अनकही दास्तां (शानवी अनंत)

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(एक भावनात्मक प्रेम कहानी) दोस्तों, मेरा नाम अनंत है। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मा, जहां सुबह की शुरुआत होती है घर के पास के मंदिर की घंटियों से और रातें ढलती हैं चमकते सितारों की चांदनी के बीच। वहीं पला बढ़ा। गांव की मिट्टी में खेलते हुए, मेरी रूह में एक सादगी बस गई थी। लेकिन जब पढ़ाई का वक्त आया, तो मेरा सफर मुझे दिल्ली ले आया। ये शहर मेरे लिए नया था, भीड़ से भरा, लेकिन मुझे सपनों की भीड़ में अपना रास्ता बनाना था। मै शर्मीले स्वभाव वाला लड़का था ना किसी बात करना बस अपनी ही धुन में खोया रहता।

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अनकही दास्तां (शानवी अनंत) - 1

अनंत और शानवी की अनोखी कहानी(एक भावनात्मक प्रेम कहानी)दोस्तों,मेरा नाम अनंत है।मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव जन्मा, जहां सुबह की शुरुआत होती है घर के पास के मंदिर की घंटियों से और रातें ढलती हैं चमकते सितारों की चांदनी के बीच। वहीं पला बढ़ा। गांव की मिट्टी में खेलते हुए, मेरी रूह में एक सादगी बस गई थी।लेकिन जब पढ़ाई का वक्त आया, तो मेरा सफर मुझे दिल्ली ले आया। ये शहर मेरे लिए नया था, भीड़ से भरा, लेकिन मुझे सपनों की भीड़ में अपना रास्ता बनाना था।मै शर्मीले स्वभाव वाला लड़का था ना किसी ...Read More

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अनकही दास्तां (शानवी अनंत) - 2

प्यार की वो पहली शुरुआत— Part 2"जहां शब्द नहीं, सिर्फ एहसास बोलते हैं....उस दिन गर्मी के मौसम में तेज हो रही थी।दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की आवाज़ें भी गूंज रही थीं, और मेरी खिड़की के बाहर टपकती बूंदों में बस एक ही नाम गूंज रहा था — शानवीवो हर पल मेरे ख्यालों में बसती जा रही थी मै हर पल उसकी यादों में डूबा हुआं था।मैंने उसके नाम की कोई डायरी नहीं बनाई थी,लेकिन मेरे हर लफ्ज़, हर कविता में अब वो बस उसी के लिए होती थीं।उस रात बहुत सोचने के बाद,मैंने पहली बार दिल से एक ...Read More

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अनकही दास्तां (शानवी अनंत) - 3

"जब पहली बार एहसास चेहरे से टकराते हैं...."दिल की धड़कनें तेज़ थीं।दिल्ली की ठंडी शाम, लेकिन मेरी हथेलियां पसीने भीगी हुई थीं।आज का दिन बहुत खास था।मैंने फैसला किया था ..शानवी से मिलने का।हम महीनों से एक दूसरे से जुड़ते आ रहे थे.… शब्दों के ज़रिए, खामोशियों के ज़रिए।लेकिन आज मैं पहली बारउसकी आंखों में देखना चाहता था,जिन्हें देखकर मैंने प्यार किया था।मैंने एक कॉफी कैफ़े चुना, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास —न ज्यादा भीड़, न ज्यादा सन्नाटा।बस उतनी जगह जहां मैं उसके सामने बैठकरवो कविता पढ़ सकूं जो मैंने सिर्फ उसके लिए लिखी थी।जो बाते मै उसे बोल नहीं ...Read More