" इच्छा... तुम... नहीं नहीं तुम मेरी इच्छा नहीं हो सकती... " जोरो से हॅसते हुए आवाज गूंजती है.... " सही पहचाना में तेरी इच्छा नहीं हूँ मै.. वो हूँ जो तू सोच भी नहीं सकता..... तेरी ये इच्छा अब मेरे वश में है.... " .... इच्छा... " ओह! ये एक सपना था पर ये अजीब सपना क्यों आया मेरी इच्छा ठीक तो है न.. मुझे उसे इस तरह छोड़कर नहीं आना चाहिए था.... में वापस इंडिया जाऊंगा मेरी इच्छा मेरा इंतजार कर रही होंगी.... "
वशीकारिणी - 1
" इच्छा... तुम... नहीं नहीं तुम मेरी इच्छा नहीं हो सकती... "जोरो से हॅसते हुए आवाज गूंजती है.... " पहचाना में तेरी इच्छा नहीं हूँ मै.. वो हूँ जो तू सोच भी नहीं सकता..... तेरी ये इच्छा अब मेरे वश में है.... "".... इच्छा... " ओह! ये एक सपना था पर ये अजीब सपना क्यों आया मेरी इच्छा ठीक तो है न.. मुझे उसे इस तरह छोड़कर नहीं आना चाहिए था.... में वापस इंडिया जाऊंगा मेरी इच्छा मेरा इंतजार कर रही होंगी.... "" शक्ति.. बेटा उठ गया तू... " शक्ति अपनी माँ के गले लगते हुए कहता है... " ...Read More
वशीकारिणी - 2
..... अब आगे.......शक्ति अपनी इच्छा को ढूंढ़ने के लिये उस पेपर पर लिखे पते पर जाने के लिए सबसे है... पर किसी को उस पेपर पर लिखे पते के बारे में कुछ नही पता था.... सूरज की रोशनी हल्की होने लगी थी... धीरे धीरे रात हो चुकी थी, शक्ति सुबह ढूंढने की सोचकर अपने चाचा चाची के पास पहुंचता है जोकि इस वक्त खाने की तैयारी में लगे थे....डोर की बेल रिंग करके शक्ति अपने हाथ पकड़े पेपर को अपनी जेब में रख लेता है... थोड़ी देर बाद खुलता है, सामने अपने चाचा मिस्टर धीरज को देखकर खुशी से ...Read More