मुंबई की एक सर्द सुबह... समंदर की लहरें शांत थीं, लेकिन शहर के बीचोंबीच एक तूफानी शख्सियत की एंट्री होने वाली थी। काली Mercedes-Benz Maybach का दरवाज़ा खुला, और धुएं की तरह बाहर निकला एक नाम युग प्रताप सिंह। ऊँचा कद, तीखी आँखें, गुलाबी होंठ नीली आंखें छाती पर जमी हुई सिक्योरिटी टीम की मौजूदगी और एक ऐसा रौब, जिसे देखकर अच्छे-अच्छे कांप जाते थे। आज वो किसी मीटिंग के लिए नहीं निकला था। आज उसका मन बेमकसद सड़कों पर घूमने का कर रहा था। वो कभी-कभी यूँ ही लोगों को बिना डरे चलता देखना चाहता था — वो डर जो उसके नाम से उनके चेहरों पर उतर आता था। उसी वक़्त, सड़क किनारे एक छोटी सी किताबों की दुकान के पास, एक लड़की झुकी हुई किताबों को उलट-पलट रही थी। सादे सूट में, बिना मेकअप के, बाल खुले हुए... लेकिन आँखों में जैसे कोई अलग ही दुनिया बसाई हो।

Full Novel

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सनम - 1

अध्याय 1: "नज़रें जो टकराईं"मुंबई की एक सर्द सुबह...समंदर की लहरें शांत थीं, लेकिन शहर के बीचोंबीच एक तूफानी की एंट्री होने वाली थी।काली Mercedes-Benz Maybach का दरवाज़ा खुला, और धुएं की तरह बाहर निकला एक नाम युग प्रताप सिंह। ऊँचा कद, तीखी आँखें, गुलाबी होंठ नीली आंखें छाती पर जमी हुई सिक्योरिटी टीम की मौजूदगी और एक ऐसा रौब, जिसे देखकर अच्छे-अच्छे कांप जाते थे।आज वो किसी मीटिंग के लिए नहीं निकला था। आज उसका मन बेमकसद सड़कों पर घूमने का कर रहा था। वो कभी-कभी यूँ ही लोगों को बिना डरे चलता देखना चाहता था — वो ...Read More

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सनम - 2

मुंबई की शाम थी। शहर की हलचल में गुम, अवनि अपनी स्कूटी चला रही थी, और उसकी आँखों में चुप्प सी तन्हाई थी जो हमेशा उसके साथ होती। उसके दिल में कभी किसी की जगह नहीं बन पाई थी। दुनिया ने उसके लिए कई इशारे किए थे, पर वह कभी किसी से खुलकर नहीं मिली। वह किसी से जुड़ने की कोशिश नहीं करती थी, बस अपने ही छोटे से दायरे में खुश रहने की कोशिश करती थी।उस दिन, रास्ते में अचानक एक काले रंग की शानदार कार उसके सामने आकर रुक गई। कार के शीशे में एक चेहरा था, ...Read More