अर्जुन रॉय ने अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा फ़ैसला लिया था। अपने पुराने शहर को छोड़कर एक नए शहर में शिफ्ट होना, जहाँ न उसे कोई जानता हो, न ही उसकी पुरानी ज़िन्दगी का कोई हिस्सा हो। अर्जुन, एक normal कॉलेज student, अपनी पुरानी ज़िन्दगी से थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा था। काफी वक्त से उसे ऐसा लग रहा था कि कुछ कमी है, कुछ गायब सा है। लेकिन फिर भी उसने कभी अपने दिल की नहीं सुनी थी, और ये सोचकर ही नए शहर के लिए ट्रेन पकड़ ली थी। एक छोटा सा शहर था जहाँ अर्जुन को अपने कॉलेज के लिए एडमिशन मिल गया था। यह शहर काफ़ी पुराना था, और यहाँ की गलियाँ और बस्तियाँ जैसे किसी दूसरी दुनिया का हिस्सा लगती थीं।
साया - 1
अर्जुन रॉय ने अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा फ़ैसला लिया था। अपने पुराने शहर को छोड़कर एक नए शहर शिफ्ट होना, जहाँ न उसे कोई जानता हो, न ही उसकी पुरानी ज़िन्दगी का कोई हिस्सा हो।अर्जुन, एक normal कॉलेज student, अपनी पुरानी ज़िन्दगी से थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा था। काफी वक्त से उसे ऐसा लग रहा था कि कुछ कमी है, कुछ गायब सा है। लेकिन फिर भी उसने कभी अपने दिल की नहीं सुनी थी, और ये सोचकर ही नए शहर के लिए ट्रेन पकड़ ली थी।एक छोटा सा शहर था जहाँ अर्जुन को अपने कॉलेज ...Read More
साया - 2
रात के ठीक 12 बजे थे। अर्जुन की खिड़की से चाँद की हल्की रोशनी उसके कमरे में बिखरी पड़ी सब कुछ शांत था, पर उस शांति में भी एक अजीब सी घुटन थी। हवा चल रही थी, मगर पत्तों की सरसराहट कुछ ज़्यादा ही डरावनी लग रही थी। अर्जुन अपनी किताबों के बीच सो गया था, पर उसकी नींद टूट गई—बिना किसी वजह के।उसने करवट बदली और आंखें मलते हुए उठ बैठा। कुछ अजीब था, बहुत ही अजीब। जैसे कमरे में कोई और भी मौजूद हो। उसने इधर-उधर देखा, सब वैसा ही था—कमरा, किताबें, टेबल लैम्प… लेकिन हवा में ...Read More
साया - 3
रात के दो बजे थे। अर्जुन अपने कमरे में लेटा हुआ था, लेकिन नींद उससे कोसों दूर थी। खिड़की आती चाँदनी अब उसके लिए सुकून नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी एहसास बन गई थी। हर परछाईं, हर आवाज़, अब उसे अजनबी लगने लगी थी। ऐसा लग रहा था जैसे दीवारों में भी कोई उसकी धड़कनें गिन रहा हो।पिछली रात हवेली में जो कुछ हुआ था, वो उसके दिमाग से जा ही नहीं रहा था। वो सिसकियों की आवाज़, वो अपने-आप खुलता दरवाज़ा… और वो शब्द—“मैं अब भी यहीं हूँ…”—उसके ज़हन में गूंज रहे थे।उसी सोच में डूबा था कि अचानक ...Read More
साया - 4
सुबह की पहली किरण खिड़की से झाँकी तो अर्जुन अब भी वैसे ही ज़मीन पर बैठा था—थका, उलझा और से टूटा हुआ। पिछली रात उसके लिए किसी बुरे सपने जैसी नहीं थी… वो हकीकत थी। और अब उसे यकीन हो चला था कि जो कुछ उसके साथ हो रहा है, उसका सीधा रिश्ता उसके अतीत से है।“क्या मैंने वाकई कुछ भुला दिया है?” वो बड़बड़ाया।कुछ जवाब चाहिए थे। और उसके लिए वो गया… उस पुराने स्टोर रूम में, जहाँ बचपन की चीज़ें रखी थीं। ये वही कमरा था जहाँ उसकी मां पुराने खिलौने, किताबें और सामान रख देती थीं।दरवाज़ा ...Read More