हमारे भी कई ख्वाब थे ,,,
उन बच्चों की तरह,,,
जिनका बचपन खिलौनों के बीच गुजरता है,,,
और हम गुजार देते है बचपन दूसरों की गुलामी में,,
वे स्कूल जाते हैं ,,,,पर हम सिर्फ़ उन्हें जाते हुए देख पाते हैं।।।।।
हम भी कोमल है ,,छोटे हैं और नादान भी ।।।।
पर हमारे हाथों को बजन की आदत है।।।
वे जाते हैं मंहगे होटलों में खाने , और हम वहीं काम करते है ।।।
वे जाते है शॉपिंग माल्स घूमने को ,,,और हम बस दिल में ख्वाब रखते हैं।।।
वे सोते हैं मखमली चादरों में ,,,और हम पर नहीं है ठंड से तन बचाने को।।।।।
वे देखते हैं सपने ऊंची इमारतों का ,,, हम ढूंढते ही छत सर छुपाने को ।।।।
वे घूमते हैं बड़ी गाड़ियों के भीतर ,,,और हम बाहर खड़े कपड़ा मारते है ।।।।।
ख़्वाब तो हमारे भी हैं ,,,, ज़िन्दगी बेहतर बनाने के ,,
पर फर्क इतना सा है बस ,,,
वे चाहते है बड़े अफसर बनना ,,,और हम सोचते है हर वक़्त गरीबी को हराने का।।।।।।।।।।