Sanam - 5 in Hindi Love Stories by shikha books and stories PDF | सनम - 5

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सनम - 5

मुंबई की चकाचौंध भरी रातों में, एक नाम था जो हमेशा चमकता था – राजवीर मल्होत्रा।

बाहर से बेहद संजीदा, महंगे सूट में लिपटा, आलीशान बंगलों और महंगी गाड़ियों का मालिक। लेकिन अंदर से—हवस का प्यासा, जो खूबसूरती को इज्ज़त नहीं, शिकार समझता था। और अब उसकी निगाहें उस लड़की पर थीं… जो Yug Pratap Singh के दिल में जगह बना चुकी थी—Avni।

उस रात, Emerald Lounge की पार्टी में राजवीर अपने खास आदमी रणदीप के साथ खड़ा था।

"वो लड़की मुझे चाहिए," उसने शराब के गिलास में बर्फ घुमाते हुए कहा।

"Yug से दुश्मनी क्या कम थी, जो अब उसकी जान से प्यारी चीज़ पर नज़र डाल रहे हो?" रणदीप ने सावधानी से कहा।

"तभी तो मज़ा आएगा," राजवीर की आंखों में शैतानी चमक थी। "Yug ने मेरी कंपनी छिनी थी, मेरा नाम मिट्टी में मिलाया था… अब मैं उसका सब कुछ छीनूंगा। और ये लड़की, वो पहला ज़रिया बनेगी।"


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अगले दिन –

Avni रोज़ की तरह अपनी पसंदीदा लाइब्रेरी पहुंची। किताबों से उसकी दोस्ती पुरानी थी, और वो कम से कम कुछ घंटे शांति से बिताना चाहती थी।

"Excuse me…" एक भारी, मुलायम आवाज़ उसके कानों में पड़ी।

उसने ऊपर देखा—सामने राजवीर था।

"अगर बुरा न माने तो, मैं यहां बैठ सकता हूँ?"

Avni ने विनम्रता से सिर हिलाया।

"आप हर दिन आती हैं?"

"जी," उसने संक्षेप में जवाब दिया।

"खूबसूरत जगहों पर खूबसूरत लोग ही दिखते हैं," राजवीर ने मुस्कराते हुए कहा। "मैं राजवीर हूँ, और आप?"

"Avni."

"सुंदर नाम है… जैसा इसका मतलब है, वैसी ही आप भी लगती हैं—पवित्र, शांत, सीधी।"

Avni को कुछ अजीब महसूस हुआ, लेकिन उसने बात को वहीं खत्म करने के लिए किताब में चेहरा छिपा लिया।

राजवीर मुस्कुराता रहा… उसकी आँखें अवनि के चेहरे से होती हुई उसके शरीर पर टिकी रहीं। ये नज़रें वो थीं, जो कोई शरीफ़ लड़की बिना घबराए झेल नहीं सकती।


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युग का बंगला – उसी शाम

Yug एक बड़ी फाइल पर काम कर रहा था, जब अर्जुन कमरे में घुसा।

"Boss… खबर है कि Rajveer पिछले तीन दिन से लाइब्रेरी जा रहा है। और हर बार उसी समय जब Avni mam वहां होती है।"

युग के हाथ रुक गए।

"Rajveer…"

उसने गहरी सांस ली। एक अंधेरा बीता हुआ कल उसकी आंखों के सामने आया। वही राजवीर, जिसने उसके पिता की कंपनी को धोखे से हथियाने की कोशिश की थी। और Yug ने सब कुछ दांव पर लगाकर, उसे नंगा कर दिया था दुनिया के सामने।

"अब वो Avni तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है?" युग की आंखें जलने लगीं।

"वो नहीं जानता कि अब Avni… मेरी दुनिया है।"

"मुझे उसके हर कदम की खबर चाहिए।"


हमारे किसी आदमी से खबर भिजवा दो राजवीर को, जाहा है वही रूक जाए बरना यूग प्रताप सिंह खूद आऐगा समझाने 

ओके सर बोलके अर्जुन चला गया 

यूग कुछ सोच रहा था,! 

वही दूसरी तरफ.रात – लाइब्रेरी से बाहर

Avni बाहर निकली ही थी, कि सफेद Mercedes उसके सामने आकर रुकी। शीशा नीचे हुआ।

"Avni… मुझे लगा तुम्हें छोड़ दूं। आज अंधेरा कुछ ज़्यादा है," राजवीर ने सौम्यता से कहा।

"Thanks, लेकिन मैं खुद चली जाऊंगी," Avni ने विनम्र लेकिन सख़्त लहज़े में कहा।

"अकेली लड़की… इतनी रात में… थोड़ा डर तो लगेगा न?" राजवीर की नज़रों में वही हवस झलक रही थी, जो अब Avni समझने लगी थी।

"मुझे डरने की ज़रूरत नहीं, और हाँ… आपकी चिंता की भी नहीं," मै आपको इतना भी नहीं जानती हु,उसने जवाब दिया और तेज़ी से आगे बढ़ी।

"Zidd toh है…" राजवीर गाड़ी से उतरते हुए बोला, "पर मैं किसी चीज़ को छोड़ता नहीं। जो चाहिए, उसे लेकर ही मानता हूँ।"

वो Avni की ओर एक कदम बढ़ाने ही वाला था कि एक काली SUV गड़गड़ाती हुई रुकी।

दरवाज़ा खुला, और उस साए ने कदम रखा, जिससे मुंबई कांपती थी—Yug Pratap Singh।

"Avni!" उसकी आवाज़ में सुकून भी था और आग भी।

Avni ने मुड़कर देखा। उसके चेहरे पर एक अनकही राहत दौड़ गई।

"तुम ठीक हो?" Yug ने उससे पूछा।

Avni ने सिर हिलाया—"Haan, ab hoon…"

फिर Yug ने राजवीर की ओर देखा। उसके चेहरे पर अब कोई मुस्कान नहीं थी।

"Rajveer… tujhe lagta है ये कोई खिलौना है, जिस पर तेरा हक होगा?"

Rajveer हँसा—"Yug, दिल से खेलना मैंने तुझसे सीखा है। आज बस तेरे उस दिल को तोड़ने आया हूँ।"उसने धिरे से बोला 

Yug आगे बढ़ा और धीरे से उसके करीब आया।

"एक बात याद रख… Avni सिर्फ एक नाम नहीं, वो मेरा इश्क़ है। और मेरा इश्क़ खरीदने की चीज़ नहीं, मर मिटने की वजह होता है।"इसलिए सोचना भी मत 

Rajveer की मुस्कान गायब हो गई। वो जानता था Yug को lightly लेना मौत को न्योता देने जैसा है।

"Abhi toh bas shuruaat hai…" Rajveer बुदबुदाया और अपनी गाड़ी में बैठ गया।


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SUV में Avni और Yug –

"तुमने मेरा पीछा किया?" Avni ने पूछा।

"नहीं… तुम्हारी हिफाज़त की," Yug ने नज़रें नहीं हटाईं। "उसकी आंखों में वही हवस थी जो मुझे पहचान में आती है। और मैं… तुम्हारी आंखों में सिर्फ सुकून देखना चाहता हूं।"

Avni कुछ नहीं बोली। पर उसकी आंखें बोल रही थीं—शायद अब उसे Yug से डर नहीं लगता था, बल्क़ि सुकून मिलने लगा था।

और शायद… यही बात सबसे ज़्यादा खतरनाक थी।


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जारी रहेगा…