बासौदा… एक छोटा सा शहर, जहाँ ज़िंदगी की रफ़्तार बड़े शहरों जैसी तेज़ नहीं थी। यहाँ सुबह की शुरुआत मंदिर की घंटी से होती थी और शाम बाज़ार के गोलगप्पे वाले के ठेले के सामने ख़त्म। इसी बासौदा में रहता था *ध्रुव शर्मा* – एक ऐसा लड़का जो स्कूल के टीचर्स का फ़ेवरेट था और दोस्तों का दिल। ध्रुव पढ़ाई में हमेशा टॉपर, क्रिकेट में भी अच्छा और सबसे बड़ी बात – इंसानियत उसके चेहरे पर लिखी थी। लोग कहते थे, “ध्रुव के दिल में सबके लिए जगह है।” ध्रुव के दो दोस्त हमेशा उसके साथ होते – *आशु* और *आदर्श*। आशु यानी आशुतोष – क्लास का सबसे बड़ा गधा, मैथ्स के नंबर देखकर हमेशा बीमार पड़ जाता, लेकिन दोस्ती में फ़र्स्ट रैंक। दूसरी तरफ़ आदर्श – थोड़ा सीरियस टाइप, हर बात पर एडवाइस देने वाला, जैसे ग्रुप का छोटा सा फ़िलॉस्फ़र।
Basoda Se Bangalore Tak - 1
अध्याय 1 – बासौदा का छोटा सा शहरबासौदा… एक छोटा सा शहर, जहाँ ज़िंदगी की रफ़्तार बड़े शहरों जैसी नहीं थी। यहाँ सुबह की शुरुआत मंदिर की घंटी से होती थी और शाम बाज़ार के गोलगप्पे वाले के ठेले के सामने ख़त्म।इसी बासौदा में रहता था *ध्रुव शर्मा* – एक ऐसा लड़का जो स्कूल के टीचर्स का फ़ेवरेट था और दोस्तों का दिल। ध्रुव पढ़ाई में हमेशा टॉपर, क्रिकेट में भी अच्छा और सबसे बड़ी बात – इंसानियत उसके चेहरे पर लिखी थी। लोग कहते थे, “ध्रुव के दिल में सबके लिए जगह है।”ध्रुव के दो दोस्त हमेशा उसके ...Read More
Basoda Se Bangalore Tak - 2
बासौदा की गलियों में ध्रुव, आशु और आदर्श की दोस्ती मशहूर थी। तीनों हर सुबह एक ही साइकल पर जाते। आगे ध्रुव पैडल मारता, बीच में आदर्श बैग सँभालता और पीछे बैठा आशु हँसी-मज़ाक करता।आशु की शरारतें तो पूरे स्कूल में मशहूर थीं। कभी क्लास में चॉक छुपा देता, तो कभी टीचर की कुर्सी खिसका देता। सज़ा मिलने पर भी हँसकर खड़ा हो जाता और बोलता –“सर, ये सब ध्रुव ने किया है, मैं तो मासूम हूँ।”पूरी क्लास खिलखिलाकर हँस पड़ती और ध्रुव सिर पकड़ लेता।आदर्श इन दोनों का बैलेंस था। वो हर बार समझाता –“ओये आशु, अगर तूने ...Read More
Basoda Se Bangalore Tak - 3
बासौदा स्कूल का वार्षिकोत्सव पूरे शहर के लिए त्यौहार जैसा होता था। पूरे मैदान में रंग-बिरंगी झालरें टंगी थीं, पर बड़ी सी पेंटिंग बनी थी और बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में इधर-उधर भाग रहे थे। पूरा माहौल एकदम ऐसा था जैसे सारे तारे झिलमिलाते हुए बच्चों के रूप में धरती पर एक साथ उतर आए होंध्रुव (अपनी नाम की तरह आसमान का सबसे रोशन तारा)उस साल भी आयोजन समिति का हिस्सा था। प्रिंसिपल को उस पर पूरा भरोसा था – “ध्रुव है तो सब सही होगा।”दूसरी तरफ़ खुशी को *डांस परफ़ॉर्मेंस* में चुना गया था।जब ध्रुव ने पहली बार खुशी ...Read More