"सपनों की उड़ान" ✨
(लेखक: ANKIT)
छोटे से घर में जनम लिया,
फटे हुए कपड़ों में दम लिया।
माँ की ममता, बाप का पसीना,
हर दिन सीखा जीना ही जीना।
ना किताबें थीं, ना कोई कलम,
पर आँखों में थे सपनों के धरम।
चाँद छूना था, बस ठान लिया,
हर दर्द को अपना मान लिया।
दिन में मज़दूरी, रातों में पढ़ाई,
थी आँखों में उम्मीद की सच्चाई।
थोड़ा-थोड़ा कर के बढ़ा सफर,
हर ठोकर बनी एक नया हुनर।
कभी भूखा सोया, कभी आँसू पिए,
पर हार नहीं मानी, हौसले जिए।
आज वो बच्चा, कल का सितारा,
बन बैठा है खुद की तक़दीर का सहारा।
अब गाँव के बच्चों को राह दिखाता है,
हर ग़रीब को उम्मीद दिलाता है।
कहता है, “सपने सबके होते हैं सच्चे,
बस मेहनत के पंख होने चाहिए पक्के।”