हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत

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दोहा- श्री गणपति मंगल करण हरण अमंगल मूल । मंगल मूरति मोहि पर रहहु सदा अनुकूल ॥१॥ संवत सर श्रुति खंड विधु कार्तिक शुभ सित पक्ष । छठि मंगल बलदेव कृत हनुमत विनय प्रत्यक्ष ॥२॥( दोहे के अनुसार इस कृति का रचना काल है: कार्तिक शुक्ल ६ संवत् १९४१) अथ रुद्राष्टपदी सवैया जो परते पर, कारण हूँ कर-कारण केवल, कोउ न जाना । एक अनीह अरूप अनाम अजी ! सत चेतन आनन्द माना!व्यापक विश्व-स्वरूप अखण्डित,भक्तन हेतु सोई भगवाना ।देह अनेक धरें जग में, बलदेव सो रुद्र नमो हनुमाना ॥१॥

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हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत - 1

दोहा- श्री गणपति मंगल करण हरण अमंगल मूल । मंगल मूरति मोहि पर रहहु सदा अनुकूल ॥१॥ संवत सर खंड विधु कार्तिक शुभ सित पक्ष । छठि मंगल बलदेव कृत हनुमत विनय प्रत्यक्ष ॥२॥( दोहे के अनुसार इस कृति का रचना काल है: कार्तिक शुक्ल ६ संवत् १९४१) अथ रुद्राष्टपदी सवैया जो परते पर, कारण हूँ कर-कारण केवल, कोउ न जाना । एक अनीह अरूप अनाम अजी ! सत चेतन आनन्द माना!व्यापक विश्व-स्वरूप अखण्डित,भक्तन हेतु सोई भगवाना ।देह अनेक धरें जग में, बलदेव सो रुद्र नमो हनुमाना ॥१॥ ...Read More

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हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत - 2

महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका 2 पुनः हनुमान अष्टपदी कोटिन सुमेरु से विशाल महावीर वपु कोटिन तेजपुंज पट लाल है। कोटिन दिनेश दर्प मर्दन वदन दिव्य पिगंदृग जागे ज्वाल भृकुटी कराल है ॥ कोटिन कुलिश चूर करन रदन जाहि, वज्र भुज-दंड उर लाल मणिमाल है। ललित लंगूर बलदेव दुःख दूर करें, दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥११॥ लाल मणि मंडित मुकुट लाल कुंडल है लाल मुख मंडल सिन्दूर लाल भाल है। लोचन विशाल लाल, मानो प्रलय काल ज्वाल लाल भुज पंजा नखस्पेटा लाल लाल है ।। ललित लंगोट गोट ललित लंगूर कोट लाल ...Read More

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हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत - 3

महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका ( भाग ३) काहू के कुटुम्ब काहू द्रव्य ही को भारी गर्व काहू दर्प काहू गुण को गरूर है। काहू भूप मान काहू रूप अभिमान सान दीनन अबल जानि सीदत जरूर है ।। ताही ते सभीत तोहि टेरे बलदेव दास रक्षे करि माफ बेसहूर को कसूर है। ललित लंगूर से लपेटि दले झूरन को शूरन में शूर महावीर मशहूर है ॥२५॥ महिमा विशाल बाल रूप अंजनी को लाल राम अनुराग रंग रंग्यो अंग अंग है। राममयी दृष्टि मुख राम नाम इष्ट हिये राम ही को ध्यान राम प्रेम को उमंग है ॥ ...Read More

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हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत - 4

महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका 4 (भाग 4) हनुमान चौपदी मारन तमीचर को ताड़न शनीचर मोहन चराचर को मूर्छन विकार है। वशीकर लोकन को हरन सब शोकन को गैर मन्त्र रोकन को वीर बरियार है । दोष सिन्धु शोषन को खीन जन पोषन को दीनन के तोषन को धनद उदार है। व्याघ्र अहि सिंहन को दुष्ट मुख बन्धन को नारी गर्भ थंबन को तेरो अवतार है ॥४१॥ बाधक उच्चाटन को बैरि फन्द काटन को गर्भ उद्घाटन को आरत अधार है। दानौ दैत्य यक्षन को भूत प्रेत भक्षन को रोगी बाल रक्षन को लक्षन को ...Read More