Wo Shyam Saloni - 2 in Hindi Love Stories by Anshika books and stories PDF | वो श्याम सलोनी - 2

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वो श्याम सलोनी - 2

कृष के साथ शालनी अंदर आई तो देखा पूरा हॉल महमानो से भरा था सामने ही उसे सुमेश जी और रीमा जी दिख गए और उनके पास ही शालनी के पेरेंट्स भी थे तो वो पहले उनके पास चली गई ।

" लो जी आ गई हमारी चांद का टुकड़ा हमारी होने वाली बहु "रीमा जी की नज़र सीढ़ियों से आ रही पीहू पर जैसे ही पड़ी वो मुसकुराते हुए बोल पड़ी। शालनी की नजरे भी उस ओर उठ गई नेवी ब्लू लहंगे में उसका गोरा रंग बहुत फब रहा था ! कृष की तो नजरे ही उससे नहीं हट रही थी । देखता ही रहेगा की जाकर उसकी हेल्प भी करेगा,,रीमा जी ने कृष को देख हंसते हुए कहा तो वो झेप गया और पीहू के आगे अपना हाथ किया तो उसने हल्की मुस्कान देकर उसका हाथ पकड़ लिया। रीमा जी ने उन दोनों की एक साथ बैठाया फिर पीहू के सिर पर चुनरी डाल दी ।
उसे कुछ सगुन दिया फिर पीहू की मां ने कृष और पीहू का टीका किया ।

"जान लेने जा इरादा है क्या बंदे का?" , कृष धीरे से फुसफुसाया तो पीहू ने हल्के से उसे कोहनी मार आगे देखने का इशारा किया । शालनी उनके पास ही थी ये सब देख उसकी आंखे नम हो चली। शालनी बेटा रिंग तो दो कृष को,,,, शारदा जी बोली तो शालनी ने हां में सिर हिला अंगूठी की थाल उन दोनों के सामने कर दी।
दोनों ने एक दूसरे को रिंग पहनाई।और सबका आशीर्वाद लिया। शालनी को कृष ने इशारे से पास बुलाया। हम्मम,वो उसके पास आकर बोली । पीहू इनसे मिलो ये हैं शालनी मैडम जी,,,उसने शरारत से कहा लेकिन आज हर दिन की तरह वो चिढ़ी नहीं थी । हाय,पीहू ने कहा तो शालनी ने उससे हैलो बोला ।

सलोनी बता हम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है,, कृष पीहू के कंधे पर हाथ रख खुद से चिपका कर बोला।एकदम राधा कृष्णा,,उसने हल्की मुस्कान लाते हुए कहा ।
ये तुम दोनों के लिए,,,वो गिफ्ट उन्हे देते हुए बोली और फोन का बहाना बता बाहर निकल गई क्योंकी उससे अब और रुका नहीं जा रहा था!

सलोनी क्यों कहा तुमने इसे? अभी तो बोला की शालनी नाम है ,,, पीहू ने असमंजस से कहा तो कृष हस्ते हुए बोला__ सबके लिए शालनी है मेरे लिए तो शालू और श्याम सलोनी है ! इसके सावले रूप को देखकर मैंने ये नाम दिया है। अअह्ह्ह्ह्ह,उसने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा।


________________________

शालनी तुम वहां से पहले क्यों चली आई थी बेटा बिना बताए वो भी अकेले,,,,,, शारदा ने उसके रूम में आते हुए कहा। कुछ नहीं मम्मी बस ऐसे ही थोड़ा सा सिर दर्द हो रहा था ,उसने कहा ।

चलो बैठो मैं तेल मालिश कर देती हूं बालों में,,कभी तेल तो लगाती नहीं सिर दर्द नहीं होगा तो और क्या होगा,,वो डाट लगाते हुए बोली । नहीं मैं ठीक हूं सो जाऊंगी तो ठीक हो जायेगा,,उसने कहा।

"तुम बच्चो का भी मुझे कुछ समझ नहीं आता "उन्होनें कहा और बड़बड़ाते हुए अपने कमरे में चली गई ।

अगले दिन दिवाकर जी सुबह की चाय पी रहे थे की शालनी भी उनके पास आकर एक चेयर पर बैठ गई ।

"अ... पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी थी "

" हां बिटिया बोलो, तुम्हें कबसे इजाजत लेने की जरूरत पड़ने लगी अपने पापा से" वो चाय की चुस्की लेते हुए कहा।

"मैं आज ही लखनऊ के लिए निकल रहीं हूं , छुट्टी कैंसल हो गई है "उसने कहा तो शारदा जी जो अभी किचेन से निकली थी वो उसे एकटक देखने लगी और दिवाकर जी की भी नजरे शालनी के चेहरे पर जम गई।

