राहुल एक सीधा-सादा लड़का था, जो हाल ही में नौकरी के सिलसिले में शहर आया था। नया मकान, नई कॉलोनी — सब कुछ नया था उसके लिए। लेकिन जो सबसे अलग और खास था, वो थी सामने वाले फ्लैट की नीतु भाभी। हर सुबह वो तुलसी के पास पानी डालतीं, माथे पर सिंदूर, आँखों में कुछ अनकहा सा। राहुल बालकनी में चाय का कप लिए खड़ा होता और बस उन्हें देखता रहता। कुछ कहे बिना ही दिल कुछ महसूस करता। नीतु भाभी खूबसूरत थीं, पर औरतों की तरह सज-धज में नहीं, बल्कि एक सादगी में। उनकी मुस्कान में जैसे कोई दर्द छुपा था। एक दिन राहुल ने हिम्मत जुटाई और सीढ़ियों में सामना होते ही कहा,
राहुल - 1
राहुल एक सीधा-सादा लड़का था, जो हाल ही में नौकरी के सिलसिले में शहर आया था। नया मकान, नई — सब कुछ नया था उसके लिए। लेकिन जो सबसे अलग और खास था, वो थी सामने वाले फ्लैट की नीतु भाभी।हर सुबह वो तुलसी के पास पानी डालतीं, माथे पर सिंदूर, आँखों में कुछ अनकहा सा। राहुल बालकनी में चाय का कप लिए खड़ा होता और बस उन्हें देखता रहता। कुछ कहे बिना ही दिल कुछ महसूस करता।नीतु भाभी खूबसूरत थीं, पर औरतों की तरह सज-धज में नहीं, बल्कि एक सादगी में। उनकी मुस्कान में जैसे कोई दर्द छुपा ...Read More
राहुल - 2
रात का सन्नाटा था। नीती भाभी अकेली अपने कमरे में बैठी थीं। सामने दो तस्वीरें — एक में आकाश, पति, जिसके साथ जीवन की शुरुआत हुई थी। और दूसरी में राहुल, जिसकी आँखों में उन्होंने फिर से जीने की चाह देखी थी।उनका दिल फटा जा रहा था।"क्या प्यार सिर्फ एक इंसान से ही हो सकता है?""क्या अगर मैं दोनों से सच्चा रिश्ता रखूं, तो मैं ग़लत हूं?"उनके लिए राहुल एक नयी सांस था, एक एहसास, जिसने उन्हें फिर से जीना सिखाया।और आकाश — वो उनका अतीत नहीं, आज भी एक हिस्सा था। उसके साथ बिताए पल झूठ नहीं थे।अगले ...Read More
राहुल - 3
नीती भाभी और राहुल, जो कभी उलझे रिश्ते में थे,अब सिर्फ अच्छे पड़ोसी बन गए हैं —इज़्ज़त, दूरी और के साथ।चलिए, इस नए मोड़ का छोटा सा सीन दिखाता हूँ —जहाँ रिश्ते में अब कोई तनाव नहीं, बस शांति और तमीज़ है।---शीर्षक: “नया रिश्ता — पड़ोसी वाला”राहुल बालकनी में पौधों को पानी दे रहा था।नीचे से नीती भाभी आती दिखीं — हाथ में सब्ज़ी का थैला और चेहरे पर हल्की मुस्कान।राहुल ने नीचे देखा —हिचकिचाते हुए बोला:“नमस्ते भाभी…”नीती ने मुस्कुराकर जवाब दिया:“नमस्ते राहुल… कैसे हो?”“ठीक हूँ… और आप?”“मैं भी ठीक। अब सब ठीक है।”एक छोटी सी चुप्पी हुई… पर ...Read More
राहुल - 4
राहुल कुछ पेपर्स देने नीती के घर आया था।वो आकाश से कुछ डिस्कस कर रहा था, और हँसते हुए कह रहा था।तृषा बालकनी में खड़ी थी, चाय का कप हाथ में लिए।उसने राहुल की आवाज़ सुनी —कोई बहुत साधारण बात कह रहा था, लेकिन जिस तरह से कह रहा था…वो तृषा को बहुत अच्छा लगा।फिर अचानक राहुल ने मुड़कर ऊपर देखा —और बालकनी की तरफ एक हल्की-सी मुस्कान दी।तृषा का दिल एक पल को अटक गया।वो मुस्कुराई नहीं… बस कप से भाप लेते हुए खुद को सँभाल लिया।“ये क्या था?” उसने खुद से पूछा।कुछ नहीं… शायद कुछ भी नहीं।लेकिन ...Read More