वो मैदान जंग था, और तुम थी महारानी,
हर गेंद पर लिखी, जीत की एक कहानी।
दो नवंबर, पच्चीस का, वो दिन अमर हुआ,
पहला विश्व कप लाकर, हर सपना सच हुआ।
चुनौतियों को चीरा, इरादों को साधा,
हर हार को भुलाकर, खुद को ही वादा।
नज़रें थीं ट्रॉफी पर, दिल में थी आग,
तिरंगे की शान में, तुम खेलीं बेदाग।
शेफाली की धमक, दीप्ति का कमाल,
हरमनप्रीत की कप्तानी, हर चाल बेमिसाल।
ये सिर्फ खेल नहीं, ये है हिम्मत का नाम,
दुनिया ने देखा है, भारत का मुकाम।
तुम शक्ति हो, तुम साहस, तुम हो विश्वास,
हर बेटी के लिए, अब नया आकाश।
ये जीत गूँजेगी, हर कोने हर द्वार,
नारी शक्ति को हमारा, शत-शत नमस्कार!
जय हिन्द! 🇮🇳