नाम है उसका अन्विता शर्मा — एकदम सीधी-सादी लड़की। छोटे शहर की, सीधी सोच की, और बड़ी-बड़ी आँखों में ढेर सारे ख्वाब लिए दिल्ली के इस बड़े कॉलेज में दाखिल हुई है। हिंदी मीडियम से पढ़कर यहाँ आई है, जहाँ सब कुछ इंग्लिश में चलता है — बात भी, बातें भी और लड़कपन भी।अन्विता के पापा एक स्कूल टीचर हैं — गणित पढ़ाते हैं। माँ घर संभालती हैं और छोटी बहन की पढ़ाई के लिए अक्सर ट्यूशन से लेकर टाइम टेबल तक सब मैनेज करती हैं। अन्विता बचपन से ही किताबों की दोस्त रही है, और सपनों की भी।
ONE SIDED LOVE - 1
नाम है उसका अन्विता शर्मा — एकदम सीधी-सादी लड़की। छोटे शहर की, सीधी सोच की, और बड़ी-बड़ी आँखों में सारे ख्वाब लिए दिल्ली के इस बड़े कॉलेज में दाखिल हुई है। हिंदी मीडियम से पढ़कर यहाँ आई है, जहाँ सब कुछ इंग्लिश में चलता है — बात भी, बातें भी और लड़कपन भी।अन्विता के पापा एक स्कूल टीचर हैं — गणित पढ़ाते हैं। माँ घर संभालती हैं और छोटी बहन की पढ़ाई के लिए अक्सर ट्यूशन से लेकर टाइम टेबल तक सब मैनेज करती हैं। अन्विता बचपन से ही किताबों की दोस्त रही है, और सपनों की भी। उसे ...Read More
ONE SIDED LOVE - 2
कॉलेज का माहौल अब थोड़ा जाना-पहचाना लगने लगा था। क्लासेस अब सिर्फ लेक्चर नहीं, एक दिनचर्या का हिस्सा बन थीं। अन्विता हर सुबह अपनी डायरी के पन्ने पलटती और सोचती — “आज शायद कुछ अलग हो।”लेकिन उसके 'अलग' का मतलब अब सिर्फ एक चेहरा बन चुका था — आरव मेहता।आरव अब उसकी आंखों की आदत बन चुका था।कभी उसे कैंटीन की भीड़ में देखती, तो कभी लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर बैठे हुए — कानों में इयरफोन, हाथ में कोई नॉवल या मोबाइल, और चेहरा हमेशा जैसे किसी फिल्म का हीरो हो।वो हँसता तो ऐसा लगता कि कोई गाना चल ...Read More
ONE SIDED LOVE - 3
आरव का साथ अन्विता के लिए किसी सपने जैसा था — वो सपना जिसे वो खुली आँखों से देख थी, पर छूने से डरती थी।लंच टेबल पर पहली बार उनके बीच जो बातचीत शुरू हुई थी, वो यूँ धीरे-धीरे आगे बढ़ी जैसे कोई धीमी, मधुर धुन — ना तेज़, ना अचानक… बस महसूस करने के लिए बनी हो।“तो… क्या लिखती हो? शायरी? कहानियाँ?” आरव ने हल्के से पूछा, चाय की प्याली हाथ में थामे।अन्विता थोड़ी सकुचाई, “थोड़ा बहुत… जो मन में आए, लिख देती हूँ। ज़्यादातर तो डायरी में ही रहता है।”आरव मुस्कुराया, “मुझे पढ़ाओगी कभी? I mean… सिर्फ ...Read More
ONE SIDED LOVE - 4
लाइब्रेरी की वो खिड़की वाली टेबल अब उनकी दुनिया का हिस्सा बन चुकी थी।जहाँ कभी किताबें और नोट्स रखे थे, अब वहाँ अनकहे जज़्बात बिखरने लगे थे।अन्विता ने खुद को कभी इतना जुड़ा हुआ महसूस नहीं किया था — न किसी इंसान से, न किसी पल से। लेकिन अब हर शाम की बेसब्री बस उसी एक शख्स के लिए होती थी — आरव मेहता। पर कल उसकी गैरहाज़िरी ने दिल के किसी कोने में हल्की सी बेचैनी भर दी थी।आज जब वो लौटा, तो चेहरे पर वो मुस्कान थी, लेकिन आँखों में कोई थकन, कोई बोझ छुपा हुआ था।"सब ...Read More