पहली नज़र की चुप्पी

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बारिश की हल्की बूँदें खिड़की के शीशे से टकरा रही थीं। हवा में मिट्टी की खुशबू घुली हुई थी, जैसे ज़मीन भी अपनी कहानी सुनाने को बेचैन हो। Prakhra ने अपनी किताब बंद की, खिड़की के पास जाकर आँखें मूँद लीं। उस पल में दुनिया ठहर-सी गई थी — और उसी ठहराव में कहीं एक चेहरा था, जो उसके ज़ेहन में बसा हुआ था... Aarav। कभी-कभी ज़िंदगी किसी किताब की तरह नहीं होती, जहाँ अगले पन्ने का अंदाज़ा लग सके। कुछ मुलाक़ातें तो बस एक नज़र में पूरी कहानी लिख जाती हैं। उनकी पहली मुलाक़ात भी कुछ ऐसी ही थी..

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पहली नज़र की चुप्पी - 1

बारिश की हल्की बूँदें खिड़की के शीशे से टकरा रही थीं। हवा में मिट्टी की खुशबू घुली हुई थी, ज़मीन भी अपनी कहानी सुनाने को बेचैन हो।Prakhra ने अपनी किताब बंद की, खिड़की के पास जाकर आँखें मूँद लीं। उस पल में दुनिया ठहर-सी गई थी — और उसी ठहराव में कहीं एक चेहरा था, जो उसके ज़ेहन में बसा हुआ था... Aarav।कभी-कभी ज़िंदगी किसी किताब की तरह नहीं होती, जहाँ अगले पन्ने का अंदाज़ा लग सके। कुछ मुलाक़ातें तो बस एक नज़र में पूरी कहानी लिख जाती हैं।उनकी पहली मुलाक़ात भी कुछ ऐसी ही थी... वो कॉलेज ...Read More