मैं और मेरे अह्सास
इश्क़ करे बेज़ार
बेवफाओं से इश्क़ करे बेज़ार हुए हैं l
इश्क़ का रोजगार कर बेकार हुए हैं ll
ज़ालिम और संगदिल सनम फ़िर से l
दिल को बैचेन कर के फरार हुए हैं ll
खिड़की खोल पर्दानशी बेपर्दा हुए तो l
प्यार से देखने के लिए बेक़रार हुए हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह