मैं Naina Khan हूँ — एक लेखिका, जो अपने ख्वाबों को लफ़्ज़ों में ढालकर ज़िंदगी की कहानियाँ बुनती है। मेरे लिए लिखना सिर्फ़ एक कला नहीं, एक एहसास है। हर शब्द जो मैं काग़ज़ पर उतारती हूँ, वो मेरी रूह का हिस्सा होता है। मैंने ज़िंदगी को उसकी ख़ामोशियों में महसूस किया है — पहाड़ों की ठंडी हवा, रिश्तों की उलझनें, और वक़्त की चाल को अपनी कहानियों में पिरोया है। मेरी कहानियाँ रहस्य से भरी होती हैं, लेकिन उनके भीतर एक गहराई होती है — जो दिल को छूती है और सोच को झकझोर देती है।
Full Novel
दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 1
️ लेखिका परिचय — Naina Khanमैं Naina Khan हूँ — एक लेखिका, जो अपने ख्वाबों को लफ़्ज़ों में ढालकर की कहानियाँ बुनती है।मेरे लिए लिखना सिर्फ़ एक कला नहीं, एक एहसास है। हर शब्द जो मैं काग़ज़ पर उतारती हूँ, वो मेरी रूह का हिस्सा होता है।मैंने ज़िंदगी को उसकी ख़ामोशियों में महसूस किया है — पहाड़ों की ठंडी हवा, रिश्तों की उलझनें, और वक़्त की चाल को अपनी कहानियों में पिरोया है।मेरी कहानियाँ रहस्य से भरी होती हैं, लेकिन उनके भीतर एक गहराई होती है — जो दिल को छूती है और सोच को झकझोर देती है।"दरवाज़ा: वक़्त ...Read More
दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 2
Naina Khanसपनों की दुनिया से शब्दों का सफ़र तय करती एक लेखिका, जो हर एहसास को अपने लफ़्ज़ों में जानती हैं।हर कहानी उनके दिल का एक टुकड़ा होती है, और हर किताब एक ऐसा दरवाज़ा, जो पाठकों को उनकी कल्पनाओं की दुनिया में ले जाता है।वो मानती हैं कि जज़्बातों को अगर सही लफ़्ज़ मिल जाएं, तो वो सिर्फ़ पढ़े नहीं जाते — महसूस किए जाते हैं।अपने ख्वाबों को काग़ज़ पर उतारना उनके लिए इबादत है, और हर पन्ना उनके अंदर की आवाज़ का अक्स।*अध्याय 2: दरवाज़े के उस पार* — जहाँ वक़्त की चाल बदल जाती है और ...Read More
दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 3
दरवाज़ा: वक़्त के उस पारलेखिका: Naina Khanपाँच दोस्त, पाँच ज़िंदगियाँ, और एक पहाड़ी होटल जहाँ वक़्त ठहरता नहीं — जाता है।सालों बाद मिले ये दोस्त एक रहस्यमयी दरवाज़े की ओर खिंचते चले जाते हैं, जो दिखता है सुकून का लेकिन ले जाता है इम्तिहान की दुनिया में। दरवाज़े के उस पार एक अलग ही दुनिया है — जहाँ हर ख़ूबसूरत चीज़ धीरे-धीरे डर में बदलती है, और हर क़दम एक नई सज़ा बन जाता है।जब एक दोस्त लौटती है, उसकी आँखों में पाँच महीने की लड़ाई की कहानी होती है — जबकि बाहर सिर्फ़ पाँच मिनट गुज़रे हैं। अब ...Read More
दरवाज़ा: वक़्त के उस पार - 4
"दरवाज़ा: वक़्त के उस पार" मेरी कल्पना और अनुभव का संगम है — एक ऐसी दुनिया जहाँ हर दरवाज़ा इम्तिहान है, और हर किरदार अपने डर से लड़ता है।मैं मानती हूँ कि कहानियाँ सिर्फ़ पढ़ी नहीं जातीं — वो महसूस की जाती हैं।और अगर एक पाठक मेरी कहानी पढ़कर थोड़ी देर के लिए अपनी दुनिया भूल जाए… तो मेरा लेखन सफल हो गया।कहानी का आख़िरी अध्याय — जहाँ परतें खुलेंगी, और वो दरवाज़ा आख़िर क्यों बना, इसका राज़ सामने आएगा।---*अध्याय 4: रहस्य का पर्दा*_“हर दरवाज़ा किसी मंज़िल की तरफ़ नहीं जाता… कुछ दरवाज़े सिर्फ़ सबक देने के लिए होते ...Read More