ONE SIDED LOVE - 1 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | ONE SIDED LOVE - 1

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ONE SIDED LOVE - 1

नाम है उसका अन्विता शर्मा — एकदम सीधी-सादी लड़की। छोटे शहर की, सीधी सोच की, और बड़ी-बड़ी आँखों में ढेर सारे ख्वाब लिए दिल्ली के इस बड़े कॉलेज में दाखिल हुई है। हिंदी मीडियम से पढ़कर यहाँ आई है, जहाँ सब कुछ इंग्लिश में चलता है — बात भी, बातें भी और लड़कपन भी।


अन्विता के पापा एक स्कूल टीचर हैं — गणित पढ़ाते हैं। माँ घर संभालती हैं और छोटी बहन की पढ़ाई के लिए अक्सर ट्यूशन से लेकर टाइम टेबल तक सब मैनेज करती हैं। अन्विता बचपन से ही किताबों की दोस्त रही है, और सपनों की भी। उसे कविताएँ पसंद हैं, पुरानी फिल्मों के गाने अच्छे लगते हैं और चाय... चाय तो जैसे उसकी आत्मा है।


कॉलेज का पहला हफ्ता चल रहा है। हर दिन नया, हर चेहरा अजनबी और इसी अजनबी भीड़ में वो पहली बार उसे देखती है।



कॉलेज की कैंटीन में थी वो। कोने वाली टेबल पर बैठी, चाय का कप लिए हुए। सुबह-सुबह की क्लास ने दिमाग थका दिया था, और वो बस थोड़ी सी शांति चाहती थी। तभी उसकी नज़र सामने वाले ग्रुप पर पड़ी — शोर, हँसी, मज़ाक, और एक ऐसा लड़का जो उस शोर का भी हीरो था।


लंबा कद, fit body, मुस्कान में एक अजीब सी बेफिक्री। बाल थोड़े बिखरे हुए, जैसे जानबूझकर स्टाइल में रखे गए हों। सफेद टी-शर्ट, डेनिम जैकेट, और आँखों में कॉन्फिडेंस का कोई अलग ही लेवल।

वो था — आरव मेहता 

कॉलेज का क्रश, लड़कियों की लिस्ट का टॉप नाम, और सीनियर्स में सबसे ज्यादा फॉलो किया जाने वाला insta profile.


पर अन्विता को ये सब नहीं पता था — उसने बस पहली बार देखा था, और नज़र वहीं अटक गई।



"Excuse me, sugar है क्या?" किसी ने पास आकर पूछा, पर अन्विता की आँखें अब भी उसी ग्रुप की तरफ थीं।

वो जानती थी कि ये प्यार नहीं था — पर कुछ तो था उस नज़र में। कोई हल्की सी लहर, कोई नज़्म सी उठी थी उसके दिल में।

उसने खुद को टोका — "बेवकूफ! अभी तो नाम भी नहीं जानती तू उसका।"  लेकिन दिल कब सुनता है?


अन्विता का हॉस्टल रूम बहुत सिंपल है — एक साइड उसका बेड, दूसरी तरफ किताबें। दीवार पर माँ की भेजी हुई तस्वीर, और डायरी जिसमें वो रोज कुछ न कुछ लिखती है।


उस रात उसने लिखा: “आज पहली बार किसी को देखकर कुछ महसूस हुआ। कोई नाम नहीं, कोई बात नहीं... बस उसकी हँसी अब भी कानों में गूंज रही है। क्या ये वही चीज़ है जिसे लोग  crush कहते हैं?”



उधर आरव की दुनिया अलग थी।

बड़ी फैमिली, खुद की कार, कॉलेज में पॉपुलैरिटी, और दोस्तों की भरमार। पापा बिजनेसमैन हैं, माँ एक socialize lady. आरव बचपन से ही कॉन्फिडेंस में पला है। डिबेट जीतना, फुटबॉल खेलना, और पार्टीज में जाना — ये उसकी जिंदगी का हिस्सा है।


वो किसी की तरफ देखता है, तो लोग खुद को खास समझने लगते हैं।


पर आज उसे याद भी नहीं कि कैंटीन में कोई लड़की उसे देख रही थी। उसके लिए ये बस एक और दिन था। वही ग्रुप, वही मस्ती।



पर अन्विता के लिए?

ये दिन खास बन गया था।

क्योंकि आज पहली बार, उसके दिल ने बिना वजह धड़कना सीखा था।