ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक हैं!
🌹 इत्र 🌹
इत्र सी सुगंध लिएं
हवाएं बह रही थी।
अदृश्य हवाओं में
खुशबू को खींचते हुए
कठपुतली से धागे थे।
और बहका हुआ मन
हवाओं की दिशा में
इधर-उधर भटकता हुआ
मृगतृष्णा सा व्याकुल
आसपास ढूंढता हुआ
ख्वाहिशों का दीवाना था।
लेखिका ममता गिरीश त्रिवेदी