शालनी ये क्या बात हुई? अभी परसों ही आई हो और अब भागी जा रही हो ,अगले सोमवार को कृष की शादी है और तुम्हारी चाची जी ने कल ही मुझसे कहा था की अब तुम्हें वहा भेज दूं उनकी मदद हो जायेगी शोपिंग भी बाकी है अभी उनकी, शारदा जी नाराज सी बोली।

कौन कहां जा रहा है चाची,,, कृष ने अंदर आते हुए कहा तो शालनी हड़बड़ा कर उठने लगी। यही लड़की सुनती कब है किसी की दो दिन के लिए घर आई और अब फिर जा रही है मां बाप को तो याद ही नहीं करती ,, कहते हुए उनकी आंखों की कोर गीली हो उठी । मम्मी, कहकर वो उनसे लिपट गई जब भी वो गांव से जाती शारदा जी ऐसे ही भावुक हो जाया करती थी । आओ बैठो बेटा, शालनी तुम चाय पानी ले आओ ,,दिवाकर जी बोले।

नहीं,, नही मैं नाश्ता करके ही आया हूं,वो झट से बोला।
सलोनी यार ऐसे कैसे तुम जा रही हो,अपने दोस्त की शादी में भी नहीं रहोगी? अच्छे थोडी लगता है और मैं तो तुम्हारे ही भरोसे बैठा हूं कोई काम नहीं किया,,,,,वो बैठते हुए बोला।
मेरा कॉलेज है,वो अपनी आंखों को साफ करते हुए धीमे स्वर में बोली ।

मैं बात कर लूंगा और अब ये फाइनल रहा की तुम कहीं नहीं जा रही, हां चलना है तो घर, क्योंकी मां ने तुम्हें लाने भेजा है,,उसने कहा तो शालनी अपने पापा को देखने लगी।जाओ तैयार हो जाओ, दिवाकर जी ने कहा तो वो बिना कुछ बोले ही तैयार होने चली गई ।


वाह जी आज तो इस पीले सूट में कहर ढा रही हो,वो ड्राइविंग करते हुए बोला । कृष यार चुप कर न,ये सब अपनी पीहू से जाकर बोल,वो चिढ़ते हुए दूसरी ओर देखकर बोली।
सच यार कितनी बार कहा है आज एक बार फिर से बोलता हूं की ये रंग तेरे ऊपर बहुत शूट करता है एकदम श्याम सलोनी राधा लगती है ,,वो मुसकुराते हुए बोला ।

"हां जिसका कृष्ण रुकमणी ला रहा है "वो बेख्याली में बोली की कृष ने एक झटके में गाड़ी रोक दी । उसका सिर ड्रेस बोर्ड से टकराता की कृष ने झट से अपना हाथ लगा दिया।सॉरी, लगी तो नहीं न ,,वो परेशान सा बोला तो उसने इंकार में सिर हिलाया।
अभी क्या बोल रही थी कृष्ण रुकमणी? तेरा कृष्णा मिल गया क्या ? मुझे बताया भी नहीं नॉट फेयर,वो नाराज़गी से उसे देखते हुए बोला। क्या कुछ भी? मुंह से निकल गया था बस,,,,,वो संभालते हुए बोली ।

ओह,कहकर उसने गाड़ी फिर से स्टार्ट कर दी । आआ.. मैं आज पीहू से मिलने जा रहा हूं तो उसे गिफ्ट क्या दूं कुछ हेल्प कर दो न यार,वो बच्चों सा मुंह बनाते हुए बोला।

"मुझे उसकी चॉइस थोडी न पता है"शालनी ने नजरे झुकाए हुए ही कहा ।

" यार तुम्हारी पसंद अच्छी है इसलिए बोल रहा हूं मैं कुछ लेकर गया और न पसंद आया तो उसे,और वैसे भी लड़कियों के नखरे आज तक कौन समझ पाया है"कृष ने हंसकर कहा और ये बड़ी सी शॉप के सामने गाड़ी रोक दी । शालनी हारते हुए गाड़ी से निकली और उसके साथ शॉप के अंदर आ गई । बहुत देर के बाद कृष को एक दुपट्टा दिखा ऑरेंज रंग का ।

ये कैसा रहेगा? उसने कहा तो शालनी ने ठीक है में सिर हिलाया ।वेट ,कहकर उसने शालनी के सिर पर वो दुपट्टा डाल दिया और उसे आयने के सामने खड़े करते हुए बोला ।हम्मम ,अब लग रहा है परफेक्ट यही ले लेते हैं,,,वो मुस्कुराकर बोला ।
उसने वो दुपट्टा ले कर पैक करा लिया।और वो दोनों ठाकुर निवास में आकर रुके। तुम जाओ, मां को बता देना की किसी काम से गया हूं पीहू मिलने जा रहा हूं ये बताया तो बहुत गुस्सा करेंगी,,,,, कृष बोला तो शालनी ने पलकें झपकाई।उसके लिए ये सब बहुत मुश्किल हो रहा था लेकीन कृष की खुशी के लिए वो शांत थी और उसकी कही हर बात को मान रही थी।

