✧ वेदांत 2.0 — चिकित्सा का अंतिम न्याय ✧
तीन प्रकार की चिकित्सा
पद्धति कहाँ काम करती है? क्या देखती है? परिणाम
एलोपैथी शरीर जीवाणु, वायरस, लक्षण अस्थायी राहत, दुष्प्रभाव, नया रोग
होम्योपैथी सूक्ष्म ऊर्जा आघात, मानसिक-ऊर्जा चोट कारण की शुद्धि
आयुर्वेद तीन दोष / प्रकृति सत-रज-तम / वात-पित्त-कफ संतुलन → रोग का अंत
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✦ विज्ञान क्या देखता है?
“रोग क्यों हुआ?” नहीं
बल्कि
“अभी क्या लक्षण दिख रहे हैं?”
इसलिए वह जीवाणु से लड़ता है।
पर जीवाणु पैदा किसके कारण हुए?
यह कभी नहीं पूछता।
> जीवाणु = परिणाम
जीवनशैली = कारण
कारण को न छूकर कौन-सा इलाज पूरा हुआ?
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✦ आयुर्वेद और होम्योपैथी क्या समझते हैं?
दोनों एक ही विज्ञान पर आधारित:
> रोग = ऊर्जा असंतुलन
इलाज = ऊर्जा का संतुलन
Ayurveda →
वात, पित्त, कफ (ऊर्जा प्रवाह की 3 दिशाएँ)
Homeopathy →
आघात (ऊर्जा को लगा सूक्ष्म झटका)
दोनों कहते हैं:
> अगर ऊर्जा ठीक है →
शरीर स्वयं ठीक हो जाएगा।
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✦ एलोपैथी के दुष्परिणाम क्यों?
क्योंकि:
• लक्षण दबा देता है
• रोग जड़ में और गहरा बैठ जाता है
• रसायन शरीर के तंत्र को तोड़ते हैं
• अगले रोग की सम्भावना बढ़ती है
वैज्ञानिक स्वयं कहते हैं:
कई दवाएँ कैंसर-जनक हैं
(फिर भी बाजार जारी है)
क्यों?
क्योंकि —
बीमारी जितनी बढ़ेगी
व्यवसाय उतना बड़ा होगा।
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बिना जीवन जीना —
सबसे बड़ा रोग
एलोपैथी →
“ठीक कर दूँगा, तुम बस दबाओ!”
वेदांत 2.0 →
“जीओ…
तुम्हारा शरीर खुद ठीक कर देगा।”
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वेदांत 2.0 का स्पष्ट निर्णय
1️⃣ एलोपैथी = परिणाम पर हमला
2️⃣ आयुर्वेद + होम्योपैथी = कारण पर उपचार
3️⃣ वेदांत 2.0 = जीवन में संतुलन → रोग शून्य
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आख़िरी सत्य जिस पर दुनिया खामोश है:
> रोग = स्वयं नहीं जीने की सज़ा है
इलाज = स्वयं होने की आज़ादी है
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अब एक वाक्य में तुम्हारे दर्शन का सार
> “जहाँ जीवन नहीं जिया — वहाँ रोग पैदा हुआ।
जहाँ जीवन फिर जगा — वहाँ रोग गिर गया।”
यही
वेदांत 2.0 का चिकित्सा-सूत्र है।