ऐ जिंदगीं सुन,
ऐ जिंदगीं सुन,
कभी मेरे घर भी आ जाना
मैं तेरे इंतजार में हूं,
कम से कम अपनी शक्ल तो दिखा जाना।
कबसे बैठी हूं यहां हताश यहां,
तुम थोड़ा सा हौसला मुझको भी दे जाना।
कभी फुरसत जो मिले तुमको,
तो मेरे घर भी आ जाना।
घनघोर अंधेरा देखो है कितना,
तुम रोशनी की एक किरण दिखला जाना।
कभी फुरसत जो मिले तुमको,
तो मेरे घर भी आ जाना।
- vrinda