शाम को जब कभी कहीं अकेले बैठती हूँ ना
तब बहुत सी बातें याद आने लगती हैं...
बहुत सी चीजें सोच कर 
मन बेचैन भी हो जाता है
और बहुत सी ऐसी ख्वाहिशें 
जो अभी अधूरी है 
जिनके ख्याल आने लगता हैं.....
खैर,जिदंगी इसी का नाम है
कभी-कभी जो चीजें सोची जाती है 
वो अधूरी रह जाती है
और कभी अचानक से 
वो चीज पुरी हो जाती है 
जिसे हम कभी मन में 
सोचे भी नहीं होते हैं...🫰📌
~unfinished_sentenc