जिनकी बदौलत ही मेरा अस्तित्व है, इस धरा पर।
वह बदहवास सी है, इस धरा पर।।
आज, वो न होती, तो मै न होता इस धरा पर।
वह भयातुर, विकल हो भागती, लाज बचाने को इस धरा पर।।जिनकी बदौलत ही पुरुष का अस्तित्व है, इस धरा पर।
मत खेल, उसके अस्तित्व से, अन्यथा तु अस्तित्वहीन हो जायेगा, इस धरा पर।।