Hindi Quote in Poem by pintu majhi

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🌿 सावन में आखिर मन शिवमय क्यों 🌿

बरसों बीते, फिर वही सावन आया,
भीगी हवाओं ने "भोले" को फिर से बुलाया।

हर बूंद में घुला एक मंत्र-सा प्रभाव है,
जैसे शिव की जटाओं से बहता कोई भाव है।

मेघों की गर्जना जब डमरू सी लगती है,
मन की हर गूंज शिव-ध्यान में रचती है।

वृक्षों की हरियाली में नंदी की छाया है,
हर हर महादेव की गूंज जैसे सृष्टि की माया है।

सावन की फुहारें नहीं केवल पानी हैं,
ये तो शिव के आँचल से गिरती कहानी हैं।

कांवड़िये पथ पर नहीं, श्रद्धा में बहते हैं,
हर कण-कण में भोलेनाथ के रंग रहते हैं।

व्रत-भक्ति और रुद्राभिषेक की बेला,
सावन शिव का मास है, नहीं कोई झमेला।

जैसे धरती शिव को प्रणाम में झुक जाती है,
वैसे ही हर आत्मा ध्यान में रमता जाती है।

सावन मन को बस शिव के समीप ले आता है,
दुनिया छूटे न छूटे, पर “शिव” मन में बस जाता है।

🌧️ “शिव को पाना हो तो सावन से बात कर लो,
हर बूँद में उनका आशीष बरसता है...” 🌸

✍️ डॉ. पंकज कुमार बर्मन
कटनी, मध्यप्रदेश

Hindi Poem by pintu majhi : 111989102
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