Wo Shyam Saloni - 3 in Hindi Love Stories by Anshika books and stories PDF | वो श्याम सलोनी - 3

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वो श्याम सलोनी - 3

आज से कृष की शादी की रस्में शुरू हो गई थी पीहू अब उसके पास उसकी ज़िंदगी में हमेशा के लिए आने वाली थी और वो कितना खुश था ये उसके चेहरे पर चिपकी मुस्कान बता रही थी जो जाने का नाम ही नहीं ले रही थीं आज हल्दी की रश्म थी वो सुबह सोकर वर्क आउट से आया ही थी की उसका फोन बज उठा । पीहू का नाम देख उसकी मुस्कान गहरी हो गई उसने जल्दी से कॉल रिसीव किया।

"हैपी हल्दी जान , मिसेज सिंह बनने के लिए आज से तैयार ही जाइए "उसने बहुत ही प्यार से बेड पर लेटते हुए कहा ।

"सेम टू यू"

" क्या हुआ इतना लो क्यों साउंड कर रही हो तुम्हारी तबियत तो ठीक है न"? वो उसकी आवाज सुन बेचैन सा उठा ।

" मैं ठीक हूं बस आपसे मिलना है अभी,वरना रश्म शुरू हो जाएगी तो टाइम नहीं मिलेगा"

" अरे जाना 💕बस दो दिन का इन्तजार कर लीजिए फिर आप मेरे पास ही होंगी मेरी बाहों में फिर हमारा ये कमरा भी हमारे प्यार की खुशबू से महक उठेगा"

"कृष जी प्लीज इट्स अर्जेंट,मस्ती नही कर रही मैं,मुझे आपसे जरूरी बात करनी है.... वो बोल रही थी कृष उसकी बात सुन पाता उससे पहले ही पियूष आ गया और उसने कृष के हाथ से फोन छीन लिया कृष अब उसे देखते हुए नाराजगी से बोला___ पियूष फोन दे मेरा!

क्या भाई अब तो भाभी तो थोड़ा सा अकेले रहने दो अपनी फैमिली के साथ,आप ही लगे रहते हो,और वैसे भी मुझे बात करनी है अभी अपनी भाभी से,,,कहते हुए वो फोन लेकर बहार भागा।साले दिमाग मत खा फोन से मेरा,,,,,कहते हुए वो उसके पीछे भागा और दोनों भाइयों की चहल पहल पूरी हवेली में शुरू हो चुकी थी पियूष भागते हुए जा रही था उसे लगा की अब कृष एकदम पास आ गया तो उसने फोन हॉल में काम करती शालनी के पास उछाल दिया।
"शालनी दी, भागो देना मत इन्हे "पियूष ने हस्ते हुए कहा कृष अब उसे छोड़ शालनी को घूरते हुए बोला__ शालू फोन दो मेरा।

"नहीं दी प्लीज "पियूष ने कहा कृष अब उसकी तरफ फोन लेने बढ़ा की शालनी भी मस्ती में आ गई और उसने फोन पियूष की तरफ उछाला तो वो फोन लेकर अब पीछे आंगन की तरफ भागा।
दुष्ट धोखेबाज तुझे तो मैं बताता हूं अब ,,वो शालनी को देख कुछ नाराजगी से बोला तो उसे हसी आ गई ।

हां जी, बिल्कुल देख लेना पहले जाकर फोन तो ले लो,,,कहते हुए वो हसने लगी कृष पैर पटकता हुआ अब पियूस जहां गया था उस तरफ गया रीमा जी के साथ कुछ औरतें भी उधर ही थी ।
मां बोल दीजिए इससे फोन दे वरना आज पिटेगा ये मेरे हाथों,, कृष अब गुस्से में आ चुका था रीमा जी पियूष को देखते हुए बोली ___ क्यों सुबह सुबह परेशान कर रहा है उसे दे दे न।

