महाराजा छत्रसाल पर बुन्देली कवि गोष्ठी-
*(वनमाली सृजन केन्द्र व म.प्र.लेखक संघ का संयुक्त अयोजन)
टीकमगढ़// साहित्यिक संस्था वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ एवं म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ के संयुक्त तत्तावधान में माहराजा छत्रासाल पर केन्द्रित कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार अजीत श्रीवास्तव ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.नरेन्द्र मोहन अवस्थी (पूर्व प्राचार्य एक्सीलेंस कालेज) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ (नदनवारा) उपस्थित रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया-
रइयो जीवन में हिलमिलकर। मिलियों सबइ से तुम हँस-हँसकर।।
गोविन्द्र सिंह गिदबाहा (मडाबरा,उ.प्र.़) ने कविता पढ़ी-ककर कचनाए,मोरपहाड़ी।
छत्रसाल जन्में जितै अवतारी।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे सुनाए- छत्रसाल राजा हुए बुंदेला थे वीर।
बरछी जिनकी तेज थी, ‘राना’ खुद शमशीर।।
हरबल सिंह लोधी’ ने रचना पढ़ी -
मुगलो के काल, महाराजा छत्रसाल,
मुगल सेना में मची खलबली, छत्रसाल जीहते महाबली।
शोभाराम दांगी ‘इंदु’(नदनवारा) ने पढ़ा - चम्पतराय के घर में जन्में,वीर छत्रसाल महाराज।
चार मई सोलह सो उन्चास को, बेटा छत्रसाल महाराज।।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने पढ़ा-
जिसने फूलों की माला जयमाला अपनी हाथों पहिनाई थी।
रामसहाय राय (रामपुर) ने पढ़ा-
हम बुन्देली के ओरछा के पानी के,
जितै विराजै राम रजधानी के।
झाँसी की रानी,वीर बुन्देला मधुकर शाही तिलक धारी के।।
स्वप्निल तिवारी ने सुनाया-
बाणों की शैया पर खड़ी प्रतिमूर्ति में,
गाजी जीवंत मानवीय श्रृंख्ला।
परिवर्तन का उद्घोष संदर्भ अभिलाषा,
प्रतापी सुर प्रतिपलगाता हरित प्रंजला।।
कमलेश सेन ने पढ़ा-
गोरी तोरे नैना जादू सो कर गये,
जब से निहारे सो दिल में उतर गये।।
सलीम खान ने ग़ज़ल कही -
जुल्म जब किरोन का बेबस परे ढाया जाएगा।
खत्म करने को उसे मूसा को लाया जाएगा।।
एस.आर.‘सरल’ ने पढ़ा-
बुन्देली माटी के हीरा छत्रसाल थे वीर महान।
डटकर युद्ध लड़े मुगलों से राखी बुन्देलो की शान।।
अनवर खान ने ग़ज़ल कही-
जुगनुओं से भी रोशनी कम है।
अब चराग़ों की सी जिन्दगी कम है।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी - शीतल सुखद अगन की रजनी मन में अगन लगाह।।
ने रचना पढ़ी -
सरदार पटेल नेता वकील किसान थे।
बसीर फ़राज़ ने ग़ज़ल कही-
शहर का शहर यहाँ काँप रहा है डर से।
कौन निकले है क़फ़न बाँध के अपने सर से।।
इनके अलावा प्रमोद गुप्ता,शकील खान, डी.पी.यादव आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे। कविगोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
अंत में वरिष्ठ साहित्यकार श्री एन.डी.सोनी के निधन पर दो मिनिटि का मौन रखकर सभी ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की।
*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
टीकमगढ़(म.प्र.) मोबाइल-9893520965