#गुप्त
जज़्बात इस क़दर गुप्त हैं दिल में,
चाहकर भी खुद से मुलाक़ात मुमकिन नहीं ।
उठ गया है गैरों पर से भरोसा कि,
कोई हाल भी पूछे तो बातों में यक़ीन नहीं ।
यूँ छिपाने वालों में शामिल हम न थे।
पर वक़्त के तजुर्बे ने गुप्त रखना सीखा दिया।
कौन अपना है गैरों के बीच में और,
अपनों के लिबास में छिपे गैरों को भी दिखा दिया।।