आ गई बच्चे,रीमा जी जो गिफ्ट्स को देख रही थी आंगन में बैठी उसे देख बोली तो वो मुसकुराते हुए उनके पास आई और उनके पैर छूकर सिर हिलाया ।ये गिफ्ट को कल आए थे वही हैं इन्हें कृषु के रूम में रखना है,, उन्होने कहा ।

"मैं कर देती हूं चाची आप परेशान मत होइए वैसे भी सीढियां ज्यादा चढ़ेंगी तो घुटने दर्द करेंगे आपके"

" ठीक है तुम ये रख दो ले जाकर फिर बाज़ार भी चलना है,वैसे वो कहां गया? दिख नहीं रहा "?

" चाची.... वो... वो कृष.…उसे.. शायद कुछ काम था तो अपने दोस्त....
वो अभी इतना ही अटकते हुए बोली थी की रीमा जी नाराजगी से बोली ___" जबान साथ नहीं दे रही तुम्हारी, झूठ बोलना आता नहीं तुम्हें जरूर इस लड़के ने ही तुमसे ऐसा करने को कहा होगा क्यों हर बार उसका साथ देती हो तुम"

" सॉरी चाची" कहकर उसने सिर झुका लिया ।अभी फोन करवाती हूं इसके पापा से इतने काम पड़े हैं और उसे घूमने से ही फुर्सत नहीं है,,वो बिगड़ते हुए बोली । चाची रहने दीजिए न जल्दी ही आ जायेगा मुझसे बोला है और वैसे भी तब तक के लिए आपकी बेटी है न आपके पास,हम दोनों झट से सारे काम निपटा लेंगे,पियूष भी तो घर में है वो ले चलेगा हमे मार्केट,,, शालनी ने उनके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए प्यार से कहा।

"हां अपने कमरे में होगा"उन्होंने कहा तो शालनी ने सिर हिलाया और गिफ्ट बॉक्स उठाते हुए कृष के रूम में चल दी।आज सालों बाद वो उसके रूम में आई थी अभी भी पूरा रूम वैसे ही था एक साइड की वॉल उसकी बड़ी बड़ी तस्वीरों से भरी पड़ी थी एक तरफ गिटार रखा था नीचे! बेड पर कपड़े बिखरे थे जो शायद वो सुबह ही फैलाया रहा होगा जब उसे लाने जा रहा था तब,एक टेबल पर गुलदस्ते में फूल रखे थे और उसके बगल ही कांच के एक गोल बाउल में दो गोल्डन फिश तैर रही थी उसने जल्दी से गिफ्ट्स को बेड पर रखा और उसके पास आ गई।

उसके लबों पर मुस्कुराहट लेकिन आंखो में नमी आ गई उन दोनों फिशेज को देखकर । इन्हे कृष और शालनी ने साथ ही पकड़ा था पास वाले तालाब से,और इसके लिए उन्हें घर पर कितनी डाट पड़ी थी। गोल्डी तुझे तो तेरा प्रिंस मिल गया , लेकिन मेरा वाला मैंने खो दिया,तुझे पता है मैं जब अपने जज्बातों को समझी तो एक बार मजाक में ही मैंने कृष का हाल जानना चाहा था उससे पूछा की उसे कैसी लड़की पसन्द है तो उसका जवाब सुन मुझे लगा ही नहीं की ये हमारा कृष है उसने कहा की उसे ऐसी लडकी चाहिए जो बहुत ही खुबसूरत हो जिसे देख वो सब कुछ भूल जाए बस उसमे ही खो जाए, गुलाब सी पंखुड़ियों वाले होठ, नाजुक हाथ,और जाने क्या क्या,,, यू नो तब मुझे अहसास हुआ की मेरी फीलिंग गलत है वो .. वो मुझे कभी एसेप्ट नहीं करेगा पीहू एकदम वैसी ही है जैसी उसी चाहिए था। ये मेरी फीलिंग्स न सबसे बड़ा सिक्रेट है मेरी लाइफ का जो अब सिर्फ तुझे पता है क्योंकी एक तू ही है जो हर बार मुझे सुनती है ये कृष को मत बताना जो भी बोला तुझे और तुम भी ! उसने बाउल पर हाथ फेरते हुए कहा और पास रखा उनका दाना उसमें डाल दिया।

अपने दिल की बात किसी से बोल जो वो कब से छिपाए बैठी थी उसे अब कुछ हल्का महसूस हो रहा था वो अब बेड के पास आ गई और कृष के कपड़े समेट कर उन्हें कबर्ड में रखा फिर गिफ्ट्स जो लाई थी वो भी साइड टेबल पर रखे ।