मैंने कब मना किया आकर ले लें,,कहते हुए उसने कृष की तरफ अब फोन उछाला उसका ध्यान दूसरी तरफ था जिस वजह से वो पकड़ नहीं पाया और उसका फोन नीचे गिर कर बिखर गया। कृष ने अब अपनी जलती निगाह पियूष पर डाली उसके गुस्से से पियूष हमेशा ही डरता था और अब उसके साथ क्या होने वाला था इसका आभास उसे ही चुका था ।
पापा,उसने कहा तो कृष ने पीछे मुड़ देखा वहां कोई नहीं था और इसी मौके का फायदा उठा पियूष भाग चुका था उसकी ये शैतानी देख सारी महिला मंडली हस पड़ी।
कृष ने अब नीचे बैठकर अपना फोन उठाया जो चलने की हालात में तो बिलकुल भी नहीं था उसे अब बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था पियूष की नादानी पर।उसने फोन उठाके पॉकेट में रखा ।अब शादी के बाद ही बन पाएगा वरना नया लेना पड़ेगा,,,वो खुद में बड़बड़ाया और अंदर आ गया ।कृष ये तुम्हारा मिल्क शेक,,,,, शालनी उसके अंदर आते ही किचेन से लाकर गिलास उसे पकड़ाते हुए बोली।

तुम ही पी लो,जीना तो वैसे भी हराम कर रखा है तुम दोनों ने,,मिल गई संतुष्टि मेरे फोन का अंतिम संस्कार करके,,,,वो झुंझलाते हुए बोला ।

शालनी परेशान सी ____क्या .... क्या हुआ दिखाओ,कैसे?

अब ज्यादा बनो मत,पहले तो उस गधे का साथ दे रही थी जाओ उसी के साथ करो खूब मस्ती पागलपन,,,वो गुस्से से बोला और जाने लगा की शालनी ने दौड़कर उसकी बांह पकड़ ली। सॉरी न मुझे नहीं पता था की ऐसा हो जायेगा, आई एम रियली 😔 सॉरी,,,,कहते हुए उसकी आंखे भर आई।

हटो सामने से,,वो सख्ती से बोला लेकिन वो अब वैसे ही खड़ी थी।उसका चेहरा नीचे झुका था और आंसू उसके गाल तक आ गए थे। जिद्दीपन तुम्हारा भी कम नहीं है ,वो एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोला।
कृष ,उसने भरे गले से कहा तो कृष ने अब उसका सिर सहलाते हुए कहा____ अच्छा बस नहीं हूं नाराज तुमसे।
पक्का न,,हो अपना चेहरा ऊपर करके मासूमियत से बोली तो कृष ने अपने अंगूठे से उसके गाल पर आंसुओ को साफ करते हुए गर्दन हिलाई।

ये पी लो,,उसने अब गिलास उसके सामने किया तो कृष के लबों पर छोटी सी मुस्कान खिल गई उसने अब गिलास ले लिया और एक ही बार में पीकर उसे पकड़ा दिया । मैं आता हूं, कहकर वो आगे एक कदम बढ़ा ही था की शालनी ने उसे आवाज दी तो वो रुक गया।

"बोलो"

" वो... वो तुम मेरा फोन ले लो जब तक तुम्हारा खराब है कोई काम हो तो"शालनी ने कहा । हम्मम्मम्म,जब जरुरत होगी तो ले लूंगा तुम परेशान मत रहो अब,कहकर वो चला गया । शालनी,बेटा वो हल्दी तो ले जा यहां से, शारदा जी की आवाज आई तो वो उनके पास चली गई।
इधर पीहू जो की बीच में ही बात पूरी न हो पाने के कारण बहुत परेशान थी बार बार वो उसे कॉल लगा रही थी लेकिन लगता तो तब जब उसका फोन ठीक होता।

___________________________

वो पीला पजामा पहने खड़ा था और उसके सामने बुआ भी थी ।बुआ प्लीज यार ये,ऐसे कैसे मैं बाहर जाऊंगा कुछ तो इज्जत है मैं टी शर्ट डाल लूं? वो बेचारा सा मुंह बनाकर बोला तो बुआ को हसी आ गई।

