कुछ शाम देखी ती जो आप न देख सके,,
रंग बदलने लगा था मौसम का,
पंछी घर लौट ने लगे ,
हवा कुछ मीठी होने लगी,
चाँद जरा जरा हंसने लगा था,
आप महसूस ना कर सके,
यैसा मंज़र लेकर आया हूँ।
-Shek

Hindi Good Night by Shek _ અેક મુનાસિબ : 111928192

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