पहली रात की सुहागरात

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"ये चौथी लाश है इस महीने की..." पुराने कुएं के पास खड़े ठाकुर राजवीर की आँखों में डर साफ़ झलक रहा था। गांव वाले इकट्ठा थे—हर चेहरा सहमा हुआ, जैसे अब किसी को बोलने की हिम्मत न हो। "शादी के दिन मन्नू कितना खुश था... और अब देखो..." बूढ़ा नत्थू अपने आंसू पोछता चला गया। “उसके सीने से दिल ही निकाल लिया किसी ने…” डॉक्टर राधा ने थूक निगला। “शरीर में एक खरोंच तक नहीं, बस दिल गायब…” गांव के बीचोबीच जैसे मौत का बाज़ार लग गया था। चाय की दुकान बंद, मंदिर में घंटियां नहीं बज रहीं, और औरतें दोपहर होते ही दरवाज़े बंद कर लेतीं।

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पहली रात की सुहागरात - भाग 1

"ये चौथी लाश है इस महीने की..."पुराने कुएं के पास खड़े ठाकुर राजवीर की आँखों में डर साफ़ झलक था। गांव वाले इकट्ठा थे—हर चेहरा सहमा हुआ, जैसे अब किसी को बोलने की हिम्मत न हो।"शादी के दिन मन्नू कितना खुश था... और अब देखो..." बूढ़ा नत्थू अपने आंसू पोछता चला गया।“उसके सीने से दिल ही निकाल लिया किसी ने…” डॉक्टर राधा ने थूक निगला। “शरीर में एक खरोंच तक नहीं, बस दिल गायब…”गांव के बीचोबीच जैसे मौत का बाज़ार लग गया था। चाय की दुकान बंद, मंदिर में घंटियां नहीं बज रहीं, और औरतें दोपहर होते ही दरवाज़े ...Read More

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पहली रात की सुहागरात - भाग 2

कृष्णा की लाश अभी तक बिस्तर पर ही थी। ठाकुर जमीन पर बैठा, रोता जा रहा था, और बाकी कुछ दूर खड़े, सिर्फ कानाफूसी कर रहे थे।"हर बार ऐसा ही होता है... शादी, सुहागरात और फिर मौत…""और हर बार दुल्हन वही होती है…""मगर कोई कुछ कहता क्यों नहीं?"भीड़ में से कोई चुपचाप बोला — “क्योंकि जिसने कुछ कहा… उसकी अगली बारी आई।”उधर हवेली के पीछे बने पुराने बाग़ में एक लाल जोड़ा लटकता मिला।हवा के झोंके में वो जोड़ा इस तरह उड़ रहा था जैसे किसी की रूह उसमें समाई हो।और नीचे ज़मीन पर... एक जोड़ी नुकीली ऊँची हील्स ...Read More