मेरा लाडेशर, उन्होनें उसके गाल को छूकर कहा और अपने साथ लाया वो सफेद दुपट्टे की तरह का कपड़ा उसके गले में डाल दिया और सही से फैला दिया ।अब ठीक है ,,,वो उसके गाल दबाकर बोली । हां मेरी जीनियस अब एकदम ठीक है,,कहकर उसने उन्हे हग कर लिया।

वो अब बाहर आया जहां हल्दी का फंक्शन होना था आज पूरी हवेली पीले फूलों और लाइट्स सफेद और फीके गुलाब से सजी थी । सब हसी खुशी कृष को हल्दी लगाने लगते हैं लेकिन उसकी नजरे इतने लोगों के बीच भी किसी को ढूंढ रही थी और वो थी शालनी।

इधर शालनी वॉशरूम के डोर से लगी अपना चेहरा घुटनों में छुपाए रो रही थी । मु.. मुझसे नहीं हो रहा ,,,कितनी भी कोशिश क्यों न कर लूं,.... कृष... कृष को अपने सामने किसी को और का हो... होते हुए मूझसे नहीं.. देखा जायेगा ,, नहीं होगा मुझसे,,,,,,,वो बडबडा रही थी रोते हुए ।

शालनी शालनी,, दीदी कहा हो आप,आपको सब ढूंढ रहे हैं,,,,, किसी की बाहर से आवाज आई । आ...... आई,,,उसने कहा और उठकर अपना मुंह धुला ।अपना चेहरा टॉवल से साफ करके वो सबके बीच आई कृष हल्दी में रंगा जा चुका था।

ओ बंदरिया,,, तू मुझे नहीं लगाएगी हल्दी,देख तेरे लिए ही रुका हूं कहा थी अब तक? उसके आते ही कृष ने अपने सवाल दागे।
बेटा जल्दी लगाओ ,अभी पीहू के घर भी जानी है यही हल्दी, रीमा जी ने कहा तो शालनी ने हां में सिर हिलाया और अपने हाथों में हल्दी लेकर उसके गाल पर लगा दी।हमेशा खुश रहना अपनी जिंदगी में,वो मुस्कुराने की कोशिश करते हुए बोली लेकिन उसके आसूं टपक ही पड़े जो सीधे कृष की हथेली पर गिरे। वो अब शालनी को देखने लगा वो उससे दूर होने लगी की मैट में पैर उलझ गया और वो कृष के ऊपर ही गिर गई संभल न पाने से । दोनों ही गिर चुके थे शालनी उसके ऊपर थी और कृष जो हल्दी में रंगा था उसके बदन से हल्दी शालनी को भी लग चुकी थी!

शालू क्या हुआ , तुम्हारी आंखे,,,,उसका प्यार ध्यान शालनी के चेहरे पर ही थी वो बिना कुछ बोले उठने की कोशिश करने लगी सब थे इसलिए वो भी बिना कुछ बोले उठ गया।
एक औरत हंसते हुए बोली___ शारदा जी,,,लगता है शालनी बिटिया के भी हाथ जल्दी ही पीले होने वाले हैं शगुन की हल्दी इसी बात का इशारा कर रही है।

हां तो ,मेरे बच्ची को भी राजकुमार मिलेगा,,,,,रीमा जी ने मुस्कुराकर कहा तो शारदा जी भी मुस्कुरा दी।सबकी बातों से उसे घुटन महसूस हो रही थी वो जल्दी से सबके बीच से निकल गई । चलो अब तुम भी नहा लो,,, शारदा जी ने कहा तो कृष ने हां में सिर हिलाया। पियूष और एक दो लोग कृष को लगी हल्दी लेकर पीहू के घर के लिया निकल गए।

Agar kahani pasand aa RHI to please comment kariye