छोटे शहर बरेली के एक साधारण से कॉलेज में, नया सत्र शुरू हो चुका था। कॉलेज की भीड़ में, हलके भूरे रंग की शर्ट और नीली जींस पहने एक लड़का, कुछ घबराया, कुछ उत्साहित-सा कैंपस में प्रवेश करता है। दिल्ली से आया ये लड़का, आरव वर्मा, अपने पापा की सरकारी नौकरी के चलते बरेली शिफ्ट हुआ था। कॉलेज के पहले ही दिन, जब सब नए दोस्त बनाने में लगे थे, आरव अकेला सा बैठा कैंटीन के एक कोने में किताबों में झाँक रहा था। तभी, पास की टेबल पर एक तेज़ आवाज़ गूँजी — "किसी भी समाज का असली चेहरा उसकी औरतों की आज़ादी से पता चलता है!"
पहली मुलाक़ात - भाग 1
🩵 भाग 1: पहली मुलाक़ातछोटे शहर बरेली के एक साधारण से कॉलेज में, नया सत्र शुरू हो चुका था। की भीड़ में, हलके भूरे रंग की शर्ट और नीली जींस पहने एक लड़का, कुछ घबराया, कुछ उत्साहित-सा कैंपस में प्रवेश करता है। दिल्ली से आया ये लड़का, आरव वर्मा, अपने पापा की सरकारी नौकरी के चलते बरेली शिफ्ट हुआ था।कॉलेज के पहले ही दिन, जब सब नए दोस्त बनाने में लगे थे, आरव अकेला सा बैठा कैंटीन के एक कोने में किताबों में झाँक रहा था। तभी, पास की टेबल पर एक तेज़ आवाज़ गूँजी —"किसी भी समाज का ...Read More
पहली मुलाक़ात - भाग 2
"तुम्हें किताबें पसंद हैं, लेकिन ज़िंदगी की असली किताब से मिलवाऊँ?"अंजली ने एक दिन कैंटीन में बैठते हुए आरव पूछा।"कौन सी किताब?" आरव ने चाय की चुस्की लेते हुए मुस्कराकर जवाब दिया।"मेरा मोहल्ला," उसने कहा, और एक लंबी साँस ली, "जहाँ हर खिड़की के पीछे एक समाज बैठा है, जो हर लड़की के सपनों पर निगरानी रखता है।"आरव समझ तो रहा था, पर पहली बार अंजली को इस अंदाज़ में बोलते देखा। उस दिन उसने महसूस किया — अंजली सिर्फ किताबों की समझ रखने वाली लड़की नहीं थी, वह अपने अनुभवों से बनी थी। एक ऐसी लड़की, जो छोटी-छोटी ...Read More