चुप्पी

(12)
  • 7.4k
  • 0
  • 3.1k

क्रांति एक ऐसी लड़की थी जिसे ऊपर वाले ने वह उपहार दिया था जो हर किसी के भाग्य में नहीं होता। वह बहुत ही तेज दौड़ती थी। वह जब भी टीवी पर लड़कियों या फिर लड़कों को हॉकी खेलते देखती, उसके तन मन में भी वही खेलने की लगन लग जाती। उस समय उसके पांव मानो दौड़ने के लिए तत्पर हो जाते और वह घर में ही एक लकड़ी लेकर उससे खेलने लगती। बॉल को पूरे घर में इधर से उधर नचाती रहती और ऐसा करके उसे बहुत आनंद मिलता था। ऐसा लगता था कि मानो भगवान ने उसे जो उपहार दिया है, उसे पूरी तरह से पा लेने की उसने बचपन से ही ठान ली थी। इस समय उसकी उम्र लगभग आठ वर्ष थी।

1

चुप्पी - भाग - 1

क्रांति एक ऐसी लड़की थी जिसे ऊपर वाले ने वह उपहार दिया था जो हर किसी के भाग्य में होता। वह बहुत ही तेज दौड़ती थी। वह जब भी टीवी पर लड़कियों या फिर लड़कों को हॉकी खेलते देखती, उसके तन मन में भी वही खेलने की लगन लग जाती। उस समय उसके पांव मानो दौड़ने के लिए तत्पर हो जाते और वह घर में ही एक लकड़ी लेकर उससे खेलने लगती। बॉल को पूरे घर में इधर से उधर नचाती रहती और ऐसा करके उसे बहुत आनंद मिलता था। ऐसा लगता था कि मानो भगवान ने उसे जो ...Read More

2

चुप्पी - भाग - 2

क्रांति की हॉकी खेलने की चाह को महसूस करके और उसकी ज़िद को हद से ज़्यादा बढ़ता देखकर रमिया चिंता बढ़ गई। क्रांति इन दिनों काफी उदास रहने लगी थी और उसकी उदासी का कारण रमिया अच्छी तरह से जानती थी। इसलिए एक दिन रमिया ने उसे समझाते हुए कहा, "क्रांति बेटा, तुम्हें इस तरह से उदास देखकर मुझे बहुत दुःख होता है। तुम नहीं जानतीं पता नहीं कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं और उसकी शुरुआत तो घर परिवार से ही हो जाती है। सबसे पहले तो तुम्हारे पापा, वह तो तुम्हें पहली सीढ़ी पर ही खड़े मिल जाएंगे। ...Read More

3

चुप्पी - भाग - 3

क्रांति अपने पिता का आखिरी फ़ैसला सुनकर निराश अवश्य हुई लेकिन उसका अटल इरादा ना बदला। वह तो हॉकी कर अपने देश का सर शान से ऊंचा करके दिखाना चाहती थी। उसका मन, दिल और दिमाग़ दिन रात उसी दुनिया में खोया रहता जिसमें वह जाना चाहती थी। अब बस उसे यह तलाश थी कि वह किससे और कैसे हॉकी खेलना सीखे। क्रांति के स्कूल में हर शनिवार को खेलकूद का पीरियड होता था। आज जब वह खेलने के लिए मैदान पर गई तो उसे मुकेश सर को देखते ही ख़्याल आया कि क्यों ना वह उनसे बात करे। ...Read More

4

चुप्पी - भाग - 4

अगले दिन मुकेश सर ने स्कूल आते से ही हॉकी सिखाने की तैयारी शुरू कर दी। बस फिर क्या उन्होंने फटाफट एक कोच रौनक को ढूँढ लिया और स्कूल के मैदान में हॉकी खेलने की भी पूरी व्यवस्था कर ली। कुछ ही दिनों में स्कूल में हॉकी खेलने की प्रैक्टिस शुरू हो गई। आठवीं और नौवीं कक्षा से लड़कियों का चयन भी कर लिया गया। कोच रौनक ने लड़कियों को सिखाना शुरू कर दिया। वह यह देखकर दंग थे कि क्रांति तो जैसे पहले से खेल के बारे में सब कुछ जानती है। उसका खेल देखकर वह हैरान थे, ...Read More

5

चुप्पी - भाग - 5

अरुण से क्या कहेंगे यह प्रश्न रमिया को भी डरा रहा था। लेकिन वह अपनी बेटी के सपनों का देना चाहती थी। वह सोच रही थी कि जिस राह पर क्रांति चल पड़ी है, वह तो शायद ऊपर वाले ने ही उसके लिए चुनी है। उसके बढ़ते कदमों को रोकना अब सही नहीं होगा। इस तरह कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा, "क्रांति बेटा मैं तुम्हारे पापा से यदि यह कहूंगी कि तुम्हें हॉकी खेलने बाहर जाना है तो वह कभी अनुमति नहीं देंगे यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो।" चिंता भरे स्वर में क्रांति ...Read More

6

चुप्पी - भाग - 6

फाइनल मैच हारने के बाद क्रांति बहुत रोई। वह जानती थी कि उसे जान बूझकर चोटिल किया गया था इस मैच को वह हाथ से जाने नहीं देती। लेकिन जो होना था वह तो हो चुका था। रौनक सर ने उसे बहुत समझाया और कहा, "खेल कूद में यह सब आम बातें हैं, ऐसा तो होता रहता है। तुम्हारा प्रदर्शन लाजवाब था। देखना चयन कर्ता तुम्हें ज़रूर चयनित करेंगे और फिर तुम अपने राज्य की तरफ़ से खेलोगी।" अब तक क्रांति की उम्र 17 वर्ष की हो चुकी थी और वह जवानी की सबसे ज़्यादा खूबसूरत सीढ़ी चढ़ रही ...Read More

7

चुप्पी - भाग - 7

क्रांति का उदास चेहरा और बहते आंसू देखकर मुकेश सर तुरंत ही उसके पास आये और कहा, "क्रांति जीत तो इस खेल का हिस्सा है। अरे एक टीम हारती है तभी तो दूसरी जीतती है ना। उदास मत हो इस बार ना सही, अगली बार हम जीतेंगे। मुझे तो इंतज़ार है कि बस अब कुछ ही देर में चयनित छात्राओं में सबसे पहले तुम्हारा नाम पुकारा जाएगा और वही हमारी सबसे बड़ी जीत होगी। अब तुम हमारे राज्य की तरफ़ से खेलोगी और उसके बाद नेशनल लेवल पर भी खेलोगी। क्रांति फिर हमारे देश के लिए खेल की ट्रॉफी ...Read More