"स्याही से लिखे लफ्ज़ कभी मिटते नहीं, बस वक्त की धुंध में खो जाते हैं..." रात का तीसरा पहर था। घड़ी की टिक-टिक कमरे की नीरवता में गूंज रही थी, मानो समय भी अपनी गति से थककर ठहर गया हो। खिड़की के बाहर दूर कहीं एक आवारा कुत्ता भौंक रहा था, लेकिन बाकी सबकुछ सन्नाटे में डूबा था। कमरे में सिर्फ़ लैपटॉप की हल्की नीली रोशनी थी, जो अंधेरे दीवारों पर अजीब-सी परछाइयाँ बना रही थी। यह परछाइयाँ स्थिर नहीं थीं, वे जैसे हल्के-हल्के हिल रही थीं। या शायद यह सिर्फ़ आर्यन का भ्रम था?
स्याही के आँसू - अनकहे लफ्ज़ों की दास्तान - भाग 1
स्याही के आँसू – अनकहे लफ्ज़ों की दास्तान(भाग 1 – स्याह लफ्ज़ और एक अनजान आवाज़)"स्याही से लिखे लफ्ज़ मिटते नहीं,बस वक्त की धुंध में खो जाते हैं..."रात का तीसरा पहर था। घड़ी की टिक-टिक कमरे की नीरवता में गूंज रही थी, मानो समय भी अपनी गति से थककर ठहर गया हो। खिड़की के बाहर दूर कहीं एक आवारा कुत्ता भौंक रहा था, लेकिन बाकी सबकुछ सन्नाटे में डूबा था।कमरे में सिर्फ़ लैपटॉप की हल्की नीली रोशनी थी, जो अंधेरे दीवारों पर अजीब-सी परछाइयाँ बना रही थी। यह परछाइयाँ स्थिर नहीं थीं, वे जैसे हल्के-हल्के हिल रही थीं। या ...Read More
स्याही के आँसू - अनकहे लफ्ज़ों की दास्तान - भाग 2
स्याह लफ्ज़ – भाग 2"स्याही की बूंदें, आँसुओं में घुल जाती हैं,लफ़्ज़ जब रोते हैं, तब कहानियाँ जन्म लेती की हल्की किरणें पर्दों से छनकर कमरे में आ रही थीं। आर्यन की आँखें अब भी उनींदी थीं, लेकिन दिमाग पूरी तरह जाग चुका था।स्याह लफ्ज़... यह नाम अब उसके ज़हन से निकल ही नहीं रहा था।रातभर उसके दिमाग में वही शब्द घूमते रहे, जो उसने उस ब्लॉग पर पढ़े थे। वे महज़ कहानियाँ नहीं थीं, ऐसा लग रहा था मानो कोई गहरे ज़ख्मों को शब्दों में उकेर रहा हो।उसने करवट बदली, तकिये के नीचे रखा फोन निकाला और बिना ...Read More