5

चिड़िया अपने बच्चों की चोंच से चोंच मिला रही थी। जैसे कह रही हो कि--बेटा आज जो तुम स्वस्थ सुरक्षित हो उसका कारण अकेली में ही नहीं हुं कोई और भी है जिन्होंने तुम्हें बचाया है ।तुम्हें सुरक्षित लाकर अपने घर में रखा है।चूचू की धीमी आवाज में जैसे बच्चे पूछ रहे हो और कौन है मां जो हमे तुम्हारी तरह सुरक्षित रख सकता है।कुछ इंसान होते हैं बेटा जो अपनी ही तरह जानवरो और पशु पक्षियों का भी ख्याल रखते हैं।उन्हें में से एक फैमिली भावना की भी है।वह भी मेरी ही तरह तुम्हारे लिए बहुत परेशान थे, ...Read More

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मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 6

चिड़िया दोबारा आती है और आसु के करीब से पंख फड़फड़ाते हुए निकल जाती है और सामने डाल पर बच्चों के साथ जाकर बैठ जाती है।चिड़िया के दोनों बच्चे भी आते है,पर वह इतनी लंबी दूरी तय नहीं कर पाते इसलिए वापस अपनी मां के पास जाकर बैठ जाते हैं।भावना बोली देखो-वह तो बस तुम्हारा धन्यवाद कर रही है।तुमने उसके बच्चों की रक्षा की है इसलिए तुम्हारा आभार व्यक्त कर रही है। और देखो दोनों बच्चे भी तुम्हारा धन्यवाद कर रहे हैं। तुम उनके भावो को समझने की कोशिश करो।सच में मां, क्या पशु -पक्षीयो में भी ऐसे भाव ...Read More