मिलूंगी जब तुमसे दिल की धड़कनों को थाम लुंगी,
बढ़ती बेताबी को थोडा सा आराम दूँगी।
ना खोलूंगी अपनी आँखे इतनी जल्दी तुम्हारे सामने,
तुम्हे मेहसूस कर लू तुम्हे छु के बस इतना सा उसे आराम दूंगी।
बरसो से हुए बेकरार दिल को थोडा सा करार आ जाये,
उतनी देर तक वक़्त के लम्हों को थोडा सा थाम लूँगी।
चेहरे पे रख के हाथ मेरा सपना नहीं हकीकत हो तुम,
बस इतनी सी तसल्ली कर लुंगी।
हकीकत हो तुम कही सपना ना बन जाओ,
इस डर से तुम्हे गले लगा लूँगी।
माना की वक़्त ही सब कुछ है सब के लिए,
बस उस वक़्त के लिए वक़्त को थाम लूँगी।